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Shiva ji Soni

Romance

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Shiva ji Soni

Romance

मोहब्बत का सफर

मोहब्बत का सफर

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उत्तर प्रदेश में इटावा जिले का एक छोटा सा गांव हैं जहां पर करन नाम का एक लड़का रहता था।जो आठवीं क्लास तक प्राइवेट स्कूल में पढ़ा, इसके बाद नाइंथ क्लास में उसने गवर्नमेंट स्कूल मे एडमिशन लिया। से उसकी जिंदगी का एक नया सफर चालू हुआ।वहां पर जाने के बाद उसका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता,अपने दोस्तों के साथ इधर उधर मस्ती करता,नाइंथ क्लास किस तरह से पास हो गया,लेकिन दसवीं में आकर वह फेल हो गया।उसके घर वाले उसकी आदतों को देख कर बहुत परेशान थे करन एक गरीब किसान का बेटा था।जब वह दसवीं में फेल हो गया,तो उसके मां-बाप बहुत दुखी हुए।और करन ने पढ़ाई करने से मना कर दिया।फिर उसके पिताजी ने उसे दिल्ली उसके मामा जी के पास काम सीखने के लिए भेज दिया।

दिल्ली

जब करन दिल्ली पहुंचा तो उसे बहुत अजीब लग रहा था।दिल्ली रेलवे स्टेशन की बदबू,करन को सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी थी। करन को बहुतअजीब लग रहा था,करन सोच रहा था मैं कहां पहुंच गया।फिर करन अपने मामा जी के घर पर गया।करण के मामा जी का छोटा परिवार था।

उसके मामा रवि और मामी निहारिका और उनके दो बेटे मोहन और महेश थे। मोहन कॉलेज में पढ़ता था औऱ महेश अभी स्कूल में ही था


मामी-

करन बेटा आप अपना सामान महेश के रूम में रख लो और फ्रेश होकर आ जाओ हम सब नाश्ता करते हैं।करन फ्रेश होकर आया,और सबके साथ बैठ कर नाश्ता किया।करन सफर से थका हुआ था,वह आराम करने चला गया।शाम को करन सो कर उठा, और मामी से कहा मैं राहुल के घर पर जा रहा हूं शाम तक आ जाऊंगा।मामी ने कहा बेटा करन यह गांव नहीं है,दिल्ली है यहां जरा ध्यान से रहना और शाम तक घर आ जाना या मुझे फोन कर देना।करन ने कहा मामी आप निश्चिंत रहें,मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा,हो सका तो मैं शाम तक आ जाऊंगा या फिर,आपको फोन कर दूंगा।करन मामी के यहां से राहुल के घर के लिए निकल जाता है।राहुल करन के बचपन का दोस्त था,और उन दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी,सिक्स क्लास तक दोनों साथ ही पढ़े थे।राहुल की मम्मी पापा काम के चलते दिल्ली में शिफ्ट हो गए थे,राहुल के मम्मी पापा भी करन को अपने बेटे जैसा मानते थे। राहुल का घर करन के मामी के घर से 5 किलोमीटर दूर था।

करन राहुल के घर पहुंचता है, राहुल के घर पर सिर्फ राहुल की मम्मी और राहुल थे।

करन- नमस्ते चाची।

( करन राहुल की मम्मी को चाची कहता था )

चाची- नमस्ते बेटा तुम गांव से कब आए और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है। और तुम्हारे मम्मी पापा कैसे हैं।

करन- मम्मी पापा ठीक हैं और पढ़ाई बढ़िया चल रही है बस मामा के साथ दिल्ली घूमने चला आया कुछ दिनों के बाद गांव चला जाऊंगा।( करन ने जानबूझकर झूठ बोला )

राहुल बीच में टोकता हुआ मम्मी सारी बातें अभी अभी पूछ लो गी या कुछ नाश्ता भी करआओगी।राहुल की मम्मी नाश्ता बनाने चली जाती है।

