Pushp Lata Sharma

Tragedy Children

3.9  

Pushp Lata Sharma

Tragedy Children

फर्ज

फर्ज

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आज दो साल पहले की घटना याद आ गयी जब ईद में श्रीवास्तव जी सपत्नीक रात्रि भोज पर पधारे थे। खूब सारी बातें हुई, बच्चों के भविष्य पर भी वार्तालाप हुई थी। तभी श्रीवास्तव जी ने बताया था कि, उनका बेटा सिविल इंजीनियरिंग पूरी करके आई ए एस की तैयारी कर रहा है ।

हर महीने उसकी पढ़ाई पर 25 हजार का खर्चा करते हैं । मुझे भी बहुत खुशी हुई थी बेटा कुछ कर लेगा तो घर का भविष्य सुधर जायेगा।

बातों बातों में मैं पूछ बैठा कि, कैसे पढ़ाई कर रहा प्रमोद .. तब श्रीवास्तव जी ने गर्व से जवाब दिया था कि, "दिल्ली के सबसे महँगे आई ए एस कोचिंग सेंटर से कोचिंग ले रहा है।"

जब मैंने उनसे, उसके विषय जानने की जिज्ञासा की ,तो श्रीवास्तव जी थोड़ा ठहर कर बोले शायद भूगोल .. फिर मैंने पूछा की कितने घंटे और कैसे पढ़ाई कर रहा है। इस पर झुंझला उठे और बोले भाई मेरा काम पैसे देने का है बाकी वो समझे। 

आज सुबह दो साल के बाद दुबारा हमारी मुलाकात अस्पताल में हुई तब श्रीवास्तव जी काफी बीमार और चिन्तित लग रहे थे। 

न रहा गया, मैंने पूछ ही लिया क्या बात है भाई ? इतने अस्वस्थ और दुखी?

मेरी किसी मदद की जरूरत हो तो बताओ। तभी आँखों में आँसू भरकर वे बोले क्या बताऊँ दो साल से प्रमोद बेटे की पढ़ाई के नाम पर अपनी गाढ़ी कमाई भेजता रहा कभी कुछ नहीं पूछा और वह पढ़ाई के लिए भेजा गया सारा पैसा नशे पर खर्च करता रहा, न नौकरी, न आई एस बना पिछले एक हफ्ते से जिन्दगी मौत की लड़ाई लड़ रहा है।

मैं मन ही मन सोचने लगा कि, अगर पिता होने के नाते श्रीवास्तव जी पैसे खर्च करने का फर्ज पूरा करने के बदले बेटे पर वक्त खर्च करते तो शायद अस्पताल में इस तरह खड़े रहने का फर्ज नहीं निभाना पड़ता। 



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