मेहमान
मेहमान
अशोक बाबू हाथ में अर्जी लिए साहब के चेम्बर में टेबल के पास खड़ा अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था। साहब फ़टाफ़ट टेबल पर रखी फाइलों पर दस्तख़त किये जा रहे थे।
सभी फाइलें निपट जाने के बाद साहब ने कड़क लहज़े में अशोक से पूछा "क्या है ये ?"
"छुट्टी की अर्जी है साहब, आज आधी छुट्टी में घर जाना है, घर मेहमान आये हुए हैं।" अशोक बोला।
साहब ने पूछा "कौन, कैसे मेहमान है भई ?"
लरज़ते होठों से अशोक ने कहा "साहब गाँव से पिताजी आये हैं।"