राहुल करन को छेड़ते हुए, लगता है तेरी मम्मी पापा ने तेरी हरकतों की वजह से घर से निकाल दिया।करन थोड़ा गुस्से में कहता है,ज्यादा बकवास मत ना करो वरना यही ठोकने लगेंगे।राहुल यार मैं तो मजाक कर रहा था।

जब तक राहुल की मम्मी नाश्ता ले आती है,दोनों नाश्ता करते हैं फिर राहुल कहता है चल छत पर बैठते हैं,वहां पर धूप है दोनों छत पर चले आते हैंनवंबर दिसंबर का महीना था हल्की धूप बहुत प्यारी लग रही थी दोनों बैठकर आपस में बातें करने लगते हैं।सामने एक बिल्डिंग थी जो कि,1 मंजिल की बनी हुई थी ।उस पर एक पीले कलर की ड्रेस पहने हुए लड़की बैठी हुई थी,बहुत ही खूबसूरत खुले बाल एकदम पतली और गोरी। करन उसकी तरफ देखा तो उसी में खोकर रह गया।वाह लडकी खड़ी हुई और राहूल से पूछती है,यह कौन है । राहूल कहता है यह मेरा दोस्त है,कल ही गांव से आया है। बस इतना पूछ कर लड़की नीचे चली जाती है।

और दोनों दोस्त आपस में बातें करने लगते हैं,कुछ घंटे बिताने के बाद करन अपने मामा जी के घर पर आ जाता है।करन के मामा जी की मोबाइल की शॉप थी,जहां पर ओ रिपेयरिंग का भी काम करते थे।मामा जी ने करन से कहा कि,आज आराम कर लो कल से शॉप पर चलना है।करन ने कहा ठीक है मामा जी,और जाकर खाना पीना खाकर सो गया।दूसरे दिन करन मामा जी के साथ शॉप पर गया।मामा जी की बहुत अच्छी दुकान थी और उस इलाके में काफी नाम भी था मामा जी के यहां रिपेयरिंग का काम साहिल नाम का एक लड़का संभालता था। मामा जी ने कहा करन तुम्हें साहिल के साथ काम सीखना है।देखो यह क्या कर रहा है,और सीखो।करन साहिल से मिला और काम सीखने लगा।

दो-तीन घंटे बाद करन बोर होने लगा करन ने कहा मामा जी मैं अपने दोस्त के पास जा रहा हूं,आज मन नहीं लग रहा,कल से काम करूंगा।मामा जी ने कहा ठीक है पर धीरे-धीरे काम की आदत डालो करन ने कहा ठीक है मामा जी थैंक यू। और करन अपने दोस्त के पास चल दिया। करन का दोस्त राहुल फर्स्ट फ्लोर पर रहता था।जब करन वहां पहुंचा तो नीचे एक लड़की मिली। लड़की कहती है हेलो मैं प्रीति,तुम्हारे बारे में प्रिया पूछ रही थी।

करन ने कहा कौन प्रिया? मैं तो किसी को नहीं जानता। प्रीति ने कहा जो पीछे की मकान में लड़की रहती है वह।

करन ने कहा ठीक है।फिर करन ऊपर राहुल फ्लैट पर चल दिया लेकिन फ्लैट में ताला लगा हुआ था,तो करन ने राहुल को फोन लगाया और कहा मैं घर पर हूं तू कहां है,और चाची कहां है? राहुल ने कहा मैं थोड़ा सामान लेने आया था,और मम्मी किसी काम से बाहर गई है शाम तक आएंगी तु छत पर बैठ मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं,करन छत पर चला जाता है।

 सामने वही लड़की जिसको करन ने कल देखा था,वाह भी धूप में बैठकर कुछ स्टडी कर रही थी। करन को देखकर वह थोड़ा मुस्कुराई और छत की दीवार की तरफ आई और,करन से बोली "आप हरियाणा से हो?" करन ने कहा "नहीं मैं यूपी इटावा जिले से हूं।"

लडकी बोली "ठीक है लेकिन तुम शक्ल से हरियाणवी लगते हो?"

