मेरी प्रेरणा

मेरी प्रेरणा

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मेरी बचपन यादें आज भी मुझे प्रेरित करती हैं।सभी दोस्त और उनके साथ बिताए हुए पल हर रोज याद आते हैं।मुझे याद है मैं कैसे हर बार मासिक परीक्षाओं और वार्षिक परीक्षाओं में हर बार प्रथम आता था।किंगसन स्कूल कर्वी चित्रकूट का सबसे पुराना सीबीएसई और अंग्रेजी माध्यम का स्कूल।

वहाँ जब मैं गया तो गांव के परिवेश से निकलकर वहाँ मेरे लिए एक नया अनुभव था।मुझे वहाँ की बहुत सी बातें याद आती हैं लेकिन जो सबसे ज्यादा स्मरणीय बात है वह है मेरी प्रेरणा की याद।मेरी एक सहपाठिनी थी जिसका नाम न लेकर मैं उसे प्रेरणा नाम से कहानी में पेश कर रहा हूँ।अगर कहूँ तो वह मेरी प्रेरणा ही थी और मेरी जिज्ञासा भी।मैं ज्यादा से ज्यादा उसके बारे में जानना चाहता था मगर ऐसा संभव कहाँ ?अगर कभी संभव भी हो मगर जब दोस्ती जिंदगी में मायने रखने लगती है तब तो और भी मुश्किल हो जाती हैं ऐसी यादें।कहूँ तो मेरी प्रेरणा मुझे शिशु की कक्षा से ही मुझे पसंद थी।हमेशा उसकी मुस्कान के पीछे-पीछे दौड़ने वाला मैं आज उसे याद करता हूँ।हाँ,कक्षा पांचवी तक आते-आते मैं गुटखा,सिगरेट जहाँ तक बियर भी पीना स्टार्ट कर चुका था।क्या करता संगति का असर बहुत जल्दी होता है मगर मेरी प्रेरणा ने जब यह जाना कि मैं उसे पसंद करता हूँ तो उसने मुझे कसम देकर ये सब गुटखा,सिगरेट आदि छोड़ने को कहा।पता नहीं क्यों उसे मेरी इतनी फिक्र थी,मैं तो एकतरफा प्रेम करता था उसे अरे शायद वो भी करती रही हो मुझे।मैं उसे आज भी बहुत याद करता हूँ मगर वह जब भी मुझे देखती है तो मुस्कुरा कर चली जाती है पता नहीं क्यों बात नहीं करती?

आज भी मेरे दिल मे उसकी वही जगह है जो कक्षा पांचवी में हुआ करती थी।

आज अगर उसने अपनी कसम न दी होती तो मैं नशा के चक्कर मे आकर अपनी जिंदगी खतरे में डाल देता मगर उसकी कसम की वजह से आज मैं नशा क्या सुपाड़ी के एक टुकड़े से भी दूर रहता हूँ।धन्यवाद उसका कैसे अदा करूँ।भगवान मेरी प्रेरणा को जहां भी रखना खुश रखना।



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