दूध का कर्ज
दूध का कर्ज
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राज माता लक्ष्मीदेवी की आज तेरहवी थी सबने उनकी आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना की और ब्राहमणो को भर - भर के दान दिया गया सभी लोग विदा हुएI अब बात उनकी सारी जायदाद सम्हालने की बात थी चूँकि उनकी मौत एक दुर्घटना में हुई थी वे अपना वसियत नामा लिख नहीं पाई थी।
लक्ष्मीदेवी स्वभाव से बहुत ही मृदूभाषिणी एवं करुणामयी थी वैसे बहुत ही कम लोगों को पता था की उन्होने एक बेटा गोद लिया था और अपना सब कुछ उन्होने उसके नाम कर दिया था यह बात तब की है जब वे अपने पति के साथ विदेश में रहती थी उनकी मौत की वजह दिल का दौरा थी उस समय उनके साथ उनका वफादार नौकर जिसे वह अपना मुंहबोला राखी भाई मानती थी विजय था और उन्होने अपने गोद लिये बेटे सक्षम को वहीं उसकी पढ़ाई- लिखाई के लिये छोड़ अपने पति की जायदाद की देख - रेख के लिये भारत आ गयी।
आज शुभ को उनका वारिस घोषित कर दिया गया चूँकि पैसों में बड़ी ताकत होती है सो सब कुछ बिना रोक - टोक होता गया अब सुखदेव और उनके बेटे का एकक्षत्र राज था।
अचानक 15 वे उनका बेटा एक दिन भारत आ पहुँचा। माँ के आखिरी दर्शन भी उसे नसीब न हुए थे साथ ही सुखदेव और उनके पैरों तले से ज़मीन खिसक गयी जब सक्षम को पूरी जायदाद का वारिस उनके वकील ने बताया।
अब दोनों पिता - पुत्र सक्षम को भी उसी तरह अपने रास्ते से हटाना चाहते थे जैसे उन्होने लक्ष्मीदेवी को हटाया था इससे पहले की वे अपनी चाल चल पाते पुलिस ने उनके हाथों में हथकड़ी डाल दीI
उन्होने पूछा , ये क्या मज़ाक है ? हमे क्यों इस तरह से पकड़ रखा है ?
तब उनकी नौकरानी, शारदा उनके सामने हाथ जोड़ कर कहती है हमका माफ़ कर दो? साहब, इतना कहकर वह अपना घूंघट जैसे ही हटाती है सब अचंभित रह जाते हैं राजमाता लक्ष्मीदेवी , तो फिर वो कौन थी ?
तब विजय सारे रहस्य से पर्दा उठाते हुए कहता है की मैं तो इनके साथ ही था बस सामने नहीं था और बेटा हो तो सक्षम जैसा जिसने ऐसा व्यूह रचा की दुश्मन चारों खाने चित्त!
दरसल जैसे ही राजमाता भारत के लिये रवाना हुई वैसे ही हम भी पीछे से फ्लाइट लेकर आ पहुँचे और यहाँ पर एक नौकरानी जो हमेशा परदे में रहती थी उसे हमने ही रखवाया था और जब आप सब माता की हत्या का षड्यंत्र रच रहे थे तो उसने सभी कुछ हमें एक कागज़ में लिख कर बता दिया था की किस तरह तुम लोग उनकी गाड़ी का ब्रेक निकाल कर उन्हें मार डालने की योजना बना रहे हो जिससे हमने राजमाता को समय रहते बचा लिया
सबूत क्या है ? राजमाता ने कहा सबूत हम स्वयं हैं जिसने अपनी आँखो और कानों से तुम्हारी इन बातों को इस विडीयो में रिकार्ड किया है।
ये लीजिए सबूत और ले जाइये इन्हें !
इतने में घूंघट वाली नौकरानी भी सामने आती है जो कोई और नहीं विजय की भाई की बेटी नयना थी जो राजमाता लक्ष्मीदेवी के आने से पहले ही इस घर में विजय द्वारा भेज दी गयी थी और इसलिये सक्षम अपनी माता को बचाने में सक्षम रहा।
लक्ष्मीदेवी मन ही मन सोच रही थी की आज उनके बेटे ने दूध का कर्ज उतार दिया।