Nitin Srivastava

Crime Drama Inspirational

3.6  

Nitin Srivastava

Crime Drama Inspirational

मुझे क्यों मारा?

मुझे क्यों मारा?

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राजीव अपनी पत्नी श्वेता और अपने ढाई साल के बेटे चिनमय (चीनू) के साथ गुड़गाँव में एक घर में रहता था। उनका एक ठीक-ठाक सा हँसता खेलता परिवार था। चीनू का अपने पापा से बहुत लगाव था, सो पापा से चिपक कर ही सोता था।  एक रात अचानक राजीव को महसूस हुआ, जैसे कोई उसे जगाने की कोशिश कर रहा है। आँख खुली तो राजीव ने देखा कि चीनू उसके सीने पर चढ़ा हुआ है।  चीनू की आँखें बहुत बड़ी हो गयी थीं और वो बहुत गंभीर लग रहा था। चीनू बहुत ही गंभीर और दुखी आवाज़ में बोला, "आपने मुझे क्यों मारा ?" और इतना कह कर रोने लगा। राजीव को लगा कि चीनू ने कोई सपना देख लिया है और डर गया है, उसने चीनू को अपने से चिपका लिया। थोड़ी देर में ही चीनू दोबारा सो गया। सुबह उठने पर सब कुछ सामान्य था, राजीव भी रात की बात भूल गया। एक हफ्ता ऐसे ही बीत गया। ठीक एक हफ्ते के बाद वही घटना दोबारा हुई। इस बार राजीव ने श्वेता को ये बात बताई। श्वेता इस बात से थोड़ी परेशान हो गई, क्योंकि उसका मानना था कि दो बार, एक जैसी घटना इत्तेफाक नहीं हो सकती। उसने चीनू से घुमा फिरा कर पूछा पर चीनू कुछ भी बता नहीं पाया, जैसे उसे कुछ याद ही नहीं था। खैर फिर हफ्ता बीत गया और कुछ नहीं हुआ। लेकिन ठीक एक हफ्ते के बाद वही घटना हुई। चीनू उठ कर बस यही पूछता कि आपने मुझे क्यों मारा और रोने लगता। अब राजीव और श्वेता को चिंता होने लगी, उन्होंने तय किया कि वो डाक्टर से बात करेंगे। दोनों चीनू को लेकर अपने पारिवारिक डाक्टर के पास गए। डाक्टर ने चीनू को देखा और सारी बात सुनी मगर उन्हें कोई परेशानी नहीं दिखी। डाक्टर ने दोनों को सलाह दी कि उन्हें किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए क्योंकि चीनू की समस्या शारीरिक न होकर मानसिक लगती है। राजीव और श्वेता की चिंता और बढ़ गयी।

