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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy Crime Children

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy Crime Children

मम्मी, पापा को रोको ना

मम्मी, पापा को रोको ना

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जमाना कहां से कहां पहुंच गया मगर अभी भी नीचता की पराकाष्ठा जिंदा है। या यों कह लीजिए कि यह अब और बढती जा रही है। आज मातृ दिवस है। इस पावन दिन पर सभी माताओं को नमन। सभी माताऐं अपने बच्चों में अच्छे संस्कार भर सकें यही कामना करता हूं। 

कहते हैं कि एक मां ही है जो बच्चों के दिल की बात बिना कहे सुने ही जान लेती है। मगर कुछ ऐसी मांएं भी होती हैं जो बच्चों के बार बार कहने पर भी उन पर विश्वास नहीं करती हैं और इस कारण पूरा परिवार तबाह हो जाता है। अभी हाल ही बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले की एक सत्य घटना के बारे में बताना चाहता हूं। पात्रों के नाम बदल दिए गये हैं। 


रीना कॉलेज के कैंटीन में अपने कुछ दोस्तों के साथ बैठकर चाय और स्नैक्स का आनंद ले रही थी। अचानक उसका मोबाइल घनघना उठा। रीना की सहेली माला थी। रीना ने फोन उठाकर "हैलो" बोला ही था कि माला घबराते हुए बोली

"रीना, कहां पर है तू" ? 

"कॉलेज की कैंटीन में। कुछ खास है क्या" ? 

"कुछ खास नहीं, बहुत खास बात है। तेरे आसपास और कौन है" ? माला की घबराहट साफ झलक रही थी।

"अरे ऐसी क्या बात है ? और तू इतना घबरा क्यों रही है ? तूने कोई भूत - प्रेत देख लिया है क्या ? या फिर तूने कोई सेक्स स्कैंडल वाला वीडियो देख लिया है।" रीना ने बड़े इत्मीनान से कहा।

"सच्ची यार ! तू सही कह रही है। मैंने ऐसा ही एक वीडियो देखा है अभी अभी। देख, बुरा मत मानना यार, मुझे तो उस वीडियो में वो लड़की तू ही लग रही है यार। क्या वाकई में वह लड़की तू ही है" ? माला ने डरते डरते पूछा। 


थोड़ी देर सन्नाटा छाया रहा फिर रीना ने कहा " हां, वो लड़की मैं ही हूं।"

"हाय रीना , अब तू तो गई। ये वीडियो तो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। सारे मोबाइल में यह वीडियो या तो आ गया है या बस, आने ही वाला है। अब तू क्या करेगी?" 


"मैं कुछ नहीं करूंगी अब। जो भी करना है वह ये वीडियो ही करेगा ।" रीना की आवाज बिल्कुल निष्फिक्र वाली थी। 

और उसने फोन काट दिया। 


"क्या हुआ रीना ? वो कौन थी जो किसी वीडियो के बारे में बता रही थी" रीना की सखियों ने घबराकर पूछा। 

"डोन्ट वरी डीयर। मैं सब संभाल लूंगी।" यह कहकर रीना उठकर चली गई। बाकी सभी सहेलियां आश्चर्य से उसे जाते हुए देखती रह गई।" रीना को कोई चिंता ही नहीं है। उसका वीडियो वायरल हो गया है फिर भी ? न जाने किस मिट्टी की बनी है ये लड़की" ? एक सहेली बुदबुदाई।  


रीना कॉलेज से सीधे घर आ गई थी। अभी मम्मी पापा स्कूल से नहीं आये थे। वे दोनों शिक्षक थे। वह खाना खाकर सो गई।  


पुलिस स्टेशन में तैनात कांस्टेबल रमन मोबाइल में व्हाट्सएप मैसेज देख रहा था कि अचानक एक वीडियो देखकर वह उछल पड़ा। अपने साथी सुरेश को आवाज देते हुए बोला 

"अरे सुरेश, इधर आ। देख तुझे एक बहुत बढ़िया वीडियो दिखाऊं। तू भी क्या याद रखेगा ?" 

