फैसल सेख के जुल्म की गहराई
फैसल सेख के जुल्म की गहराई
आज जुल्म को छुपाने और बचाने की कोसिस में एक डरी हुयी बहन की हाथो में उठाया हुआ चप्पल एक लड़की को ये एहसास दिला दिया की जुल्म कितना कमजोर है। ना जाने ये कुदरत मुझ से क्या चाहती ह आज न चाहते हुए भी मैं फिर से उस की बहन से मिल गयी कहाँ क्या कैसे पता नहीं। शायद इसे ही संयोग कहते है। ना जाने क्यों ये मन अब भी ये नहीं मनता की ये प्यार नहीं बस फैसल सेख के हवस पूरा करने का तरीका है। मन तो अब भी सवालो में उलझा है और जवाब सायद सिर्फ कुदरत के पास है। हमने बचपन से यही सोच रखा के मेरा प्यार मेरा हमसफ़र कृष्ण की छवि रखने वाला सांवला हो। हमारे मन की एक और इच्छा थी की ये 12 फेब्रोरी हमारे जीवन का एक यादगार दिन हो|वजह ये थी की हमारे सर्टिफिकेट पे हमारा जन्मदिन 12 फ़रवरी लिखा था और लोग कहते थे मुझे के तुम्हारा तो जन्म साल में दो बार हुआ ह बस बचपन से हमारी यही इच्छा रही ह के ये दिन हमारे जीवन का सबसे महवपूर्ण दिन हो आज किस्मत की ये हक़ीक़त देख के मैं बस हैरान हु के 12 फ़रवरी को मेरे प्यार का जन्मदिन है। और ख़ुश हु के ये दिन सायद सच में हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। पर कुदरत के इस फैसले से हैरान हु के आखिर क्यों ये हवसी मेरे हिस्से में आया मन में अबतक सवाल ह के क्या ये सच में हवसी था या वजह कुछ और ह पर क्या वजह हो सकती ह जब सारे साबुत और सारे बाते ये कह रही ह के ये सिर्फ और सिर्फ एक हवसी ही था जो सायद निकाह,प्यार और विश्वास के नाम पे कॉन्डोम ले के अपनी सेक्स की हवस बुझाने आया था।
आज फिर आँखों में आँशु भर आया फेसबुक पे ये देख के किस तरह हैदराबाद में हमारी एक बेटी प्रियंका नामक डॉ इस सेक्स की हवस की बलि चढ़ गयी सड़को पे उसे जिन्दा जलाया गया। मन में डर का कहर ह के हम कैसे समाज में जी रहे ह जहा एक बेटी को दरिंदो ने अपने सेक्स की हवस पूरी कर के जला डाला। आज के युवाओ में सेक्स को ले के बघते हवस से ना जाने कहाँ कैसे और कितनी बेटिया इस सेक्स की बलि चढाई जा रही है। हम कहाँ जाये कौन करेगा हमारा इंसाफ ?शायद हम भी उन लड़कियों में से एक ह जो किसी की हवस की बलि चढ़ जाती है। आज के युग में ना जाने कितने मर्द मौका की तलाश में घूम रहे है। पहले बेटिया को भूर्ण हत्या होती थी फिर समाज में दहेज़ के लिए जलाई जाने लगी और अब ऐसा युग आ गया ह के वो अब एक मर्द के शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बलि चढाई जा रही है। आज हर भाई और पिता के लिए अपनी बेटियों को बचाना एक बहुत ही बड़ी चिंता का विषय बन चूका है।
