मिडिल क्लास
मिडिल क्लास
भाई साहब मिडिल क्लास आदमी समझते हो,
हम वो हैंं जो ऑटो में बैठकर बस मीटर की ओर देखते रहते हैं,
थोड़े पैसे कम खर्च हो इसलिए बीच रास्ते में उतर कर पैदल ही चल लेते हैं,
भाई साहब हमारे यहां शैंपू खत्म होने पर पानी डालकर एक टाईम उसे और चला लिया जाता हैं,
यहां हाथ धोने या सेनिटाइजिन के लिए अलग से लिक्विड hand wash का उपयोग नहीं किया जाता नहाने या कपड़े धोने के साबुन को महीने भर घिस कर अंत में उससे ही hand wash किया जाता हैं,
साब हमारी जिंदगी की सारी खुशियां EMI पर निर्भर होती हैं,
और जिंदगी का दुख उस EMI की किश्तें भरनें पर,
हम पेट्रोल और डीजल भी दिन और किलोमीटर गिनकर ही भरवाते हैं,
यहां बरसात में छाता हर एक के पास नहीं होता हैं पहला आदमी छाता लेकर आएगा फिर दूसरा वाला आदमी बाहर जाता है,
यहां बिजली की बचत एक रूम से दूसरे रूम घूमकर इलेक्ट्रिक बोर्ड की स्विच ऑन और ऑफ करके की जाती है,
भाई साहब यहां पनीर,चिकन और मछली जैसे लजीज व्यंजन भी मौके महाल पर ही बनाई जाती है,
यहां फैमिली get together वाली रीति किसी के ब्याह में ही होती है,
तीन सौ पैंसठ दिन का आधा महीना हमारे जिंदगी का पानी से भरा बाल्टी, कलसी ढोने में ही चला जाता है,
हम सुपर मार्ट में जाकर क्या मजाल कि बगैर MRP देखे सामान खरीद सकें भाई साहब हमारी जिंदगी के इतने भी अच्छे दिन नहीं आए हैंं अभी,
हमारे आधे से ज्यादा आबादी वाले लोगों को यातायात की सुविधा धक्के खाकर या कतार में टिकट कन्फर्म करवाने में निकल जाती हैं,
सब्जी वाले,कपड़े वाले,चप्पल वाले भईया से मोल भाव जब तक न कर लें तब तक कोई भी सामान हमको रास नहीं आता हैं,
साब हम ही हैं वो मिडिल क्लास वाले लोग...