"दिखा, दिखा।" सुरेश भी उसके पास आ गया। दोनों जने वीडियो का आनंद लेने लगे। वीडियो एक 18-19 साल की लड़की और एक 45-50 साल के आदमी का था जिसमें वह आदमी उस लड़की से जोर जबरदस्ती कर रहा था। 

"ऐसा लगता है कि इस लड़की को कहीं देखा है" सुरेश कुछ सोचते हुए बोला 

"सच्ची ? कहां देखा है, बता ?" 

"कुछ याद नहीं आ रहा है। पर देखा जरूर है।" सुरेश अपने दिमाग पर जोर डालते हुए बोला 


अचानक सुरेश चीखते हुए बोला "अरे, यह तो एक दिन अपने थाने में आई थी। शायद कह रही थी कि कोई उसके साथ बलात्कार करता है। हां, याद आया। अपने बाप का नाम ले रही थी।" वह याद करते हुए बोला। "ओह माई गॉड ! तो वो बलात्कार वाली बात सच निकली। उस समय तो थानेदार जी ने उसे डांटकर भगा दिया था। थानेदार जी को यह बात बतानी चाहिए ।" 


दोनों जने थानेदार के पास गए और सारी बात बताई और वह वीडियो भी दिखाया। अब थानेदार को भी उस दिन की घटना याद आ गई जब यह लड़की रिपोर्ट लिखाने थाने आई थी और कह रही थी कि उसका बाप उसके साथ बलात्कार करता है। मगर उसकी बात को झूठा मानकर उसे डांटकर थानेदार ने भगा दिया था। उस दिन वह लिखित में शिकायत देकर गई थी। 


थानेदार ने उस शिकायत को ढूंढकर लाने के लिए कहा। दोनों ने कागजों के पहाड़ में से वह शिकायत ढूंढ निकाली। कहते हैं कि ढूंढने से तो भगवान भी मिल जाते हैं तो शिकायत कौन सी बड़ी बात थी। उस पर उसका फोन नंबर भी लिखा था। थानेदार ने फोन खड़खड़ा दिया। 

"हैलो" रीना ने कहा

"मैं थानेदार हप्पू सिंह बोल रहा हूं। उस दिन जो शिकायत तुमने दी थी, उसके बारे में पूछताछ करनी है। तुम थाने आ जाओ।" 

"पर वो शिकायत तो मैंने 15-20 दिन पहले दी थी। इतने दिनों में क्या किया आपने ?" 


हप्पू सिंह के पास कोई जवाब नहीं था इसलिए बात को घुमाते हुए बोला "पहले रिपोर्ट तो दर्ज करवाओ, फिर कार्यवाई होगी।"

"पहले मेरी मम्मी को बुलवाओ, उसके बाद ही मैं थाने आऊंगी।" रीना के स्वर में दृढ़ता थी। 

"तुम्हारी मम्मी कहां हैं अभी" ? 

"स्कूल में हैं अभी। 1 बजे के बाद आती हैं।" रीना ने फोन काट दिया। 


ठीक डेढ बजे पुलिस की गाड़ी आई। खुद थानेदार जी भी आए। रीना की मम्मी पुलिस को देखकर घबरा गई। पुलिस रीना और उसकी मम्मी को थाने ले आई। 


थानेदार ने रीना से कहा "अब तफसील से बताओ बेटा कि क्या हुआ तुम्हारे साथ" ? 


रीना ने याद करते हुए कहा "ठीक ठीक तो याद नहीं मगर इतना पता है कि जब मैं दसवीं कक्षा में थी तब एक दिन पापा ने मेरे निजी अंग छुए थे। मैंने सोचा कि शायद अनजाने में हाथ लग गया होगा उनका। मगर कुछ दिनों बाद उन्होंने वैसी ही हरकत दुबारा की तो मैंने उनका हाथ झटक दिया और गुस्से से कहा "ये क्या हरकत है, पापा" ? तब वे बेशर्मी से खिसिया कर चले गये। उस दिन इस घटना के बारे में जब मैंने मम्मी को बताया तो मम्मी ने मेरे गाल पर एक चांटा जड़ते हुए कहा था "बेशर्म, अपने पापा के बारे में ऐसा बोलते हुए तुझे शर्म नहीं आई" ? 

"क्यों मम्मी मैंने ऐसे कहा था कि नहीं" ? 

"हां कहा था। मगर मैं तो आज भी यही कहूंगी कि अपने पापा के लिए ऐसा कहते हुए तुझे आज भी शर्म नहीं आ रही है" ? 

