पानी
पानी


वो खुश था। जो कुछ उसने सपने में देखा था,वो सबकुछ हक़ीक़त में हो रहा था। उसने परिधि को देखा,वो भी बहुत खुश थी। दोनो की नज़रें मिलीं और इस बेतार माध्यम से दोनों ने एक दूसरे के मन की बातों को संचारित किया। दोनो की शादी हो रही थी।
रोहित और परिधि दोनो एक दूसरे से प्यार करते थे और शादी भी करना चाहते थे। मगर समस्या यह थी कि रोहित निम्न वर्ग से था और परिधि उच्च। दोनों ने डरते डरते ये बात अपने घरवालों को बताई। मग़र उम्मीद के विपरित दोनों के माता-पिता सहर्ष तैयार हो गए। परिधि के पिता ने कहा,"हम लोग रूढ़ियों को नहीं मानते हैं। मैं खुश हूँ कि मेरी बेटी ने इस सामाजिक बंदिश को तोड़ा है। दोनो की शादी धूमधाम से हुई।
अगले दिन सुबह रोहित ने परिधि को जगाया। वो उठी तो उसने देखा रोहित नाश्ता लिए खड़ा था। परिधि ने मुस्कुराते हुए नाश्ते को परोसने का इशारा किया। रोहित ने वैसा ही किया। नाश्ता करते हुए दोनो बातें करने लगे,एक दूसरे को छेड़ने लगे। हँसीं-मज़ाक चल ही रहा था कि परिधि को हिचकियाँ आने लगीं। रोहित पानी लाना भूल गया था। अतः वह दौड़ते हुए बाहर गया और एक गिलास पानी ले के लौटा। उसने पानी परिधि की ओर बढ़ाई। परिधि ने पानी को देखा फिर रोहित को और बोली,"तुम लोगों के हाथ का पानी हम लोग नहीं पीते हैं।"