" करन ने कहा नहीं मैं इटावा से हूं।"इतना पूछ कर वह चली गई।

अगले दिन सोमवार था मामा की शॉप सोमवार को बंद रहती थी,तो करन उस रात राहुल के घर पर रुक गया। और उस लड़की के बारे में सोचने लगा।

करन ने राहुल से पूछा ओ जो पीछे लड़की रहती है उसका नाम क्या है। राहुल में मजे लेते हुए कहा क्या बात है बेटा दिल्ली में आए नहीं और आशिकी चालू।"

"करन ज्यादा बकवास मत कर मैं तेरा मुंह तोड़ दूंगा मैं तो सिर्फ नाम पूछ रहा था।"

" राहुल अरे यार गुस्सा क्यों होता है मैं तो सिर्फ मजाक कर रहा था,उसका नाम प्रिया है वाह नाइंथ क्लास में सर्वोदय स्कूल में पड़ती है।"

करन ने कहा "तुझे बहुत डिटेल पता है,बेटा चक्कर मैं खुद लग रहा है और बोल रहा है मैं आशिकी कर रहा हूं।"

"राहुल अबे ऐसी कोई बात नहीं है मनीषा मेरी फ्रेंड जो इसी के साथ पढ़ती है उसने बताया वैसे हम पड़ोसी हैं इतनी कॉमन बात तो पता ही होनी चाहिए।

और वह लड़की जिसने बोला था प्रिया तुम्हारे बारे में पूछ रही है उसका नाम प्रीति था।"

करन सुबह जब घर जाने लगा तो उसे नीचे प्रीति मिल गई।करन ने प्रीति से कहा कि "प्रिया से पूछना वह मेरे से फ्रेंडशिप करेगी।" और करन मुस्कुरा दीया।

प्रीति बोली "ठीक है मैं पूछ लूंगी।"

और करन मामा जी के घर चला आया। और मामा के काम में उनकी मदद करने लगा।3,4 दिन के बाद करन फिर राहूल के पास दोबारा गया तो नीचे प्रीति मिल गई और बोली वह तैयार है।

करन कहा "सच में तुम मजाक तो नहीं कर रही हो।"

प्रीति "मुझे मजाक करने का शौक नहीं है।"

करन ने कहा "प्रिया का फोन नंबर है?"

प्रीति ने कहा "प्रिया फोन नहीं चलाती,वाह इस समय पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे रही है।"

करन ने कहा पढ़ाई करके क्या कर लेगी कुछ काम नहीं आता फालतू का टाइम पास है।फिर दोनों हंसने लगे।प्रीति ने कहा वाह शाम 5:00 बजे ट्यूशन के लिए जाती है वहीं उससे बात कर लेना।

करन ने कहा "चलो ठीक थैंक यू।"

करन शाम को सद्भावना इंस्टीट्यूट के सामने पहुंच गया,और प्रिया का इंतजार करने लगा।थोड़ी देर के बाद करन को प्रिया दिखाइ दी, करन ने दूर से ही प्रिया को हाय बोला।प्रिया ने करन को वही रुकने का इशारा किया, और खुद करन के पास आ गई।

प्रिया हां बोलो क्या काम है? प्रिया शहर की चालाक लड़की थी वह चाहती थी की बात की शुरुआत करन ही करे।

करन कहता है, "प्रीति ने तुमसे कुछ बोला था।"

प्रिया कहती है "प्रीति की छोड़ो तुम बताओ क्या कहना चाहते हो।"

करन कहता है "मैं तुमसे फ्रेंडशिप करना चाहता हूं।"

प्रिया कहती है "हम सिर्फ फ्रेंड रहेंगे उससे आगे कुछ नहीं।"

करन ने कहा ठीक है। फिर दोनों कभी कभी मिलने लगे।करन को जब भी मिलना होता तो करन टाइम निकालकर प्रिया के ट्यूशन क्लास के बाहर पहुंच जाता था।कुछ दिनों में प्रिया के फ्रेंड्स को भी मालूम हो गया की दोनों फ्रेंड है,और उनसे भी करन की दोस्ती हो गई।पर प्रिया के लिए करन के मन में ढेर सारी फिलिंग थी, करन प्रिया को बहुत प्यार करने लगा था।कुछ दिनों में करन की हालत ऐसी हो गई कि उससे 1 दिन भी ना मिले तो बहुत परेशान हो जाता था। अब तो करन की हालत ऐसी हो गई थी कि वह सोते जागते हर टाइम बस प्रिया के बारे में सोचता रहता था और उससे मिलने के बहाने ढूंढता रहता था। इधर करन मामा जी का सारा काम संभालने लगा था करन ने सोचा अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता अब मैं प्रिया को बता दूंगा कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं।

करन शाम को तैयार होकर शाम को 5:30 बजे प्रिया के इंस्टीट्यूट के पास पहुंचा प्रिया बाहर आई तो दोनों एक साथ चल रहे थे। तभी प्रिया ने कहा कि करन मैं तुमसे एक बात बताना चाहती हूं।

करन ने कहा "बताओ क्या बात है।" करन और एक्साइटिड हो गया था। करन ने सोचा शायद मेरे बोलने से पहले हि प्रिया समझ गई है।

 प्रिया ने कहा "मेरा एक बॉयफ्रेंड है जिसका नाम शाहरुख है मैं उससे बहुत प्यार करती हूं।"

इतना सुनकर कारन की हालत ऐसी हो गई जैसे किसी आदमी को करंट लग जाता है, करन अंदर से पूरा टूट गया था बड़ी मुश्किल से करन ने अपने आप को संभाला और थोड़ा हंसने की कोशिश की पर करन की आंखें धोखा दे रही थी और वह एकदम सुन पड़ जाता है।

करन ने प्रिया से कहा "मुझे थोड़ा काम है मैं मामा के घर जा रहा हूं।"

वहां से करन मामा जी के घर चला आया लेकिन करन के आंखों से आंसू बहना बंद नहीं हो रहे थे। और घर पर जाकर करन चुपचाप लेट गया। लेकिन आंखों से आंसू बंद नहीं हो रहे थे।

मामी ने पूछा "क्या हुआ करन? "

करन ने कहा "कुछ नहीं घर की याद आ रही "और पूरी रात आंखों से आंसू चलते रहे। रोने की वजह से करन की आंखें पूरी सूज गई थी और लाल हो गई थी।

कुछ दिनों के बाद करन मामा जी के काम पर जाता पर वहां बिल्कुल मन नहीं लगता।मामा यह सब देख कर बहुत गुस्सा हुए और करन को गांव भेजने के लिए बोलने लगे।पर करन गांव नहीं जाना चाहता था क्योंकि वहां पर और बेजती होती कि ना गांव में कुछ कर पाया और ना ही दिल्ली में।

करन ने कहा "मामा जी मैं गांव नहीं जाऊंगा मैं अपने दोस्त के साथ रहूंगा और वहीं जॉब करूंगा।"

मामा जी बोले "जैसी तेरी मर्जी और घर पर बात कर ले।"

करन ने कहा "ठीक है मैं घर पर बात कर लूंगा।"

करन ने राहुल को फोन मिलाया और सारी बातें बताई।

राहुल ने कहा "हम सारे लोग गांव आ गए हैं तुम प्रीति से बात कर लो और तुम्हें कमरा दिलवा देगी।"

करन ने कहा "मैं प्रीति से कमरे के लिए नहीं कहूंगा मैं नहीं चाहता की प्रिया को मेरे बारे में पता चले मैं खुद रूम ढूंढ लूंगा।"

राहुल ने कहा "जैसा तुम्हें सही,लगे और ज्यादा टेंशन मत लो मैं कुछ दिनों में दिल्ली आ जाऊंगा।"

करन ने साहिल को फोन किया और कहा "भाई मुझे एक कमरा दिलवा दे जिसके बारे में मामा को मत बताना।"

