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Manju Rai

Tragedy Inspirational

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Manju Rai

Tragedy Inspirational

ममता का संघर्ष

ममता का संघर्ष

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"माँ आज मैने आपका सपना पूरा कर दिया माँ देख मैं पायलट बन गया" ममता ने अभि की आवाज सुन उसकी तरफ देखा आज उसका स्वपन मूर्त रूप में उसके बेटे अभी के रूप में सामने खड़ा था

ममता की आँखों में पुरानी यादे तेरने लगीं जब उसकी मुलाकत सुमीत से हुई थी किस तरह दोनो एक दूसरे के प्रेम में पड़े उन्हे खबर ही न लगी और अपने प्रेम को उन्होने मूर्त रूप शादी में बदल कर किया

सुमीत एक निजी कम्पनी में मैनेजर के पद पर कार्य करता था फिर उनके जीवन में अभि आशा की किरण बनकर आया और दोनो खुशी - खुशी अपना जीवन बिता रहे थे सुमीत हमेशा ममता से कहता कि मैँ अपने बेटे को देश की सेवा में भेजूँगा उसे पायलट बनऊँगा और ममता इस बात से चिढ़ जाती और सुमीत से कहती "मैं अपने बेटे को अपनी आँखो से ओझल कभी नहीं करूँगी"

लेकिन जब भाग्य में संघर्ष लिखा हो तो खुशियों का खाजाना आप के पास से कब चला जाता है। इस बात की आपको खबर हीं नहीं लगती और एक दिन अचानक सुमीत को साँस लेने में तकलीफ हूई और अस्पताल पहुंचने से पहले सुमित इस दुनिया को अलविदा कह गया. ममता मानो टूट गयी

रिश्ते के नाम पर पडोसी थे ज़िन्होने उसे और अभि को संभाला पर कितने दिन? अब ममता

की ज़िन्दगी से जंग शुरू हुई. ममता 12

तक पढ़ी थी तथा संगीत भी सीखा था इसलिये घर से ही सबेरे 2 घंटे छोटे बच्चों को संगीत सिखाती और शाम को दो बार में बच्चों के टूशन पढाती। कुल मिलाकर बड़ी मुश्किल से अभि की पढ़ाई के खर्चे के बाद घर का खर्चा जैसे तैसे निकलता उसके बाद जो समय खाली बचता लोंगों के कपडे सिलने से भी थोडे पैसे अलग से अपना पेट काट - काट कर ज़मा करती जाती उसे सुमीत का स्वपन जो पूरा करना था.

अभि ने भी अपनी माँ के आशानुरूप 12 में डिस्टिंक्शन में अंक प्राप्त किये और NDA जॉइन कर लिया अभि बचपन से कुशाग्र बुद्धी का बालक था शायद इसिलिये सुमीत उसे फाइटर पाइलट बन देश की सेवा में भेजना चाहता था.

ममता के लिये सुमीत के बिना अकेले इस सपने को पूर्ण करना एक चुनौती था परंतु एक नारी के समर्पण और संघर्ष के आगे सारे विपरीत परिस्थितियों को हार माननी पड़ती है इसका जीवंत उदाहरण ममता थी, दरसल संगीत सिखाते हुए गले का कैंसर हो चुका था और यह बात उसने अपने बेटे से छुपाई थी.

आज अभि के रूप में अपने स्वपन को मूर्त रूप में देख उसने अपने बेटे अभि की गोद में आखरी सांस ली और चल दी एक अनंत यात्रा पर.


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