मजबूरी
मजबूरी
सेठ देना राम का जी का दीवाला निकल गया। उनका घर, दुकान ,सारी जमीन जायदाद ( प्रॉपर्टी) सभी कुछ नीलाम हो गये। उनके पास अपने परिवार के सिर छुपाने के लिए भी जगह नहीं रही। वह बड़े दुखी और चिंतित हैं। उनके परिवार के 10 लोग भूखे प्यासे, प्रभु प्रार्थना में लग गए। यह सोच कर कि प्रार्थना में
बहुत असर होता है। भगवान किसी न किसी को हमारी मदद के लिए भेजेंगे।
उनके पड़ोसी सोच रहे थे कि इस सीधे-साधे परिवार पर कैसी मुसीबत आई है। इनकी रक्षा करो प्रभु। पड़ोसी भी उनके लिए प्रार्थना करने लगे।
सभी सोच रहे थे-हे भगवान इन के लिए कोई मददगार
भेज दीजिए।
सभी परिवार वाले मायूस होकर अपने घुटनों के बीच
सिर दबाए, पेड़ के नीचे मायूस बैठे थे। तभी उनके सामने पेड़ के नीचे एक बड़ी गाड़ी आकर रुकी और अपने आंसुओं को रोकते हुए सेठ तोता राम जी उतरे और देना राम जी के गले लग कर रोने लगे। यह कैसी मजबूरी आ गई है। चलो मेरे साथ आप मेरे घर में रहेंगे। सचमुच श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करने से अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं । नहीं तो वो अपने नौकर श्याम के घर रहने का विचार कर चुके थे।