पगडंडी मेरे प्यार की
पगडंडी मेरे प्यार की
प्यार एक शब्द भर होता
तो पोंछ देता उसे
अपने जीवन के कागज से।
प्यार होता अगर कोई पत्ता,
तो झरा देता उसे,
अपने मन की क्यारी से।
प्यार होता जो एक गीत,
भूल चुका होता मैैैं उसे,
कभी गुनगुनाकर।
मगर सच तो ये है कि
प्यार तुम हो
और तुम्हे
ना अपने जीवन से पोंछ सकता हूं,
ना झरा सकता हूं,
मन की क्यारी से,
ना भूल सकता हूं,
बस एक बार गुनगुनाकर
क्योंकि मेरे विश्वास
प्यार तुम मेरे लिए हो साक्षात
सदा आसपास
बनकर एक प्यार।।