पल पल बदलता व्यवहार

पल पल बदलता व्यवहार

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अरे कहां हो अंशिका इतनी देर हो गई मुझे ऑफिस से आये हुए पर तुम्हारा कुछ पता ही नहीं। कितनी बार कहा है कि अपने काम मेरे ऑफिस से आने से पहले ही निपटा लिया करो" ऐसा वासु ने अपनी पत्नी को सुनाते हुए कहा। वासु की बात सुनकर अंशिका उसके पास आकर बोली "आजकल मेरे ट्यूशन वाले बच्चों के पेपर चल रहे हैं तो उन्हें ज़रा ज़्यादा टाइम देना पड़ता है बस इसी चक्कर में काम में देरी हो गई । वरना तो रोज़ आपकी ख़िदमत के लिए हाज़िर रहती ही हूं। "ऐसा कहते हुए अंशिका वासु के पास बैठ गई और बोली "कभी कभी तो आपमें एक अधीर प्रेमी की झलक दिखाई देती है। "वासु कुछ जवाब देता तभी उसका फोन बज उठा। फोन पर बात करने के बाद उसने अंशिका को बताया कि कल मम्मी और पापा एक हफ्ते के लिए यहां आ रहे हैं,ये सुनकर वो बहुत खुश हुई। अगले दिन सुबह नौ बजे तक वासु के मम्मी- पापा आ गये।

अंशिका अभी उनका सामान अंदर कमरे में रखकर आयी ही थी कि वासु ने उसपर रौब जमाते हुए कहा" यहां क्या मुंह उठाये खड़ी हो जल्दी से चाय -नाश्ता बनाकर लाओ । दिख नहीं रहा तुम्हें मम्मी-पापा थके हारे आये हैं"। अंशिका जल्दी से रसोई में चली गई । थोड़ी देर में ही उसने नाश्ता मेज़ पर लगा दिया। गोभी के पकौड़े खाते ही वासु बोला" ये कैसै पकौड़े बनाये तुमने ,गोभी तो सारी कच्ची पड़ी है और नमक भी कम है। कभी तो कोई काम ठीक से कर लिया करो"। अंशिका सोचने लगी वैसे तो कहते हैं कि तुम्हारे जैसे पकौड़े कोई बना नहीं सकता पर अब बेमतलब नुक्स नज़र आ रहा है। उसने देखा कि उसके सास-ससुर तो बड़े चाव से खा रहे हैं। खैर नाश्ता खत्म होने पर वो बर्तन उठाकर चली गई। थोड़ी देर बाद वासु भी अपने ऑफिस चले गये और अंशिका अपने सास-ससुर के साथ व्यस्त हो गई।

अगले दिन उन सबका कहीं घूमने का प्रोग्राम बना तो सब फटाफट तैयार हो गये पर सारा काम निपटाने के बाद जब अंशिका तैयार होने लगी तो वासु ने शोर मचा दिया बोला" पता नहीं कितने घंटे लगेंगे अब तुम्हें तैयार होने में। चाहे कितना ही मेकअप कर लेना तुम, पर मुंह तो तुम्हारा वैसे का वैसा ही रहेगा। अब तुम्हारी पकौड़ा सी नाक बदल तो नहीं जायेगी। " अंशिका साड़ी पहनने की सोच रही थी पर वासु को आफत मचाते देख जल्दी से सूट पहनकर ही आ गई।

वासु के पापा को वासु का इस तरह बोलना नागवार गुज़रा वो उसे कुछ कहने ही वाले थे कि अंशिका के आने पर चुप ही रह गये। फिर वो घूमने के लिए निकल गये। पूरा दिन सबने बहुत इन्जाॅय किया। लौटते हुए वो बाज़ार होते हुए निकले क्योंकि मम्मी-पापा के लिए भी कुछ लेना था। साड़ी की दुकान पर अंशिका को अपनी सास के लिए जो साड़ी पसन्द आयी उसे देखकर वासु बोला" पता नहीं कपड़ा खरीदने की अक्ल तुम्हें कब आयेगी "ऐसा कहकर उसने दुकानदार को बढ़िया साड़ी दिखाने को कहा।

अंशिका अब बिल्कुल चुप बैठ गई थी। खरीदारी करके वो खाना खाते हुए घर वापिस आ गये। अभी घर आये हुए थोड़ी देर ही हुई थी कि वासु के छोटे भाई का फोन अपनी मम्मी के पास आया जिसने उन्हें बताया कि आपके जाते ही उसकी पत्नी भी अपने मायके चली गई है और वो ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकता इसलिए आप तुरंत ही लौट आओ। ये सुनते ही वो उससे बोलीं "तुम्हारा अपनी बीवी पर कोई कंट्रोल ही नहीं है, कुछ वासु से सीखो कितना रौब रखता है अपनी बीवी पर,क्या मजाल उसकी पत्नी की जो वो चूं भी कर ले। अब तो हम कल सुबह ही चलेंगे" ऐसा कहकर उन्होंने फोन रख दिया। अपनी सास की सारी बातें अंशिका के कानों में भी पड़ गई थीं।

अगले दिन अपने मम्मी-पापा के जाते ही वासु ने अंशिका को अपनी बांहों में भर लिया और बोला "जानेमन आज तो गजब ढा रही हो" तो अंशिका उसके बांहों के घेरे से निकलते हुए बोली "बस रहने दो गिरगिट की तरह रंग बदलने को। मैंने महसूस किया है कि जब भी हमारे घर कोई आता है तो मेरे प्रति तुम्हारा व्यवहार बिल्कुल ही बदल जाता है। प्यार तो छूमंतर हो ही जाता है साथ में मुझे दूसरों के सामने नीचा दिखाने एवं रौब झाड़ने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देते।

शायद ऐसा करने से आपका ईगो सैटिस्फाई होता है। " अंशिका आगे बोली " मैं किसी के सामने अगर आपकी बातों का पलटकर जवाब नहीं देती तो केवल इसलिए कि मैं आपकी इज़्ज़त करती हूं और कोई बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहती हूं। पर अब आगे से ऐसा नहीं चलेगा। जब मेरे स्वाभिमान पर चोट लगेगी तो चुप नहीं रहूंगी। आगे से कुछ अनर्गल बोलने से पहले इस बात का ज़रुर ध्यान रखना कि अब पलटवार भी हो सकता है। फिर मुझे दोष मत देना कि दूसरों के सामने आपकी इज़्ज़त का फलूदा हो गया। "ऐसा कहकर अंशिका माॅर्निंग वाॅक के लिए चली गई और वासु गहरी सोच में डूब गया।


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