"मैं क्यों शर्म करूं ? अगर किसी को शर्म करनी चाहिए तो वे हैं पापा। और आपको भी अपनी बेटी पर विश्वास नहीं है और अपने पति पर विश्वास है। पति पर विश्वास करना ठीक है पर 'अंधविश्वास' ठीक नहीं। लो आज मैं आपकी आंखें खोल देती हूं।" और रीना ने अपने मोबाइल में सेव वह वीडियो अपनी मां को दिखा दिया। उस वीडियो को देखकर उसकी मां की आंखें फटी की फटी रह गई। उसकी मां फूट फूट कर रोने लगी। 


"अब क्यों रोती हो मम्मी ? जिस दिन मैंने कहा था उस दिन ही अगर पापा पर लगाम लगा देती तो आज यह नौबत नहीं आती ? उसके बाद फिर एक दिन जब पापा ने मुझे पकड़ कर 'मसल' दिया था उस दिन भी मैंने आपको रो रो कर कहा था कि मम्मी, पापा को मना करो ना। वे मेरे साथ गलत हरकत करते हैं। मगर आपने तो पापा को रोकने के बजाय मुझे ही डांट दिया था। मैं किसके पास जाती ? किससे शिकायत करती ? एक दिन मैंने फोन पर मामाजी को भी यह बात बताई थी तो उन्होंने भी फोन पर ही मुझे डांट दिया था। अब मैं क्या करती ? सब कुछ सहती रही चुपचाप। मैंने पुलिस में भी शिकायत दी थी पर पुलिस ने भी वही किया जो मम्मी और मामाजी ने किया था।" अब रीना की रुलाई फूट पड़ी थी। अज वह बहुत दिनों के बाद इस तरह रोई थी। उसका सारा गुबार निकल गया था। 


जब वह नॉर्मल हुई तो थानेदार ने पूछा "यह वीडियो किसने बनाया ? तुम्हारे पापा ने" ? 

"नहीं, मैंने। हां, वह वीडियो मैंने ही बनाया था और मैंने ही वायरल किया था।" रीना ने सुबकते हुए कहा।  

"पर क्यों ? इससे तुम्हारी कितनी बदनामी हो गई, तुम्हें पता भी है" ? थानेदार ने कहा 

"बदनामी ? बदनामी लेकर में जिंदा रह सकती हूं, मगर रोज रोज बलात्कार नहीं सह सकती हूं। अब सहन शक्ति जवाब दे गई है।" 


"पर तुमने यह वीडियो कैसे बनाया" ? थानेदार ने आश्चर्य से पूछा।


"कोई मुझ पर विश्वास नहीं कर रहा था। सबको मैं झूठी लग रही थी। एक दिन जब मम्मी पापा स्कूल में ड्यूटी पर चले गए तब मैं बाजार गई और घर में चुपके से सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए। मुझे पता था कि पापा ऐसा गंदा काम फिर करेंगे। और उन्होंने मेरे विश्वास को बनाए रखा। जब उन्होंने ऐसा काम किया तब मैंने रिकॉर्डिंग को वीडियो की शेप देकर मेरी एक सहेली के पास भेज दिया। और इस तरह वह सबके पास चला गया।" रीना का स्वर अब संयत हो चुका था। 


"तुझे जरा भी शर्म नहीं आई कि इससे तेरे मम्मी पापा जो दोनों ही 'शिक्षक' हैं, की इज्जत का क्या होगा ? पूरे समाज में बदनामी हो जायेगी हमारी" ? रीना की मां गुस्से से बोली। 

"आपको अभी भी बदनामी की चिंता है, अपनी बेटी की नहीं। आपने पैदा करते ही क्यों नहीं मार दिया मुझे। जिससे आज यह दिन तो नहीं देखना पड़ता कम से कम। अपनी बेटी पर जरा सा भी विश्वास किया होता तो आज यह नौबत नहीं आती। अब तो सबको भुगतना ही पड़ेगा।" और रीना की शिकायत पर उसके पापा के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। मां अब पछता रही है कि उसने बेटी की बात पर यकीन क्यों नहीं किया ? अगर पहले ही यकीन कर लेती तो उसकी बेटी बच जाती और आज सरेआम इज्जत नीलाम तो नहीं होती ?" 


पर अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत। 



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