मिसकैरेज
मिसकैरेज
सोभना चलो ये सारे फल अभी खत्म करो जल्दी से खाकरऔर चलो अपना हाँथ दो मैं ये ताबीज लाई हूं तुम्हारे लिए बांध देती हूं।सोभना सास को देख रही थी कितनी खुश हैं और कितना प्यार भी करतीं हैं।ननद शोभा और उसमें कभी भी अंतर नहीं किया।
सोभना और उसका परिवार आज बहुत खुश था और खुश क्यों न हो वो मां जो बनने वाली थी।एक नया एहसास वो अनुभव कर रही थी।सोभना अपने पुराने यादों में खो गई।कुछ ही महीने पहले तो उसे पहली बार मालूम पड़ा था कि वो माँ बनने वाली है और सभी कितने खुश थे।
पुरे पाँच साल बाद वो मां बनने वाली थी।कितनी मन्नतों के बाद वो दिन आया था।लेकिन तीसरे महीने ही उसका मिसकैरेज हो गया था।उसे क्या किसी को भी नहीं पता चला कैसे.. सब कुछ तो ठीक था।पर अचानक से ये सब खत्म हो गया था और खत्म हो गई थी सब की खुशी।
आज छह महीने बाद फिर उसकी गोद भरी थी और सब खुश हैं पर अगर इस बार भी...... "नहीं-नहीं".. वो चिल्ला उठी।उसकी ननद शोभा दोड़ कर आई"क्या हुआ भाभी"।कुछ नहीं सोभना ने कहा।लिजिए पानी पी लिजिए।भाभी आप चिल्लाई क्यों? क्या हुआ?कुछ नहीं पुरानी बातें याद आ गई।भाभी जो हो गया सो हो गया आप भुल जाओ अच्छी बातें सोचो अच्छा ही होगा जो
हो गया सो हो गया क्या "..हमने पाँच पाँच बच्चे जने कभी तो न हुआ!इनको देखो पुरा दिन पलंग तोड़ती हैं तभी तो ये हाल हुआ है।ये सोभना की दादी सास की आवाज थी जो न जाने कब उनके कमरें में आ चुकीं थी।
सोभना की सास भी आ गई "अम्माँ आप कमरे में चलो" सोभना की सास उसे लेकर चलीं गई पर सोभना की आँखें भर आई और वो रोने लगी।"मिसकैरेज..हो गया पिछली बार तो उसमें उसका क्या कसुर था"क्या कोई माँ ये जानबूझ कर करती है क्या?जिस मां के साथ ऐसा होता है उस दिन वो भी तो मर जाती है बस शरीर साथ होता है! और वो जिने भी लगी थी तो बस इसी उम्मीद पर की फिर से उसकी कोख भरेगी और आज हुआ भी है, वो खुशी दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है।दादी सास भी कुछ भी बोल देतीं हैं।
तभी उसकी सास आ गई ,"तु आराम कर बेटा ये सब नहीं सोचते", अच्छी बातें सोचेगी तो मन अच्छा रहेगा और सेहत भी अच्छी रहेगी!बस इंतजार कर वो खुशी.. का जो जल्दी से आने वाला है और किसी की बातों पर ध्यान नहीं देते!बस खुश रह।
सासू मां तो चली गई पर" मिसकैरेज हुआ था और हुआ भी तो मेरा क्या कसूर" मैं अभी भी दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी।