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‘उम्मीद का सितारा’

‘उम्मीद का सितारा’

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‘उम्मीद का सितारा’

 

आखिर कब तक ?

 

आखें गड़ाकर

देखती रहूँ आसमान

कि टूटेगा कोई तारा अभी

और मैं झट से आँख मूंदकर

उससे मांग लूंगी

इच्छापूर्ति का वरदान कोई

 

अब तो

पथराने लगी अंखियाँ

दुखने लगी गर्दन भी

और...

दम तोड़ने लगी ख्वाहिशें भी

फैला के आंचल

कराहने लगे हाथ भी

न... न...

अब और इंतजार नहीं होता

 

जान गई मैं कि

उम्मीदों का सितारा

टूटता नहीं... तोडा जाता हैं

अपनी हसरतों को खुद ही

अपने दम पर पूरा किया जाता हैं

किसी के टूटने से भी भला

कुछ जुड़ सकता हैं

बिना हाथ हिलाये भी

क्या ग्रास मुंह तक जा सकता हैं

किसी के पतन से भी

क्या कोई उपर उठ सकता हैं ???

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