माँ को खत
माँ को खत
प्यारी माँ,
ये पत्र आपको भेज ना पाऊँगी, शायद दिल दुखेगा
सोचा लेकिन आपको पत्र लिख ही दूँ, शायद कभी कह ना सकूंगी, पर मेरा मन हल्का हो जाएगा।
जानती है आप मुझे आपकी परछाई कहती हैं पर सच कहूँ मुझे आपकी परछाई नहीं बनना था, पर कोशिश कर के भी बच नहीं पाई। क्यूँ भला आप ऐसी क्यूँ है, इतनी सहनशक्ति, इतना कोमल दिल, मतलब आपके हिसाब से तो दुनिया मे कोई भी बुरा हो ही नहीं सकता है।
हमने देखा है सब आपके इस अच्छाई का फायदा भी उठाते हैं। अंधेरी रातों में आंसू बहाते देखा है आपको, फिर क्या वजह है जो आप किसी के लिए नफरत ना रख कर खुद को जलाती रहीं। माँ! मैं खुद से साथ ऐसा नहीं होने दूंगी, ये आज जो आपके गुणों का वास्ता दे कर मुझसे उम्मीद लगाए बैठे लोग है कल को अपनी सोच का गुलाम बना लेंगे। बस इतना ही कहना है कि आप नाराज़ ना होना शायद कुछ ताने मिले की बेटी मे तुम्हारे गुण नहीं पर विश्वास करो मेरी जिन्दगी आसान हो जाएगी। आप भी ईश्वर से प्रार्थना करें कि मैं खुद का वज़ूद बना पाऊँ। देखना आपको एक दिन अपने इस बेटी पर गर्व होगा।
आपकी बेटी।
