कोरोना माहमारी या शिव का तांडव
कोरोना माहमारी या शिव का तांडव


चित्र गुप्त जी परेशान होकर यमलोक में विचरण कर रहे थे की इतने में यम जी आ पहुँचे और उनसे कहा हे ! चित्रगुप्त जी किस अवसाद की रेखाओं ने आपके ललाट को घेर रखा है ?
क्या बताऊँ महाराज ? पृथ्वी पर मनुष्य योनी में जन्मे लोगों के लाट में बहिखाता lockdown करने का समय आ गया है
अच्छा, कौन सा वर्ष है ? ये चित्रगुप्त जी
चित्रगुप्त जी ने बताया हे, नाथ 2020,
किंतु क्यों नाथ ?
गहरी साँसे लेते हुए यम जी बोले, यही वह वर्ष है जिसमें सिर्फ आपका ही काम नहीं अपितु मेरा भी काम बढ़ गया है
आपको तो गिनती भर करके अपना बही खाता बराबर करना है जो आप यहाँ बैठे - बैठे कर लोगे I
तो फिर किस बात की आपको चिंता है नाथ ?
अरे ! मुझे धरती से यम लोक के कितने चक्कर लगाने पड़ेंगे,
सोचा है ? कितनी मेहनत ? कितना बोझ एक साथ उठाना पढ़ेगा ?
ब्रह्मा जी भी सोचते नहीं की इतने मनुष्यों को एक समान साँसे देने से मेरा काम कितना बढ़ जाता है। अब वो ठहरे manufacture department के मुख्य उन पर उँगली कौन उठाये? की हर मनुष्य को साँसे देते समय सौ पचास साँसे EXtra दे दें ताकी हमारा काम आसां हो एक ही बार में इतना बोझ बढ़ा देते हैं की उनसे कौन बहस करे ? कहीं शिवजी से कह कर हमारा ही कल्याण न करवा दे वरना हमारी तो जॉब ही चली जायेगी और भोजन के वांदे हो जायेंगेI
वैसे नाथ इतने लोग एक साथ कैसे मरेंगे ? क्या धरती वाले हम पर अभियोग नहीं लगायेंगे ?
इसकी चिंता तुम मत करो ये Department शिवजी का है और उन्हों
ने अपना दूत कैलाश से भेज दिया है बस वो अब पहुँचा तब पहुँचा I
कौन है वह दूत ? क्या नाम है उस दूत का ?
अरे ! वह कैलाश से निकल कर बहुत जगहों पर तांडव करते हुए हमारी देव भूमि भारत बस पहुँच ही गया है, लेकिन वह देवों की भूमि है वहाँ से कम मनुष्यों को लाना पड़ेगा क्योंकि वहाँ पर अलग ही बात है वहाँ संस्कृति ही अलग है और यही संस्कृति सारे बेवकूफ लोगों को इस शिव दूत से बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा I
अच्छा लेकिन ये शिव दूत के तांडव का प्रकोप कब समाप्त होगा नाथ, हाथ जोड़कर, हे ! चित्रगुप्त जी जब तक ब्रह्मा जी के बनायें सभी defective पिस की गिनती समाप्त नहीं हो जाती, लेकिन चित्रगुप्त जी चिंता जताते हुए,
क्या हुआ ? प्रभु जितने defective हैं अगर उन्होंने औरों को अपने Defect से Affect कर दिया तब क्या ?
हमारा तो कार्य बोझ बढ़ जायेगा कोई नहीं कुछ बेवकूफों की धरती पर कमी नहीं है धरती वाले एक बात कहते हैं मुहावरा है कि कहावत, स्वामी मेरी हिन्दी थोड़ी कच्ची है बड़ी नजाकत के साथ मुस्काते हुए वो क्या है हम संस्कृत जानते हैं ना I
हाँ ! हाँ ! याद आया "गेहूँ के साथ घुन भी पिसाता है " अब क्या करें Job का सवाल है चलो काम पर लगते हैं नहीं तो हमारी क्लास लग जायेगीI
चित्रगुप्त जी बहीखाता settle करने में लग गए और यम जी धरती से मनुष्यों के लाट लेने अपने प्रिय भैंसे पर सवार यम की फांस लिये निकल पड़े क्योंकि उन्हें भी तो अपना घर चलाना हैI