राजीव ने एक मानसिक रोग विशेषज्ञ का पता किया जो कि बच्चों के रोगों की विशेषज्ञ थीं। दोनों चीनू को लेकर उनके पास गए। डाक्टर बहुत ही अनुभवी और समझदार औरत थी। उन्होंने सारी बात सुनी, चीनू का चेकअप किया फिर राजीव और श्वेता को बाहर बैठने को बोला। दोनों बाहर आ गए और डाक्टर ने चीनू को एक खिलौना देकर अपने पास बैठा लिया और अपने तरीके से बात करनी शुरू की। लगभग एक घंटे के बाद डाक्टर ने दोनों को अंदर बुलाया और बैठने के लिए बोली। डाक्टर ने बहुत ही गंभीर आवाज़ में बताना शुरू किया, "राजीव जी मैंने आपके बेटे से बहुत सारी बातें करी और आप तो जानते ही होंगे कि ‘हम’ लोगों के अन्दर से वो बातें भी निकाल लेते हैं, जो वो होशो हवास में खुद भी नहीं जान पाते। बातों-बातों में, जो मैं चीनू से जान पाई, वो आपको बताना चाहती हूँ। हो सकता है आपको मेंरी बातें थोड़ी अजीब लगें पर ये सच हो सकता है। चीनू की बातों से लगता है कि उसका पुनर्जन्म हुआ है, और पिछले जन्म में उसकी मौत आकस्मिक और अप्राकृतिक रूप से हुई थी, तथा उसकी मौत के लिए किसी न किसी तरह से आप ज़िम्मेदार हैं। इसीलिए चीनू बार-बार आपसे कहता है कि ‘आपने उसे क्यों मारा’। एक डाक्टर होने के नाते मेरे लिए भी इस पर विश्वास कर पाना कठिन है पर इसकी बातें यही इशारा कर रही हैं। आप याद करने की कोशिश कीजिए क्या कभी कोई ऐसी घटना हुई है आपके साथ, जिसमें आपकी वजह से किसी की मौत हुई हो?"
राजीव याद करने की कोशिश करता है, मगर उसे कुछ भी याद नहीं आता। तीनों घर आ जाते हैं पर राजीव के दिमाग में अभी भी डाक्टर की बात गूँज रही थी। रात में सोते समय राजीव फिर अपने दिमाग पर ज़ोर डालकर सोचता है, तब उसे याद आता है करीब 6 साल पहले जब उसने नई कार खरीदी थी। एक दिन वो देर रात ऑफिस से निकल कर घर जा रहा था कि तभी एक सूनसान जगह पर उसकी कार की टक्कर एक मोटरसाईकिल से हो गई। टक्कर की वजह से मोटरसाईकिल और उस पर सवार व्यक्ति दोनों सड़क के किनारे जा गिरे। एक तो नई कार ऊपर से सूनसान जगह, राजीव घबरा गया और कार नहीं रोकी। राजीव ने श्वेता को पूरी बात बताई, लेकिन ये भी कहा कि उसे बिलकुल नहीं पता कि वो आदमी बचा था या नहीं। दोनों ही इस बात को लेकर बहुत घबराए हुए और बेचैन थे। राजीव ने श्वेता से कहा कि वो उस आदमी के बारे में पता लगा कर रहेगा, क्योंकि उसे उम्मीद थी कि शायद वहाँ से चीनू के ठीक होने का कोई रास्ता मिल जाये। राजीव ने पता लगाना शुरू किया तो पता चला कि वो आदमी ज़्यादा चोट लगने के कारण वहीं मर गया था। मानेसर थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी और उस आदमी की शिनाख्त हो गयी थी, पर कार वाले का पता न लगने के कारण केस बन्द हो गया। ये सारा ब्योरा और उस आदमी का नाम पता थाने में मौजूद था। राजीव ने जान पहचान निकाल कर उस आदमी का नाम और पता मालूम कर लिया। अब राजीव और श्वेता ने तय किया कि वो वहाँ जाऐंगे और पता करेंगे कि क्या हुआ था।

अगले दिन ही दोनों चीनू को लेकर उस पते पर पहुँच गए। घर की चौखट पर पहुँच कर राजीव ने चीनू की तरफ देखा, मगर चीनू बिलकुल सामान्य था। ये एक पुराना सा घर था राजीव ने धड़कते दिल के साथ घर का दरवाज़ा खटखटाया। थोड़ी देर के बाद, एक करीब 40 से 45 वर्ष की महिला ने दरवाज़ा खोला। राजीव ने बताया कि वो रहमत भाई (मृत व्यक्ति) का पुराना मित्र है और बहुत सालों के बाद शहर में वापस आया है और आने के बाद उसे रहमत भाई की मौत के बारे में पता लगा इसलिए उनके परिवार का हालचाल लेने आ गया। उस महिला ने बताया कि वो रहमत की पत्नी है और घर में उसके अलावा परिवार में उसके दो बेटे हैं  और रहमत के बूढ़े अब्बू जो चल फिर नहीं सकते। बेटे अभी छोटे हैं इसलिए घर चलाने की ज़िम्मेदारी रहमत की पत्नी पर ही है।
राजीव और श्वेता को सब सुन कर बहुत दुःख हो रहा था, राजीव को ऐसा लग रहा था जैसे वो ही सबका ज़िम्मेदार है। सारी बातों के बीच में कई बार राजीव और श्वेता ने चीनू की तरफ देखा मगर चीनू की ओर से कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दी। थोड़ी देर के बाद उन्होंने उन लोगों से विदा ली और अपने घर की ओर चल दिए। रास्ते में श्वेता ने राजीव से पूछा कि उसने उन लोगों से चीनू के बारे में बात क्यों नहीं की। राजीव ने कहा कि चीनू की प्रतिक्रिया से ऐसा कहीं से भी महसूस नहीं होता कि वो उस घर को या वहाँ के लोगों को पहचानता है और पता नहीं सारी बात जानकर वो लोग क्या करते हैं। राजीव के हिसाब से उनको अभी थोड़ा और देख समझ कर कदम उठाना चाहिए। इस बीच एक बार फिर वही घटना हुई, चीनू ने राजीव को जगाया और कहा, "आपने मुझे क्यों मारा? " और रोने लगा, राजीव ने चीनू को अपने सीने से लगा लिया और बोला, "मैं आपको आपके घर लेकर गया पर आपने पहचाना ही नहीं।" चीनू ने बहुत ही अजीब तरह से राजीव को देखा और लगभग चिल्ला कर बोला, "नहीं वो मेंरा घर नहीं है।" और इतना कह कर वो और तेज फूट-फूट कर रो पड़ा। श्वेता जो अब तक सारी बात सुन रही थी बहुत ज़्यादा घबरा गयी। कुछ ही पलों में चीनू सो गया मगर राजीव और शवेता की नींद उड़ चुकी थी, दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें कहाँ जाएं ।

