मदर इंडिया
मदर इंडिया
उसके बेटे की लाश ज़मीन पर पड़ीं थीं लेकिन उसकी आँखों में आँसू का एक क़तरा भी नहीं था। घर के बाहर लोगों की भीड़ दरवाज़ा पीट रही थीं। लोग उसे उलाहना दे रहे थे कि कोई माँ अपने ही बेटे को कैसे मार सकती हैं ?
उसके ही सामने उसका बेटा किसी लड़की को सरेआम बेइज्जत कर रहा था, बिना यह जाने कि उसकी माँ उसे दूर से देख रही थीं।
जब उसने बीच में आकर अपने बेटे को रोकना चाहा तो उसने अपनी ही माँ पर हाथ उठा दिया।
आज उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो कलियुग की वास्तविक मदर इंडिया बन चुकी हैं जो बेटियों की सुरक्षा के किसी भी हद तक जा सकती हैं लेकिन क्या इसमें ग़लती उसकी नहीं थी जो उसने अपने बेटे को रावण बनने दिया।