साहिल ने कहा शाम को मेरे पास आ जा मैं तुझे कमरा दिखा देता हूं। करन ने मामा जी से 5000 रुपए उधार मांगे। मामा जी ने करन को4000 दे दिए और कहा मेरे पास इतना ही है और अपना ध्यान रखना। करन अपना बैग पैक करके शाम को साहिल के साथ कमरा देखने के लिए चला गया।

साहिल ने2000 में एक कमरा दिलवा दिया।कमरा छोटा था कमरे में एक चारपाई पड़ी हुई थी करन ने 2000 कमरे का एडवांस किराया दिया और हजार रुपए का कमरे में बिछाने के लिए कंबल और तकिया ले आया। अब करन कब काम की तलाश में इधर-उधर घूमने लगा पर दिल्ली में इतनी जल्दी नौकरी नहीं मिलती है।करन के पास सारे पैसे खत्म हो गए थे।करन के पास अब खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे थे।जब करन काम की तलाश करके निराश हो गया।तब करन ने लेबर गिरी का काम करना चाहा,फिर करन चौक से मजदूरी के लिए गया वहां पर कारण सारा दिन रेत तीसरी मंजिल पर चढ़ाना पड़ा,शाम को करन को 300 दिहाड़ी मिली। करन जाकर कुछ खाना खाया और कमरे में आ गया।

करन ने कभी इतनी मेहनत का काम नहीं किया था करन बहुत थक गया था और उसने बहुत तेज बुखार भी चढ़ा हुआ था। करन की मकान मालकिन ने जब देखा तो करन दर्द से कराह रहा था और ठंड से कॉप रहा था।करन की मकान मालकिन ने करन को बुखार की दवा खिलाई और लाकर एक कंबल उड़ा दिया करन को थोड़ी राहत मिली और वह सुबह तक ठीक हो गया।इधर प्रिया से मिले हुए करन को कम से कम 15 दिन हो चुके थे।

प्रिया ने करन के दोस्त राहूल से करन का नंबर लेकर एसटीडी से फोन किया।

करन तुम कहां हो मैं प्रिया बोल रही हूं।

प्रिया की आवाज सुनकर करन का सारा दर्द गायब हो गया । अंदर से बहुत ही अच्छी खुशी मिली पर करन प्रिया को नहीं बताना चाहता था कि मैं दिल्ली में हूं,करन ने कहा मैं गांव चला आया हूं।

प्रिया ने कहा मुझे बताया भी नहीं?

करन ने कहा टाइम नहीं मिला अचानक जाना पड़ा।

प्रिया बोली दिल्ली कब आओगे,करन ने कहा देखो कब आता हूं।

फिर करन ने फोन काट दिया। प्रिया कभी कभी करन को स्टडी से फोन कर लिया करती थी।

एक दिन करन काम कर रहा था तभी उसका फोन पानी मे गिर गया और खराब हो गया,करन की कंडीशन ऐसी नहीं थी कि वह नया फोन ले सकें।

फिर एक दिन करन को लेबर चौक से एक नौकरी मिली व नौकरी एक ऑटो पार्ट्स की कंपनी में थी वहां करन को9000 वेतन पर बात हुई। और करन वहां नौकरी करने लगा एक महीने बाद करन ने गैस चूल्हा और एक बिस्तर और कुछ कपड़े लिए और कमरे का किराया भी भरा।लेकिन कहीं ना कहीं करन प्रिया को याद करके बहुत परेशान हो जाता था। कुछ महीनों में करन उसी कंपनी में मार्केटिंग का काम करने लगा करन की सैलरी 16000 कर दी गई।इधर प्रिया करन से बात ना होने की वजह से बहुत परेशान रहती थी।