फिर ये समाज के लुटेरे कौन ह जो हमारे बेटियों को अपने हवस की बलि चढ़ा रहे ह ?ये भी किसी के भाई और पिता ही ह|मतलब हमारी बहन बहन ह और दुसरो की बहन एक मौका शायद यही सोच ह जो हमारे समाज को अंदर ही अंदर खाये जा रही है। आज हमारे समाज में शिक्छा का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा ह हर घर में लोग सिक्छित हो रहे है फिर आज एक पढ़ी लिखी शादी सुदा 2 बच्चो की माँ जो कर्नाटक के किसी लड़कियों के स्कूल में एक शिछिका के हाथो में हवस के बचाव में उठाया हुआ चप्पल से मैं हस पड़ी और कहा मारो मुझे। क्या वजह थी एक युवा की हवस।
एक लड़की के साथ किया गया गन्दा मजाक। विश्वास जैसे सब्दो का गलत इस्तेमाल। आज मुझे यकीन हो गया के इस समाज में बेटियों को मिटने में जितना बेटो का हाथ ह उस से कहि जयादा हाथ बेटियों का ही है।
इस समाज की औरत ने ही औरत को नहीं समझा। एक लड़की ने ही लड़की से पूछा किसी के साथ सोना ह क्या ?ये कैसी सोच ह एक औरत की जो अपने आप को एक पवित्र औरत मानता ह और दुसरो को 5 के साथ सोने वाली ? अगर इस समाज में किसी लड़की का मर्द के साथ सोना इतना आसान होता तो शायद घर्म,पूजा,निकाह,विवाह,और विश्वास जैसे सब्दो की जरूरत ही नहीं होती।
जब एक पढ़ी लिखी औरत ने मुझ से ये सवाल किया के किसी के साथ सोने आयी है क्या यहां ? ये सुनते ही मैंं मुस्कुरा पड़ी की ये कैसी औरत है जो खुद औरत हो के एक औरत को समझ ना सकी। फिर इस घर में फैसल सेख जैसा भाई ही जन्म ले सकता है जो हमारे देश की बेटियों को अंदर ही अंदर लूट रहा है।
बस अफ़सोस हो रहा है मुझे के किस तरह एक हवसी भाई को बचाने के लिए एक बहन ने अपने हाथोे में चप्पल तक उठा लिया। पर क्या कहूँ है तो वो भी एक औरत। खुदा ने शायद औरत को ऐसा ही बनाया है। मैंंने एक गलती की एक हवसी से प्यार किया और एक बहन की भी यही गलती ह के वो एक हवसी भाई को बचाने के लिए एक लड़की को गलत समझने उसे झूठे केस में फ़साने और मारने की कोसिस कर रही ह, एक लड़की की कीमत 100 रुपया लगाई | और एक हवसी की बहन से क्या आशा की जा सकती ह भाई ने अगर मुझे प्यार और विश्वास के नाम पे धोखा दिया तो बहन ने मुझे मारने और झूठा केस में फ़साने की कोसिस की तो इसमें आश्चर्य की क्या बात ह ?जुल्म तो ऐसा ही होता ह पहले लोग जुल्म करते ह फिर उसे मिटाने के लिए और चार जुल्म करते है।
“ जिनकी फितरत में हैरत समायी नहीं,जिनको हवश से जयादा मैं भायी नहीं , ऐसे साजन की मुझको जरूरत नहीं ,न कहने का सुन लो मुहूर्त यही।
मैं अकेली चलूंगी किस्मत से मिलूंगी,अरे मुझे क्या बेचेगा रुपया। ”
अंदाजा नहीं था मुझे के आज मुझे हवशी फैसल सिख की बहन दवरा झूठे केस में फ़साने की कोसिस की जाएगी। ये रिश्ता तो हमने सिर्फ प्यार के लिए ही जोड़ा था बड़े ही विश्वास से जोड़ा था मुझे पता नहीं था के जिस पे मैंंने अँधा विश्वास किया वो हमें ये बता जायेगा के मैं सचमुच अंधी हूँ और मैंंने एक रिश्तों को न समझने वाला फैसल सेख पे विश्वास किया। ये कहानी शायद दिल्ली के किसी किताब में छप जाये इस स्टोरी मिरर के वेब साइट पर हजारो लोग पढ़े पर क्या ये कहानी फैसल सेख की आँखों में 2 बून्द अंशु भर पायेगी ?क्या उसे ये एह्साह दिला पायेगी के उसने क्या किया है। वो कहते ह न जो रिश्तो की अहमियत नहीं समझ स्का वो सब्दो की अहमियत कैसे समझेगा ?घर में ताले तो हम इसलिए लगाते ह के कहि घर खुला देख के किसी सरीफ आदमी की नियत न ख़राब हो जाये जिसका काम ही डाका डालना ह वो तो ताले तोड़ के डाका डालेगा। ये बात फैसल सेख के बारे में कहना गलत नहीं ह क्यों की वो खुद शायद किसी के विश्वास को तोड़ के मेरे विश्वास को लूटने आया था।
