मानसिक उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
मानसिक उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
आजकल की नारी का चाहे वह बहू हो मां हो या बहनों चुनौती पूर्ण जीवन हो गया है हर हाल में इस समाज में एक नारी को ही सुनना पड़ता है और अन्याय सहना पड़ता है चाहे समाज में कितना भी कह ले कि नारी कंधे से कंधा उठा कर चलती है परंतु अभी भी कहीं ना कहीं नारी को मानसिक उत्पीड़न घरेलू हिंसा इन सब का सामना करना पड़ता है।
हर हाल में एक नारी को ही झुकना पड़ता है चाहे उसकी गलती हो या ना हो परंतु समाज में की अंधविश्वास और लोगों की वजह से एक नारी को ही हमेशा झुकना पड़ता है आए दिन मानसिक उत्पीड़न घरेलू हिंसा की वारदातें बढ़ती चली जा रही है मैं भी एक कहानी का साझा कर रही हूं प्रोफेशन से तो मैं एक एडवोकेट हूं लेकिन जिस तरीके से घरेलू हिंसा और मानसिक उत्पीड़न की कहानियां बढ़ती चली जा रही हैं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग यानी कि लड़कियां शादी करने से कतराएंगी बल्कि उनको विश्वास ही नहीं रह जाएगा अभी हाल में ही दो चार वाक्य मेरे साथ ऐसे आए हैं जिसकी वजह से इस कहानियों ने मेरे को झकझोर कर के रख दिया या यूं कहिए कि समाज में शादी के नाम पर विश्वास ही नहीं रह गया तो ऐसी कुछ लड़कियों की कहानी में आपके सामने साझा कर रही हूं जिसमें यदि वह लड़कियां का कोई साथ ना बेटा तो समाज की वजह से यह समाज में लोगों की बुराइयों की वजह से वह अपने जीवन को ही समाप्त कर लेती तो आइए आज मैं आपको कुछ ऐसी ही कहानी रूबरू करा रही हूं
यह ऐसी लड़की की कहानी है जिसने शादी को लेकर बहुत सपने देखे थे और उसने अपने जीवन में हमेशा यही सोचा कि मैं अपना जीवन हंसता खेलता बताऊंगी और अपने परिवार को बहुत बुलंदियों तक ले जाऊंगी लेकिन आजकल जिस तरीके से एक लड़की के ऊपर मानसिक उत्पीड़न किया जाता है वह बहुत ही सोचने का विषय है छोटी छोटी चीजों को लेकर लड़कियों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है। एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी शादी तो हुई दान दहेज के साथ परिवार वालों ने पैसा भी काफी दिया खर्चा भी किया लड़के वालों का मुंह भी बड़ा लेकिन अपनी पत्नी के ऊपर मानसिक क्रूरता और उत्पीड़न करने से नहीं हटा। आए दिन लोगों की बातों में आकर उसने अपनी पत्नी के ऊपर इतना दुराचार और मानसिक उत्पीड़न किया जिसकी वजह से उसे घर छोड़ना पड़ा। उसने उसके दिमाग में इतनी मानसिक उत्पीड़न भर दिया कि वह चाह कर भी अपने घर वापस नहीं लौट सकती और उसका शादी के नाम से विश्वास ही उठ गया। कहते हैं शादी का एक बंधन ऐसा होता है जब सात फेरे लिए जाते हैं और एक बहुत ही पवित्र बंधन होता है हिंदू समाज के हिसाब से, लेकिन उस पवित्र बंधन को खत्म करने में ज्यादा टाइम नहीं लगाया जाता। यह कहानी उन परिवारों के लिए है उन दंपतियों के लिए है जो दूसरों की बातों में आकर अपने जीवन साथी के साथ गलत व्यवहार करते हैं मानसिक उत्पीड़न करते हैं लोग उनके हंसती खेलती लाइफ में जीवन में आकर उन्हें परेशान करते हैं और वह अपने जीवन साथी से बात करने की बजाय उसके ऊपर मानसिक क्रूरता करते हैं और उसे ही हर बात पर गलत ठहराते हैं एक लड़की जो अपना सब कुछ छोड़ कर आती है अपना सब कुछ देती है उस परिवार के लिए उसके साथ वहां से कोई उठकर नहीं आता जबकि उस परिवार में सभी लोग एक लड़के के ही होते हैं और वह उसके अपने ही होते हैं पराए तो लड़की के लिए होते हैं तो उसको अपनापन मिलने की वजह उसके साथ पर आयतन का नाटक क्यों किया जाता है। जो चीज उसकी बेटी के लिए होती है बहू के लिए क्यों नहीं होती जैसे कि मेरे सवाल है
1. बेटी अगर किसी कारण बस सुबह देर से उठती है तो उसको यह नहीं कहा जाता कि बेटा कोई बात नहीं थोड़ा समय हो गया कोई नहीं लेकिन बहू से यह किया जाता है कि घर से यही सीख के आई हो तुम्हारी मां ने यही सिखाया है ऐसा क्यों ?
2. छोटी-छोटी बातों पर ताना देना कि तुम अपने घर से क्या लेकर आई हो तुम्हारे मां बाप ने तुम्हें क्या दिया है दान दहेज नहीं दिया तुम्हारे घर में कुछ सिखाया नहीं है यह सब बातों का कोई मतलब नहीं होता और एक लड़की को बार-बार मानसिक उत्पीड़न दिया जाता है।
3. परिवार के मामलों में एक पत्नी का दर्जा कहा जाता है कि बहुत बड़ा होता है लेकिन उसको मामलों में अपना नहीं समझा जाता और उसको बताया तक नहीं जाता है यह पराया पन एहसास एक नारी के साथ हमेशा ही किया।
एक लड़की जो अपना सब कुछ सोच कर जाती है कि वहां मुझे अपने पन का एहसास कराया जाएगा लेकिन वहां पर सिर्फ परायापन उसको मिलता है और धीरे-धीरे इतना मानसिक उत्पीड़न बढ़ता चला जाता है कि वह अपने ही ससुराल को कैदखाना समझने लगती है। इन सभी बातों को नजरंदाज ना करके स्पीक मुहिम जारी करनी चाहिए और जागरूकता अभियान के द्वारा उन परिवारों में जाकर उन को समझाने की कोशिश करनी चाहिए की एक लड़की जो शादी कर कर आती है जो आपका वंश बढ़ाती है उसकी क्या इमेज है।
आए दिन डाइवोर्स का कारण यही हो गया है इसीलिए शादी नहीं दिख रही लोग एक तरफा देखते हैं और दोनों तरफा अगर बातों को समझें तो विवाद की स्थिति हुई है कि नहीं इस कहानी के माध्यम से मैं यही मैसेज देना चाहती हूं कि अपने जीवनसाथी के ऊपर पूर्ण रुप से विश्वास करें और उसको अनदेखा ना करें क्योंकि वह आपका अपना ही है पराया नहीं है जो आपके वंश को बढ़ाता है और आगे तक आप को ले जाता है।
