नोआखाली जेनोसाइड
नोआखाली जेनोसाइड
अक्सर हम बात करते हैं इंसानियत की और खोजते रहते हैं एक दूसरे में इंसनियत और खोजते खोजते खुद के भीतर की इंसानियत को ही भूल जाते हैं, यदि हमें इंसनियत कहीं ढूंढनी ही है तो सबसे पहले खुद के भीतर ढूंढनी चाहिए , ये देश सभी धर्मों का घर है आज जो हम सभी धर्मों को ढोकर यहाँ तक पहुँचे है न इसके पीछे बहुत से लोगो ने अपनी शहादत दी है वो मंजर बहुत ही ज्यादा ख़ौफ़नाक और दिलदहला देने वाला था। बात है 1946 अगस्त की जब मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता मुहम्मद अली जिन्ना ने सीधी करवाही दिवस घोषित कर दिया था क्योंकि उनको पाकिस्तान चाहिए था जिस निर्णय से कांग्रेस और पूरा देश ना खुश था, पर मुस्लिम लीग जैसी छोटी सी पार्टी सरकार कैसे बना सकती थी इस लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा पाकिस्तान की मांग को रद्द कर दिया गया था जिस चीज से गुस्सा होकर कायदे आजम ने सीधी करवाही दिवस घोषित किया , सीधी करवाही का मतलब था यदि आप हमें प्यार से पाकिस्तान नही देंगे तो हम हिंसा से अपना पाकिस्तान छीन लेंगे, उस समय हाल ही में चुनाव हुए थे और ब्रिटिश सरकार ने भारत को कोंम के हिसाब से बाँट दिया था, जिसमे जहाँ मुस्लिम और जहाँ हिन्दू जनसंख्या ज्यादा होगी वहां वो ही धर्म के लोग सरकार बनाएंगे जो भारत को आने वाले समय मे जलाने वाला था।
मुस्लिम को पाकिस्तान चाहिए था और मुस्लिम की अधिक आबादी थी बंगाल में और इसी लिए बंगाल में मुस्लिम सरकार भी थी और उनके CM थे साहब सोहरावर्दी जिन्होंने उस दिन सभी पुलिस बल को छुट्टी दे दी थी और फिर शुरू हुआ था कत्लेआम जिसमे लोग आपस मे लड़ गए थे और मुस्लिम आबादी ज्यादा होने की वजह से वहां हिंदू आबादी को बहुत जान माल की हानी हुई पर सबसे ज्यादा कत्लेआम हुआ था नोआखाली में जहाँ हिन्दू आबादी को लगभग खत्म ही कर दिया गया था पर ऐसा नही है सिर्फ हिन्दू लोगो को नुकसान हुआ था जान माल तो दोनों तरफ ही बहुत हुआ था, नोआखाली में oct 1946 में इतना भयानक दृश्य था कि देखने वाले कि रूह तक कांप जाए वहां लोगो की लाशों को गिद्द खा रहे थे और शवों में से बहुत भयानक बदबू आ रही थी पर असल मे वो गिद्द इंसानों को नही इंसानियत को खा रहे थे , उस समय हमारे सेना के कमांडर एक ब्रिटिश थे जो अपने एक इंटव्यू में बता रहे थे कि वहाँ पास ही में एक कुआँ था जो ऊपर तक शवों से भरा हुआ था और बदबू जानलेवा थी और उन्होंने बताया कि जो महिलाएं पेट से थी उनका पेट काट कर उनके बच्चे को बाहर निकालकर दोनों माँ बच्चे को सड़क पर फेंक दिया था ऐसे दृश्य उन्हें देखने को मिले।
ये बहुत ही भयानक मंजर था भारतीय इतिहास के लिए नोआखाली में बत्तर हालातों को देखते हुए महात्मा गांधी वहां पहुँचे और दंगे बंद कराने के लिए नंगे पैर चले और भजन सभाएं करी पर उसका कोई फायदा नही हुआ और दंगे को देखते हुए पाकिस्तान की मांग को मान लिया गया, पर इन सब कारनामों से फायदा क्या हुआ आज पाकिस्तान एक अलग देश है पर क्या वो आज एक सुपर पावर बन पाया है या उसकी आवाम आज खुश है ?
इसका जवाब है नही क्योंकि इतने लोगो की दर्दनाक हत्याओं से और सबसे बड़ी बात इंसानियत की हत्या से कोई खुश रह ही नही सकता जिसका परिणाम 1971 में बांग्लादेश ने और आज पाकिस्तान खुद कर्ज में डूबा हुआ है और उसकी आवाम भी उससे खुश नही है , अभी कुछ दिन पहले दशरहा था मैने एक पोस्ट डाली थी जिसमे मैने कहा था इंसान बनने के लिए क्या रावण का पुतला जलाना काफी है या अंधेरे को खत्म करने के लिए बहुत सारे दीपक जलना , इंसान बनने के लिए अपने भीतरी रावण को मारना जरूरी है यदि उजाला करना है तो पहले अपने भीतरी मन में उजाला करो यदि ये सब नही कर सकते तो इन सब दिखावी आडम्बरों का कोई मतलब नही बनता, अंत मे एक बात से इसे पूरा करूँगा -- मर रही है इंसानियत दुनिया लगी है रोने में, गुज़र रही है जिंदगी यू ही रोने धोने में, तू चाहे किसी को भी मानता होगा ऐसे न तू नादान बन हिन्दू बन या मुसलमान बन पहले तू इंसान बन , सिसक रही है माँएं बैठकर कही अंधेरे कोने में फुर्सत हो तो पूछना क्या दर्द है किसी को खोने में, तू भी तो किसी का बेटा होगा ऐसे न तू हैवान बन हिन्दू बन या मुसलमान बन पहले तू इंसान बन।