और मुझे ये लिखते हुए ये भी अफ़सोस हो रहा ह के एक पढ़ी लिखी बहन को ये अच्छे से पता था के कानून हमें किसी को मारने की इजाजत नहीं देता फिर भी उसने चप्पल उठाया मतलब भाई ने अगर धोका किया तो बहन ने भी उसका साथ निभाया|वो कहते ह ना "तेल नही थी तो बाती भी न थी जलने के लिए "मतलब एक लड़की को किसी ने सहारा नहीं दिया शायद अब इसका इंसाफ सिर्फ और सिर्फ कुदरत देगी। 24 वर्ष की आयु में अपने पीएचडी को ले के चिंता मुझे शता रही थी की आगे क्या होगा कैसे पूरी करू मैं अपने अरमानो को ये समाज अब मुझ से बस यही आशा कर रहा ह के मैं जल्द से जल्द शादी कर के किसी के परिवार के लिए उसका परिवार बन जाऊ ऐसे में मेरे सपने जो हमने पीएचडी कर के इस देश को कुछ नया देने की सोची थी कंप्यूटर साइंस के छेत्र में। एक लड़की के लिए बेचलर मास्टर की दुरी को तय कर पीएचडी की सीढ़ियों पर चढ़ना कोई आसान काम नहीं था जीवन की बहुत सारी तकलीफो को ,बहुत सारी खवाइसो का गला घोट कर इन उचाईयो तक मैं तय करने ही वाली थी की अचानक मेरे जीवन में प्यार सब्द आया। समाज और घर वालो के दबाव के कारन एक लड़की इस बात से इंकार नहीं कर सकती थी के उसे शादी नहीं करनी ह बस जीवन में थोड़ा समय चाहती थी के वो अपने अरमानो को पूरा कर ले। हर लड़की की तरह मैंंने भी यही सोचा था के मेरे जीवन में भी कोई सिमब्रेला के राजकुमार की तरह मेरे जूतियो को ढूंढता हुआ मेरे जीवन में आएगा और शायद फैसल सेख पर विश्वास करने की वजह भी शायद यही विश्वास था।
काश किसी ने मुझे समझा होता हुआ यु के वो फैसल सेख जो मुझे फेसबुक पर चैटिंग के दौरान मिला था काफी बात करने के बाद हमदोनो इतने नजदीक गए। मुझे पता नहीं था के ये फैसल सेख एक शादी सुदा इंसान ह उसने मुझे बताया के मई करवार का हु और दुबई में काम करता हु अभी बकरीद की छुट्टियों में आया हु और मई शादी करने के लिए लड़की धुंध रहा हु मैंंने उस लड़के से शादी के लिए हा कह दी और उसे बताया के पीएचडी मेरा सपना है उसने मुझ से वादा भी किया के मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाउंगा। फैसल सेख के दुबई वापस जाने का समय ा चूका था इसलिए हमदोनो ने फैसला लिया के हम एक दूसरे से मिल कर बाते कर ले और अपने परिवार को हमारे रिश्ते की जानकारी दे दे। फिर हम दोनों किसी रोड पे एक दूसरे से मिले फिर होटल में भी समय बिताया| उस के बाद हमदोनो वापस ा गए सायद फैसल सेख के दुबई वापस जाने का समय ा गए और वो वापस चला गया फिर मैं उसे बार बार फ़ोन करती रही पर उसके तरफ से कोई जवाब नहीं आया और एक दिन उसने कहा के मैंंने मेरे लिए दुबई में लड़की देख ली ह अब आप मुझे तंग न करो।
