Sandeep Panwar

Drama

4.8  

Sandeep Panwar

Drama

वीरान रास्ते

वीरान रास्ते

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एक कहानी एक कॉलोनी की जहाँ 

लोग है कानून है बस इंसान नहीं है

ये लोग नहीं है इनके कोई जज्बात नहीं है

यहाँ सब कुछ है बस इंसान नहीं है।


बरसों पहले की ये कहानी है 

जहाँ वीरान थे रास्ते और 

सूखे फलो की ये जुबानी है। 


आंख खोली थी मैंने यहाँ

सब सही मानकर 

कुछ नम आंखों को खुशी मिली थी 

बस यहीं बात जानकर।


वीरान रास्तो की नम 

उन आंखों में मुझे दिखी थी 

नाकामयाबी उनके बहुत छुपाने में।


जबसे इन रास्तो पे चलता मैं जा रहा हूँ

मुड़ना है कही पर मुड़ा कही जा रहा हूँ

ये दलदल है कोई या गहरा कुआ है 

यहाँ सब कुछ है झूठ हर इंसान ही अधूरा है।


मैं पला हूँ यहाँ बस ये ही मेरी हकीकत है

मैं बुरा नहीं हूँ जनाब

इस दलदल की यही फितरत है।


यहाँ चेहरों पे ऐसे चेहरे है

जैसे अन्धो की बस्ती में हजारों बहरे है

मैं चेहरों में चेहरे समझ नहीं पता हूँ

जब ही इन रास्तों पर

आसानी से भटक जाता हूँ।


मुझे छोड़ो न इन रास्ते पर 

यहाँ इंसान नहीं शैतान बहुत है

तुम समझते नहीं मेरे भीतर भी

कतरे कतरे में हैवान बहुत है।


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