नज़रिया
नज़रिया
दुनिया मे ना जाने कितने इंसान रहते हैं, कुछ खुश, कुछ दुखी और ऐसा होता क्यों है ?
क्यूंकि हर इंसान के जिंदगी जीने का तरीका अलग होता है ! किसी के पास सब कुछ होते हुए भी दुखी होता है और कोई गरीब होकर भी खुश होता है !
कुछ ऐसी ही कहानी है नमन और अंशु की, नमन बेहद खुशमिजाज और जिंदगी को जिंदादिली से जीने वाला लड़का है !
वही अंशु छोटी - छोटी बात पर चिढ़ाने वाला अपनी जिंदगी से हमेशा दुखी इंसान हर चीज में कमी निकालने वाला !
दोनों आपस मे दोस्त है, अंशु बैंक मैनेजर है फिर भी अपनी जॉब से खुश नहीं रहता, वही नमन लेखक है, पहले वह छोटी मोटी कहानियाँ लिखता था पर अब बड़ा साहित्यकार बन गया है समाज मे सम्मानित व्यक्ति और अपने काम मे खुश रहता है !
अंशु नमन को देखकर कुढ़ता रहता है, और सोचता है काश ! मे भी नमन की तरह लेखक होता तो मे भी इतना सम्मान और प्रतिष्ठा पाता !!
नमन को जब पता चला तो उसने अंशु को समझाया के इंसान को ख़ुशी उसके नजरिये से मिलती है, हम जहाँ है जैसे है हमें खुश रहना चाहिए छोटी छोटी ख़ुशी ही बड़ी ख़ुशी मे बदल जाती है, हमारा काम हमें ख़ुशी नहीं देता बल्कि हम अपनी जिंदगी को किस नज़रिये से देखते है अपनी परेशानी से कैसे कुछ सीख कर हिम्मत से आगे बढ़ते है इसमें ख़ुशी मिलती है !!
जिंदगी जीने का सलीका कमी ढूढ़ना नहीं, छोटी - छोटी खुशियों मे ख़ुश रहना है !