फिर मैंंने किसी तरह उसकी बहन से बात की और फिर मुझे पता चला के उसने अपने परिवार वालो को बताये बिना दुबई में शादी की है।
बस ये कहानी अब मुझे कोई गेम से कम नहीं लगने लगी एक लड़की के लिए ये बात बर्दास्त करना एक मुश्किल काम बन गया क्यों की मैंंने तो इसे प्यार समझा था और इसी वजह से मैंंने आत्महत्या करने की भी कोसिस की। क्यों की मैं वो लड़की थी जिसने एक ही सपना देखा था पीएचडी का फैसल सेख इस सपने के बिच क्यों आया पता नहीं किसी अचे इंसान से शादी की चाहत में मैंंने इस्पे अँधा विश्वास किया। वो लड़की जो अगस्त में नेट की तैयारी कर रही थी रिसर्च अप्पत्तिटूड की पढाई कर रही थी प्यार में फास गयी सायद फैसल सेख की चिकनी चुपड़ी बाते जयादा ही लुभावनी थी और इस प्यार के जल में मैं फ़स गयी और होटल में मिलने तक गयी लेकिन मुझे क्या पता था ये इंसान इतना चालाक चेहरे पर इतनी मासूमियत रखने वाला इंसान एक हवसी दरिंदा है जिसके लिए सिर्फ उसकी हवस मायने रखती है।
अब जब मुझे मेरे प्यार से बात चित बंद हो गया तो प्यार के एहसास ने मुझे आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया १ महीने से भी जयादा मैं बीमार रही फिर आत्महत्या करने की कोसिस के कारण मैं थोड़े समय के लिए अपाहिज भी हो गयी पर इस प्यार का फिर भी कोई सन्देश नहीं आया उसे पता चला की मैंंने आत्महत्या की कोसिस की पर उसे कोई दया नहीं आयी फिर भी उसने एक बार बात तक नहीं की। वो इंसान जो कहता था मैं आपका हर पल साथ निभाउंगा मुझे इतना रुला के गया और उसे थोड़ी भी दया नहीं आयी मैं बीमार रही|दिन में 5 समय खाना खाने वाली ने 3 समय भी भर पेट अबतक खाना नहीं खाया। इतना सुन्दर दिखने वाला चेहरा कला पद गया और मैं शारीरिक रूप से पूरी तरह बीमार पड़ गयी न हसना न बोलना बस चिंतित रहना यही जीवन बन गया। दिन रत किताबो को पढ़ने वाली लड़की दुनिया को रास्ता दिखने वाली लड़की अब सिर्फ कमरे में अँधेरे में जयादा समय बिताने लगी।
लेकिन फिर भी फैसल सेख का कोई सन्देश नहीं आया कैसा प्यार ये ? क्यों किया उसने ऐसा मन में सवाल पे सवाल था बस यही सोचती रही की क्या वो कंडोम ले के सिर्फ और सिर्फ सेक्स करने आया था?अपनी 6-7 इंच की पेनिस के सुकून के लिए उसने एक लड़की के साथ प्यार का नाटक किया? हम ने प्यार के महीने अगस्त में प्यार सुरु किया हम कृष्ण जन्मास्टमी के दिन एकदूसरे से मिले फिर मैं इसकी हक़ीक़त का पता करते करते लक्समी पूजा के दिन उसके घर पे पहली कदम रखी। और बहन और पिता से पता चला के ये सिर्फ लड़कियों को ऐसे ही फसाता है। एक इस्त्री के लिए ये बात बर्दास्त करना मुश्किल हो गया और मैं फिर पुलिस स्टेशन पहुंची और उसकी शिकायत दर्ज कराइ। ये कैसा प्यार कैसा विश्वास जिसने मेरे जीवन को ही ले लिया अब भी मन तो यही कहता है कि मैंं उसकी चौखट पे जा के फांसी लगा लू और कह दूँ लो फैसल सेख जिस हस्ती खेलती लड़की को तुमने लाश बनाया उसे कफ़न भी पहना दो।
