लव मी, लव मी नॉट
लव मी, लव मी नॉट
‘माधवी’ आज फिर हाथों में माला लेकर उसी जोड़-तोड़ में लगी थी जो उसका प्रिय शगल था कभी फूल, तो कभी मोतियों की माला या फिर जो भी उसके हाथ लग जाये उसे एक-एक कर उँगलियों से आगे बढ़ाती जाती और Love Me... Love me not... बोलती जाती! उसे ये करता देखा ‘शीना’ हंसने लगी और बोली, कोई तुझे जरा-सा भी तवज्जो क्या दे दे या तुझसे एक-दो बार मिलने ही आ जाये तो तू सुध-बुध खो उसकी दीवानी हो जाती और सोचती कि इस तरह तू उसके हृदय की बात जान जायेगी, उसका प्यार पा लेगी! यार, तूने आज तक तक ये स्वीकार क्यों नहीं किया कि तू सिर्फ एक तवायफ़ जिसके लिये ये सब बातें कोई मायने नहीं रखती...
‘माधवी’ ने उसी तरह अपना काम जारी रखते हुये कहा, सच कह रही तू किसी औरत के लिये ये मायने नहीं रखता पर, इस भरम से जो ऊर्जा मिलती वही तो सब झेलने की ताकत देती तू क्या सोचती कि जो लोग यहाँ आते उनकी पत्नियाँ ऐसा नहीं करती होगी... बोल... क्या नहीं ???