PRIYARANJAN DWIVEDI

Drama

4.9  

PRIYARANJAN DWIVEDI

Drama

पास्ता वाला इश्क़

पास्ता वाला इश्क़

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कॉलेज के कैंटीन में वे दोनों सामने ही बैठे थे पर मैसेज से बातें कर रहें थे !

दोनों में हिम्मत न थी सारे दोस्तों के सामने खुलकर बात भी कर सके !

आज वाइट शर्ट में अच्छे लग रहे हो, "लड़की ने मैसेज किया"

लड़के ने कहा," वो तो हम हमेशा से लगते है,औरनहींं तो तुम्हारी तरह घिसा पीटा पिंक कलर पहन लेते"

अरे चलो, ज्यादा बोलो मत, पहले मूछों में जो लगा है, उसे साफ करो आये बड़े पास्ता खाने की तमीज़नहींं और हमें सीखा रहे हैं हु हु हु।

"हाँ तुम्हें तो आता हैं न पास्ता खाने, सारे टमाटर, मटर, बाहर निकाल के रखती जा रही हो"

"तुम जानते हो न, टमाटर या मटर मुझे पसंद नहीं

"जब पसंद हीनहीं है तो लाते क्यों हो बनाकर लड़के ने मुख उचकाने वाली इमोजी भेजते हुए कहा।"

"हाँ, तुम्हें तो पता हीन हीं है जैसे, किसके लिए लाती हुँ, ज्यादा बोलो मत, ठुसो चुप-चाप"

आज सालों बाद उसे ये वाक्या याद आया, जब घर पे माँ ने उसे "आलू, टमाटर, मटर" की सब्जी बना के दी

सब कुछ अचानक रुक सा गया था उसके लिए,

उसने सारे टमाटर और मटर निकाले और आवाज़ लगाई, " माँ , आगे से टमाटर और मटर की सब्जी न बनाना"

जाने ऐसे कितने किस्से है उसके मोहब्बत के जो उसने अपने अंदर जिंदा रखे हैं।

"कुछ वादों का अधूरा रह जाना इश्क़ है,

कुछ ख्वाबों का पूरा न होना जिंदगी।"


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