दोनों ने एक बार फिर मनोचिकित्सक से बात करने का सोचा, राजीव ने अगले दिन के लिए डाक्टर से मिलने का समय ले लिया। निश्चित समय पर दोनों चीनू को लेकर डाक्टर के पास पहुँचे। राजीव ने डाक्टर को अब तक जो भी हुआ सब बताया। सारी बातें सुनकर डाक्टर भी सोच में पड़ गई। उसने दोनों को बाहर बैठने को बोला और चीनू से बातें करनी शुरू की। धीरे-धीरे चीनू डाक्टर के सम्मोहन में आकर सारी बातें बताने लगा। 

2 घंटे तक चीनू से बात करने के बाद डाक्टर ने राजीव और श्वेता को अंदर बुलाया। डाक्टर की आँखें नम थीं। डाक्टर ने शवेता की ओर देखकर पूछा,  "श्वेता जी अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपसे  कुछ बहुत निजी सवाल करना चाहती हूँ।" श्वेता ने तुरंत जवाब दिया, "डाक्टर अगर यह मेंरे बेटे की बिमारी से सम्बन्धित है तो आप जो चाहें पूछ सकती हैं।" डाक्टर ने चीनू को नर्स के साथ दूसरी तरफ भेज दिया और श्वेता से बात शुरू की, "चीनू के जन्म से पहले भी आप एक बार गर्भवती हुई थीं मगर आपका गर्भपात हो गया था, क्या यह सच है।" श्वेता थोड़ी परेशान होकर बोली, "हाँ, मगर इस बात का चीनू से क्या सम्बन्ध है।" डाक्टर ने श्वेता की आँखों में देखते हुए बोला, "आपने गर्भपात क्यों कराया?" श्वेता कुछ नहीं बोली केवल राजीव की ओर देखने लगी। राजीव बोला, "डाक्टर, यह तब की बात है जब हमारी शादी को केवल एक साल हुआ था और हम परिवार को बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थे इसलिए.." डाक्टर ने उसकी बात काटते हुए कहा, "क्या केवल यही वजह थी या कुछ और भी?" इतना सुनने के बाद श्वेता रोने लगी। डाक्टर ने बोलना शुरू किया, "मैं सच सुनना चाहती हूँ राजीव जी, आपके मुँह से।" राजीव के चेहरे पर बेचैनी और घबराहट थी उसने बोला, "दरअसल बात यह है कि हमें पता चल गया था कि वो लड़की है और मैं पहला बच्चा लड़का चाहता था इसलिऐ मैंने श्वेता को इस गर्भ को गिराने के लिए समझाया।" डाक्टर ने कहा "और इसलिए आपने अपनी ही बेटी की जन्म से पहले हत्या कर दी। आज वो आपके बेटे के रूप में आकर आपसे अपनी हत्या का जवाब माँग रही है। जी हाँ, चीनू आपकी उसी बेटी का पुनर्जन्म है। शर्म आनी चाहिए आपको, आप जैसे पढ़े लिखे लोग ऐसा करेंगे तो औरों को हम क्या समझाएंगे। जाइए अपनी बेटी से माफी मांगिए हो सकता है वो आपको माफ भी कर दे क्योकि बेटियाँ ऐसी ही होती हैं लेकिन मैं और ये समाज आपको कभी माफ नहीं करेगा।"


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