एक अच्छे वर की छह में मैंंने फैसल सेख जैसे घिनौने इंसान पर भरोसा कर लिया इतनी पढ़ी लिखी होने के बावजूद भी फैसल सेख के प्यार के जाल में फ़ंस ही गयी। आज पूरे ४ महीने हो चुके है इस बात को और आज फिर मैंं उसकी बहन से संयोगवस् टकरा गयी पुलिस में शिकायत करने के कारण वो काफी डरे हुए थे और उसकी बहन दिलसब कहने लगी। मैंं तुम्हारे ऊपर कोई और केस डाल दूंगी वो इतने गुस्से में थी की उसने एक चप्पल भी मेरे गलो तक सटा दिए। मैं तो एक पढ़ी लिखी लड़की थी किसी पे चपल उठाना मेरे लिए एक बहुत बड़ी बात थी।
चपल तो मेरे पैरो में भी थे पर फिर भी मैंंने उसे नहीं मारा और ये मंजर ने मुझे समझा दिया के ये लोग कितने गंदे ह अब क्या करती चपल तो साफ करवानी थी बस जमीं में झुकी और मति उठा के अपने गलो पे लगा लिया उस बहन को लगा की मैं कोई जादू करने के लिए मति ले रही हु और जुल्म से डरीहुयी बहन ने अपने प्यारे प्यारे हाथो से जिस जगह चप्पल सटाया था अपने हैट फेर दिए। मुझे ऐसा लगा के मनो उसने मेरे सारे दर्द अपने हाथो से अपने पास रख लिया और मैं ख़ुशी खुसी लौट आयी। किस तरह हमारे समाज में फैसल सेख जैसे लोग अपने शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बेटियों को लूट रहे ह और दिलसब जैसे बेवकूफ बहने इन कामो में उसकी मदद कर रही ह मन को तो अब भी यकीन नहीं होता के दुनिया इतनी गन्दी ह ये मर्द सेक्स के लिए किसी के भी जीवन से खेल सकते है। और ऐसी बहन भी हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ी कलंक है। अब मुझे ये समझ में ा गया था के कानून तो सिर्फ सीधे सादे लोगो के लिए जो हवसी दरिंदे ह वो तो कुछ भी करेंगे।
जैसे हर कहानी में लिखा होता है इस कहानी का उद्देश्य किसी की भावनाओ को ठेस पहुँचाना नहीं है |ये कहानी किसी भी जाती ,धर्म और व्यक्ति विशेष के भावनाओ को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं लिखा गया है | इस कहानी में लिए गए पात्रो ,जगह का नाम और दिनांक महज एक कल्पना है | पर क्या हम ये कह सकते है के ये कहानी आज हमारे समाज में हो रहे बुराइयों को नहीं दर्शाता ह |दोस्तों इस प्यार के कारण पीएचडी की सीढ़ियों पर चढ़ने वाली लड़की 4 महीने उदास रही ,आत्महत्या करने की कोसिस की और अंत में जुल्म के हाथो में चपल देख के वापस अपने पी एच डी की कहानियों को लिखने लौट गयी। और अब भी कुदरत के इंसाफ का इंतज़ार कर रही हु |अल्लाह की लाठी में देर ह पर अंधेर नहीं। जाने ऐसे लुटेरे हमारे देश की कितनी धरोहर को लूट के अपने सांसों की प्यास बुझा रहे हैं। न जाने बेटियों को बचाने के लिए हमारे देश में कितनी कानून बनते जा रहे हैं पर फिर भी बहुत सारी बेटियाँ इन दरिंदो की शिकार बनती जा रही है कोई प्यार से तो कोई लूट से।