नेगेटिविटी को हावी न होने दे
नेगेटिविटी को हावी न होने दे


डियर डायरी,
अपने पिछले ब्लॉग में मैने लिखा था कि लॉकडाउन का दूसरा दिन मेरे लिए अच्छा और बुरा दोनों ही प्रतिक्रिया लेकर आया था। तो आज है लॉकडाउन का तीसरा दिन। मुझे खुशी है कि अब पतिदेव न्यूज़ और सोशल साइट्स के बजाय परिवार के साथ समय बिता रहे है और फिलहाल कोरोना की खबरों से दूरी बना ली है क्योंकि वो उनके दिमाग मे हावी हो रही थी। इसका मतलब यह नहीं की उन्होंने कोरोना वायरस के प्रति लापरवाही शुरू कर दी है वो सजग है। बाहर जाते समय और घर पर जरूरी सभी सावधानी बरतते है। मगर उन्होंने नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता का रास्ता अपना लिया है।
बहुत बड़ा सत्य है कि जीवन कहीं ठहरता नहीं और सब कुछ कभी खत्म नहीं होता। लेकिन कोरोना वायरस जैसे संकटों से जीवन में कभी कभी ऐसे क्षण आ जाते है जब लगता है मानो सब खत्म हो रहा है। लेकिन किसी ने कहा है कि उम्मीद की मद्धिम लौ नाउम्मीदी से कहीं बेहतर है। बस जरूरत कदम उठाकर चलने की होती है, विश्वास की शक्ति को जागृत करने की होती है। पति को इस नकारात्मक की सोच से उबारने के लिए मैंने उन्हें बिजी रखने का सोचा। आज लॉकडाउन के तीसरे दिन उन्होंने बेटे के साथ समय बिताया, उसके साथ मस्ती की, कार्टून भी देखा। एक पत्नी होने के नाते इससे बड़ी खुशी मेरे लिए और क्या हो सकती है।
मेरा मानना है कि यदि आप खुद को पॉजिटिव रखना चाहते है तो अपने आसपास ऐसा वातावरण बनाना होगा जो पॉजिटिव हो। आप अपनी लाइफ से ऐसी चीजों को दूर कीजिये जिनकी वजह से आपकी सोच में नेगेटिविटी आती हो। जैसा कि मेरे पति ने किया मोबाइल और सोशल साइट्स से दूरी बना कर।