मलाल
मलाल
ऑफिस से घर लौटते ही रोहन ने अपनी पत्नी भावना से पूछा मां को फोन की थी? हां सुबह से कई बार कर चुकी हूं! महारानी को फोन उठाने की फुर्सत हो तब ना! रोहन झुंझला कर क्या बकती हो? पत्नी पलटकर जवाब देती है 'लो खुद ही लगा लो'...और वह खुद ही कई बार फोन लगाता है एक दो बार रिंग बजने के बाद फोन स्विच ऑफ हो जाता है.... क्या हुआ ? फोन स्विच ऑफ आ रहा है। ...कहीं सो रही होंगी... रात में फिर मिला लीजिएगा...रोहन किसी अनहोनी से आशंकित पत्नी भावना से कहता है ...बैग पैक कर लो कल घर चलना है, मां की तबीयत खराब थी।... जाना है तो आप अकेले चले जाइए बेटे का कल से एग्जाम है मैं नहीं जा पाऊंगी फ्लाइट के सिंगल टिकट ले लीजिए....।
अगले दिन रोहन वर्षों बाद विदेश से अपने घर पहुंचता है गेट पर बार-बार आवाज देने पर कोई हरकत ना होने से रोहन का कलेजा किसी अनहोनी की आशंका से बैठने लगता है!... ताला तोड़कर अंदर प्रवेश करता है, तो अवाक! रह जाता है.....बेड के पास फर्श पर ही उसकी मां गिरी पड़ी है!...." होंठ और आंखें खुली हैं जैसे आंखें अब भी बेटे की, और होंठ गंगाजल की कुछ बूंदों का इंतजार कर रही हैं!".... प्राण पखेरू उड़ चुके हैं। अब उसे मां की तीन दिन पहले फोन पर कहीं बात याद आती है.... जिसे वह उस वक्त समझ नहीं पाया था-
"तर्पण कर देना आकर मुझको, प्राणनाथ संग खोने दे
कुछ कमी थी मेरी परवरिश में, मुझे गहरी नींद में सोने दे।"
