PRIYARANJAN DWIVEDI

Others

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डिजिटल फ्रेंडशिप

डिजिटल फ्रेंडशिप

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आज भी मुझे याद है जब हिंदी के आचार्य जी 'दोस्ती' पे निबंध लिखने के लिए देते थे पूरे 10 अंक के...।।


मेरे निबंध की शुरूआत होती थी 'सच्चा दोस्त वो होता है जो सुख-दुख में काम आए और दोस्त को गलत राह पर जाने से बचाये... इत्यादि इत्यादि और उदाहरण के तौर पर कृष्ण-सुदामा की दोस्ती..'


लेकिन अब चीज़े बदल गई है, अब दोस्ती भी #डिजिटल हो गई है, #digital-friendship (व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम).

तो क्या हमें फिर से दोस्ती की परिभाषा को परिभाषित करने की जरूरत नहीं है....!!


वैसे तो मैं काफी दिनों से कुछ लिखा नहीं हुँ लेकिन अचानक आज ऐसा कुछ हुआ कि मुझे लगा कि लिखा जाना चाहिए....


एक करीबी दोस्त ने बोला कि तू मेरा सच्चा दोस्त नहीं है क्यों कि तू अपने व्हाट्सएप्प स्टेटस या इंस्टा स्टोरीज में मेरा छायाचित्र (pic) नही लगाया है...


हाय रे डिजिटल फ्रेंडशिप...!!


अब सोचों कृष्ण-सुदामा के युग मे न तो व्हाट्सप्प था न फेसबुक और न ही इंस्टा, अब कृष्ण को सच्ची दोस्ती का सबूत देना हो तो कैसे देते...??

"In today's era, friendship means you have to put my pic in your status or stories with a caption that reveal how much you love me."


आजकल दोस्ती, इश्क़ तो छोड़िए नफ़रत भी डिजिटल हो गई है,

"मेरा ऑनलाइन आते ही उसका ऑफलाइन हो जाना..”


वाह रे डिजिटल नफ़रत...!!


अब अगर दोस्ती और इश्क़ की परिभाषा ये है ना तो न हुँ मै किसी का दोस्त और न ही करता में इश्क़...

मेरे लिए दोस्ती का मतलब है, शाम को सिवान के जे पी चौक में भोला की चाय दुकान या पटना में अशोक राजपथ पे साइंस कॉलेज के बगल में जाकर दोस्तो के साथ चाय पीना..


सच्चा दोस्त वो है जो रात को 2 बजे आपके दिल जुड़ने से लेकर दिल टूटने तक की कहानी सुने और बोले क्या 'चुतियापा' (माफ़ करना इस शब्द के बिना दोस्ती को परिभाषित करना थोड़ा मुश्किल है) है और एक दो घंटे और सुने..


सच्चा दोस्त वो है जो खुद दारू और सुट्टा (cigarette) लेता हो लेकिन कहे, तू मत लेना ये सब बेकार है। (मोह माया है)


दोस्त वो है जिसकी खुद 3-4 गर्लफ्रैंड रखे और बोले कि लड़कियों से दूर रहना, बहुत लोचे है इधर..


दोस्त वो है जो क्लास में सबसे पीछे वाली बेंच पर बैठ कर बोले 'नीली वाली तेरी, पीली वाली मेरी' और अगर एक ही लड़की पसंद आ जाए तो सिक्का उछाल ले..


दोस्त वो है जो क्लास में आपका अटेंडेंस बना दे..

दोस्त वो है जो 10 मिनट में आते है बोलकर आधा घंटा इंतजार करवाये..


दोस्त वो है जो दिन में 3-4 बार झगड़े और शाम होने पर बोले चल चाय पीते है.....!!


यकीन मानिए अगर इनमें से एक भी क्वालिटी आपके दोस्त में है तो उस कमीने को पकड़ कर रखिये अंत में वही काम आएगा..


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