Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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monika kakodia

Romance

3  

monika kakodia

Romance

ऑनलाइन इश्क़

ऑनलाइन इश्क़

3 mins
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घर के सभी कामों को मीनू जल्द से जल्द निपटा देना चाहती थी। इस जल्दबाज़ी में सब्जी काटते वक़्त चाकू की पैनी धार से मीनू का अंगूठा भी कट गया मगर मीनू को तो जैसे कोई दर्द ही महसूस नही हो रहा था। उसे तो बस नो बजे से पहले सारा काम ख़त्म करना था ।अभी नौ बजने में दस मिनट थे कि मीनू ने सारा काम समेट लिया । जल्दी जल्दी एक प्लेट में खाना डाल अपने लैपटॉप के सामने बैठ गयी। उसकी आँखों मे इंतज़ार और सुकून का एक अनोखा ही मेल था। जैसे किसी लॉटरी का नतीजा आना हो और मीनू को अपनी जीत का पूरा यकीन हो। मीनू ने अपने कपकपाते हाथों से जल्दी जल्दी लैपटॉप ऑन किया। लेकिन आज शायद उसके सब्र का इम्तेहान होना था , "ओहो...अब इ तुझे क्या हो गया ...ऑन क्यों नहीं हो रहा ये...???" मीनू किसी छोटे बच्चे की तरह ठिनकते हुए अपने लैपटॉप से ही शिकायत करने लगी । मीनू अब तक एक हाथ में खाने की प्लेट लिए ही बैठी थी , एक निवाला भी मुँह में नहीं डाला। सामने दीवार पर तंगी घड़ी की सुइयों की ओर देखते हुए मीनू ने अपनी खाने की प्लेट वापस मेज़ पर रख दी। भूख तो उसे पहले भी नही थी रही सही औपचारिकता भी पूरी करने का अब मीनू का मन नहीं था। उसकी धड़कने घड़ी की सुइयों से जैसे कोई दौड़ लगा रही थी। लाख कोशिशों के बावजूद लैपटॉप नहीं चल रहा था। दूसरे ही पल उसे मोबाईल का ख़्याल आया , और वह दौड़ती हुई मेज पर रखे मोबाइल की ओर लपकी। और एक नज़र फिर घड़ी की ओर देखने लगी । अब नौ बजने में केवल 5 मिनट बचे थे। अब मीनू के हाल कुछ ऐसे थे कि अपने ही मोबाइल का पासवर्ड भूल रही थी। कसके उसने अपनी आंखें बंद की और थोड़ा सोचने के बाद फिर से पासवर्ड लगा। लेकिन तो उसके इम्तेहान का ही दिन था। आज सुबह से जोरों की बारिश हो रही थी शायद इसीलिए मोबाइल में बस नाममात्र का ही नेटवर्क था। "उफ्फ...सारी प्रॉब्लम्स आज ही होनी थी...क्या करूँ अब मैं ???" मीनू ने अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढका और कुछ पल के लिए बस स्तब्ध बैठी रही।अब तो ऊपर वाले का ही सहारा बचा था । मीनू ने अपने कमरे की छत की ओर देखा , आँखे बंद की और पूरी ताकत से अपने हाथों को जोड़ ,अंगुलियों को आपस मे फंसाकर कहने लगी.. "प्लीज्... प्लीज्... प्लीज्.. भगवान प्लीज् कुछ करो ना...प्लीज् भगवान" मीनू ने फिर मोबाइल पर नज़र डाली , लेकिन शायद मीनू की प्रार्थना अभी तक भगवान के पास पहुंची नहीं थी। और अचानक बिजली के कड़कने की आवाज़ आने लगी । मीनू का दिल अब बैठा जा रहा था।उसे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था कि क्या किया जाए। बाहर के साथ मीनू की आँखों मे भी बारिश शुरू हो गयी थी। और कुछ बूंदे गालों से होते हुए लबों तक पहुंच गयी।अपनी गीली पलकों से मीनू ने एक बार फिर घड़ी की ओर देखा । अब नौ बज चुके थे।अपनी आंखों की बारिश को रोकने के लिए मीनू ने बेड के किनारे पर रखा तकिया उठाया और उसमें मुँह छिपा लिया । अचानक बाहर जोर से बिजली कड़कने की आवाज़ के साथ मोबाइल में मैसेज आने की ट्यून भी आई। जिसे सुनने में मीनू को जरा भी देर ना लगी । आँखों मे नमी और होठों पर मुस्कान लिए मीनू ने जल्दी से मैसेज देखा... हेलो...कैसी हो..?? आखिर मीनू ने अपने हिस्से की लॉटरी जीत ही ली।


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