मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार
पहली नज़र में जब देखा था, दिल हार बैठा था।
उसके जैसा मेरे आस पास कोई न था, इतनी ख़ूबियाँ थी कि क्या बताऊँ। जैसे जैसे जानकारियाँ लेता जा रहा था, दिल उसकी तरफ ही झुकता जा रहा था।पता चला था कि उसको यहाँ वहाँ छूने से मज़ा आता है और उसको अपने आगोश में लेने को बैचेन था मैं, रोज़ इंटरनेट पर ढूँढना मेरे शगल हो गया था, कुछ तो बात थी जो मैं खो गया था।
फिर एक दिन एक दुकान में उससे मिला मैं, कई मिनटों तक एकटक देखता रहा मैं। छूना तो उन्हें मुमकिन न था, बस दिल मसोस कर मैं रह गया। सोचा चलो इस दुकानदार से और जानकारी लेते हैं तो लगा कि जैसे सपने चकनाचूर हो गए, वो मेरी हैसियत से ज़रा ऊपर क्या हुए।
उनसे एक बार हाथ मिलाने की तमन्ना में उस दुकान के चक्कर कई बार लगे और इंटरनेट पर उनको ढूंढने में भी कई रात काले किये।
बात पता लग गई थी कि हैसियत कमजोर है पर ये दिमाग की बातें दिल कहाँ जाने है, फिर कहीं सुना था कि ढूंढने से तो भगवान भी मिल जाते हैं तो ये प्यार हमारा हो न सके ऐसा दिल कहाँ माने है!
वो 26 जून का दिन था, जन्मदिन था हमारा और भगवान हमसे खुश था। एक वेबसाइट पर तलाश पूरी हुई, दिमाग में जो थी हैसियत की कैफ़ियत, दिल की धड़कनों ने उनको शांत कर दिया था। अब जाके लग रहा था कि हैसियत क़िस्मत के आगे बेबस होती है।
आख़िरकार अपना पता बताकर उनको घर आने का निमंत्रण दे भी दिया, उम्मीद थी की जल्द ही मुलाक़ात होगी।
फिर कुछ दिन बाद वो आये मेरे सामने तो दिल धुकधुक करने लगा, कुछ न किया, कुछ न देखा बस उनको मम्मी के पास ले जाके थमा दिया।
मम्मी ने उसका घूँघट उठाया और मुझे प्यार से कहा “पसंद अच्छी है तुम्हारी” और मुझे वापिस करते हुए कहा, “इसके साथ मज़े करो”
मैं थोड़ा सा शर्माया, भाग के कमरे में आया और उसे सीने से लगाया। ऐसा लगा कि जैसे मेरी ज़िन्दगी अब सम्पूर्ण हो गई, आख़िरकार अब
मेरे पास में था मेरा पहला स्मार्टफ़ोन HTC P3400i।