करन को धीरे-धीरे सक्सेस मिलने लगी थी लेकिन करण प्रिया को नहीं भुला पाया था एक दिन करन ने डिसाइड किया कि वह सब कुछ छोड़ कर वापस गांव चला जाएगा वहीं कुछ करेगा क्योंकि बिना प्रिया के दिल्ली उसे काटने को दौड़ती थी।करन ने राहुल को एसटीडी से फोन मिलाया और कहा राहुल मैं गांव जा रहा हूं आब कभी वापस नहीं आऊंगा क्योंकि मैं प्रिया के बगैर नहीं रह सकता।

राहुल ने कहा तू इतने दिन से है कहां ना तेरा फोन लग रहा है न किसी को पता है तू कहां रह रहा है,मैं मामा मामी के पास भी गया था वहां भी नहीं पता लगा तू कहां है।

करन ने अपनी सारी पिछली बात राहुल को बताइ और कहा कल मैं रात को 10:00 बजे आनंद विहार से गांव के लिए निकल जाऊंगा।

राहुल बहुत दुखी हुआ और आखरी बार करन से मिलना चाहता था लेकिन करन ने मना कर दिया कि अभी मैं नहीं मिल सकता।

इधर दूसरे दिन प्रिया राहुल के पास आई और पूछा करन कहां है ना उसका फोन मिल रहा है यह भी नहीं पता चल पा रहा कि वह कैसा है।राहुल बहुत गुस्से में था राहुल ने कहा मर गया करन तुम उसे क्यों पूछने आई हो तुम लोग सिर्फ लड़कों के दिलों से खेलना जानती हो और हां तुम्हारा शाहरुख कहां गया उसके पास जाओ तुम्हें करन से क्या मतलब।प्रिया ने गुस्से में राहुल को एक थप्पड़ जड़ दिया और कहा मैं किसी शाहरुख को नहीं जानती मैं सिर्फ करन से प्यार करती हूं आज से नहीं जिस दिन उसे पहली बार देखा था तभी मुझे करन से प्यार हो गया था लेकिन मेरा पढ़ाई से ध्यान ना भटके इसलिए मैंने करन से झूठ कहा कि मैं शाहरुख से प्यार करती हूं मुझे पता था कि करन भी मुझे बहुत प्यार करते हैं मैं नहीं चाहती थी की एग्जाम से पहले ओ मुझसे कुछ कहे इसलिए मैंने झूठ बोला था प्रिया ने रोते हुए सारी बात राहुल को बता दी।

राहुल ने कहा प्रिया तुमने बहुत देर कर दी कुछ घंटों में आनंद विहार से करन की बस है वाह गांव जा रहा है।

प्रिया ने हाथ जोड़कर कर कहा प्लीज राहुल उन्हें रोक लो।

प्रिया की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, और राहुल प्रिया को संभाल रहा था। प्रिया और राहुल ने ऑटो किया और आनंद विहार बस की तरफ निकल पढ़ें।ऑटो वाले ने ऑटो में गाना चला दिया जोकि सिचुएशन से पूरा मैच कर रहा था...

एक मुलाकात जरूरी है सनम.........राहुल और प्रिया दोनों आनंद विहार बस स्टैंड पर पहुंच जाते हैं। और दोनों इटावा जाने वाली बसों में करन को ढूंढने लगते हैं काफी देर ढूंढने के बाद प्रिया निराश होकर बैठ जाती है।

कुछ देर के बाद प्रिया को अपने कंधों पर किसी के हाथ का एहसास होता है वह जैसे ही पीछे मुड़ती है, तो सामने करन खड़ा होता है करन की आंखों से आंसू बह रहे होते हैं प्रिया उठती है और करन के सीने पर मुक़ा से मारने लगती है, और करन के गले लग कर रोने लगती है सभी लोगों उन्हें देख रहे होते हैं पर दोनों दुनिया से बेखबर एक दूसरे में खो जाते हैं।करन राहूल प्रिया सब वापस आ जाते हैं।

कुछ दिनों के बाद करन को कंपनी मार्केटिंग मैनेजर का पोस्ट दे देती है और करन प्रिया से शादी कर लेते हैं और दोनों हंसी खुशी अपनी गृहस्थी में लग जाते हैं।



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