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Prem Bajaj

Inspirational

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Prem Bajaj

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ऑनलाइन डेटिंग

ऑनलाइन डेटिंग

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आजकल बहुत सुनने में आता है कि इसकीउसकी जानपहचान आनलाइन हुई थी।

तो ऐसा एक किस्सा मैं आपको बताने जा रही हूँ, अब इसमें क्या नुक्सान है ये तो आप ही तय करें।

एक बार एक लड़के नें सिर्फ अपनी आँखो की तस्वीर लगा दी , उसकी आँखे बडी़ सुन्दर थी , काफी लाईक, कमैंट आए फेसबुक दोस्त तो हमारे 500 होते हैं लेकिन जानते हम उनमें से सिर्फ 50 को हैं। तो उसकी देखा देखी एक और लड़के ने भी जिसका नाम किरन था अपनी आँखो की पिक लगा दी। आजकल ई युग है सभी लोग बस हर बात में क्मप्यूटर की तरह फटाफट करना चाहते है। तो क्या हुआ जनाब वो दोनों की आँखे बहुत ही सुन्दर थी , एक दूसरे को पसन्द करने लगे। बिना जानकारी लिए एक दुसरे से प्यार भरी बातें शुरू हो गयी। दोनो के नाम ऐसे थे कि लड़की है या लड़का पता नहीं चलता एक नाम किरन और दूजे का नाम शम्मी। ये दोनो ही नाम लड़के और लड़कियों के भी होते हैं। ईश्क हो गया दोनो को। शम्मी को लगा कि किरन लड़की होगी और किरन को लगा कि शम्मी लड़की होगी, कहते हैं ना प्यार अँधा होता हैं बस इन्होने आँखे ही रख ली( प्यार में लोग अंधे हो जाते हैं।

शेयरोशायरी में बाते होने लगी, और एक दूसरे की तस्वीर ना देखने की कसमें खा ली।

तुमसे ना छिपाया कुछ भी, मुझसे मेरी कसम ले लो,

सिवाए मेरे दर्देग़म के , तुम मूरी जान चाहे सनम ले लो।

मत रोको तड़पने दो, शायद मोहब्बत में करार आ जाए। शायद मेरे तड़पने से किसी की जि़न्दगी में बहार आ जाए।

एक बार किरन ने फोटो देखने की बात की तो शम्मी को बुरा लगा, कि जब दोनों ने वायदा किया था कि एक दूसरे की तस्वीर नहीं देखेंगे तो किरन ने ये ख़वाहिश क्यों की। शम्मी ने भी लिख भेजा बना,बना कर तमन्ना मिटाई जाती है , तरह तरह से वफ़ा आज़माई जाती है। जब उनको मेरी मोहब्बत का एतबार ही नहीं, तो क्यों नज़रो से नज़र मिलाई जाती है।। खै़र किरन ने माफी मांगी।

तो जनाब दोनो मे फिर से सुलह हो गयी, अब बात बढी़ आगे रिशते तक तो एक जो है यूं एस में था तो उसने कहा कि जब तक हम वहाँ I भारत आए तब तक आनलाइन ही रिशता पक्का कर लेते हैं

अब आप कहोगे कि ऐसे कैसै हो सकता है तो जनाब उन दोनो में एक बात आम ये थी कि दोनो का लखनवी अन्दाज़ था। ( लखनवी अन्दाज़ थोड़ा हट के होता है जैसे हम तो जा रहे थे, अब हम में मेल,है या फीमेल शर्त अभी भी वही कि pic नही देखनी। दोनो ने एक दूसरे के पास काफी अच्छी खासी रकम भेजी कि एक दूसरे की तरफ से खुद अंगुठी ले ले और बाकी सामान भी। तो दोनों ने एक दूसरे की तरफ से तोहफ़े ले लिए, और इश्क चलता रहा। अब बारी आई शादी की और हनीमून पे जाने की। शादी की तारीख तय हो गयी। जनाब फैमिली में भी किसी को तस्वीर देखना नहीं था। बस ई मेल से हीसब होता रहा। शादी की सारी बुकिंग हो गयी।। अब हनीमून के लिए एक दूसरे से पूछा जाने लगा अब किरन ने शम्मी से पूछा कि कहाँ जाना है और शम्मी ने किरन से। जब बुकिंग की बात हुई तो किरन ने कहा कि हम बुकिंग कराते हैं और शम्मी ने कहा हम। खैर तय है गया कि कौन बुकिंग कराएगा। अब शादी के कार्डछपवाने के लिए और हनीमूनके लिए पूरा नाम ,पता वगैरा पूछे जाने पर ये भेद खुला किकौन है। तो सामने आया कि शम्मी (शम्मी कुमार )और किरन (किरन कुमार) ना कि शम्मी रानी और ना किरन बाला।

तो बेचारो की कँहा गयी शादी और कहाँ गया हनीमून वाह रे ई मेलका ज़माना, ये कैसा तेरा जनून।

तो अब तो उनकी शायरी कुछ ऐसी है

दर्द से वाकिफ ना थे , ग़म से शहनाई ना थी।।

हाय क्या दिन थे जब तबियत किसी पे आई ना थी।

तो अब आप ही बताए ई युग के फायदे या नुक्सान ?


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