Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Abhijit Tripathi

Drama Romance Tragedy

4.3  

Abhijit Tripathi

Drama Romance Tragedy

लॉकडाउन

लॉकडाउन

9 mins
12K


आज राघव बहुत परेशान सा घर आया। उसने सामानों का थैला एक तरफ रखते हुए कहा कि पता नहीं क्या होगा अब इस देश का। पति के आने की आहट सुनकर दीपा एक गिलास पानी लेकर आई। राघव को पानी थमा कर दीपा कहने लगी कि आज प्रधानमंत्री जी रात को आठ बजे टीवी पर देश को फिर से कोई संदेश देंगे। राघव ने कहा कि शायद फिर से कर्फ्यू लगने वाला है, इसीलिए मैं आज कुछ अनाज और सब्ज़ियाँ लेते आया हूं। मान लो अगर दो तीन दिन का कर्फ्यू लगा तो हम लोग गुजारा तो कर सकें। दीपा ने हामी भरी और भोजन बनाने के लिए चली गई।


राघव पड़ोस में एक दुकान पर जाकर टीवी देखने लगा। शाम को आठ बजे प्रधानमंत्री जी ने देश के नाम संबोधन में कहा कि अब अगले इक्कीस दिनों तक देश में लॉकडाउन रहेगा। हम कोरोना वायरस को घर में रहकर ही हरा सकते हैं। अब राघव और दीपा एकदम परेशान हो गए कि इतने दिनों तक वो कैसे रहेंगे। दोनों लोग फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं तब जाकर गुजारा होता है। अब भला इक्कीस दिनों तक गर में रहकर वो क्या खाएंगे।


दो दिन तो किसी तरह बीते लेकिन अब सब्ज़ियाँ खत्म होने की कगार पर थी और आटा-चावल भी बहुत ज्यादा नहीं बचा था। दीपा इसी चिंता में थी कि अब आगे क्या होगा। इतने में पड़ोस की श्यामा चाची ने बताया कि सरकार गरीबों को राशन बांट रही है। अरे राघव तुम भी चलो। राघव भी वहां पहुंच गया। वहां पर बहुत सारे लोग बैठे हुए थे और इतने लोगों की भीड़ में उस तक राशन पहुंचने से पहले ही समाप्त हो गया। राघव खाली हाथ घर की तरफ चल पड़ा। रास्ते में पुलिस वालों ने उसे देखा तो लॉकडाउन में घूमने के कारण लाठियों से पिटाई भी कर दी। राघव चोट खाकर घर पहुंचा। उसे देखकर दीपा एकदम से घबराकर रोने लगी। राघव कुछ नहीं बोला और पलंग पर लेट गया। दीपा ने हल्दी तेल गर्म करके उसकी पीठ पर लगाया। पूरी पीठ लाल हो गई थी और पीठ की चमड़ी उधड़ गई थी। जब दीपा ने अपने हाथ से घाव पर हल्दी तेल का लेप रखा तो राघव दर्द से कराह उठा और दीपा की आँखें छलछला आई। 

रात में दीपा ने अपने हाथ से राघव को भोजन कराया। भोजन कराते समय ही दीपा ने राघव से कहा कि हम वापस अपने गांव लौट चलते हैं। राघव ने कोई जवाब नहीं दिया। दीपा ने अपनी बात आगे बढ़ाई कि अपने मुहल्ले के ज्यादातर लोग अपने अपने गांव जा रहे हैं। वहां पर खेतों में मजदूरी कर लेंगे। लोगों के घरों में काम कर लेंगे, थोड़ा कम कमाएंगे, कम खाएंगे, लेकिन खुश रहेंगे। तब राघव ने कहा, "लेकिन जाएंगे कैसे? बस, ट्रेन सब कुछ बंद है।" दीपा ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि हम पैदल चलेंगे। राघव ने गुस्से से कहा कि अपना घर यहीं बगल में नहीं है, बहुत दूर है। वहां तक पैदल जाने के बारे तो सोचना भी मूर्खता है। अब ज्यादा दिमाग मत चलाओ। चुपचाप घर में बैठो।" राघव का गुस्सा देखकर दीपा एकदम चुप हो गई। उसे पता था कि राघव बहुत परेशान हैं और आज पुलिस वाले से मार खाने की वजह से उनको और गुस्सा आ रहा है।

दूसरे दिन शाम को राघव को कुछ आराम था तो वो छत पर टहल रहा था। उसे देखकर मुरारी चाचा ने कहा कि "राघव अपने गांव जाओगे?" राघव ने कहा कि "चाचा जाना तो चाहता हूं लेकिन कैसे जाऊँ? सबकुछ बंद है।" मुरारी चाचा ने कहा कि"अरे ! तुम को नहीं पता है ? कल दिल्ली से बसें चलेगी और सभी लोगों को उनके घर तक पहुंचाएंगी। हम लोग कल जाएंगे। तुम को भी चलना हो तो चलना।" पागल ने कहा कि " ठीक है।" और तुरंत नीचे आकर दीपा को बताया और उससे कहा कि सब सामान बांध ले, कर वो लोग गर के लिए निकलेंगे।


सुबह जब वो लोग वसंत विहार पहुंचे तो वहां का नज़ारा देखकर दंग रह गए। वहां पर लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी और इतनी बसों की व्यवस्था नहीं थी। सभी लोग परेशान थे। सबको अपने अपने घर जाना था। सभी लोग जाना चाहते थे। पूरा दिन जद्दोजहद होती रही कि इन लोगों को कैसे भेजा जाए। आखिर ये तय किया गया कि अब किसी को घर नहीं भेजा जाएगा। सभी लोग हताश हो गए। कुछ लोग वापस अपने आशियाने की तरफ जाने लगे। कुछ लोग पैदल ही अपने गांवों की तरफ बढ़ने लगे।


राघव और दीपा भी अपने गांव की तरफ निकल पड़े। एकदम अनजान रास्ते पर। उनको ये भी नहीं पता था कि उनका गांव यहां से 700 किलोमीटर दूर है। उनको तो यही लग रहा था कि बस पास में ही है। दीपा ने पूछा कि हम कैसे चलेंगे घर? कहीं रास्ता भूल गए और किसी दूसरी जगह जाकर फँस गए तो? इस समय तो कोई साधन भी नहीं मिलेगा फिर से वापसी के लिए। राघव ने कहा कि चलो हम लोग रेलवे लाइन पकड़कर चलते हैं। अगर रेलवे लाइन पकड़कर चलेंगे तो सीधे अपने गांव के पास वाले रेलवे स्टेशन पर पहुंचेंगे। सभी लोग चल पड़े थे, अपने घरों की तरफ, गांव की ओर। रेलवे लाइन पर चलना बहुत ही कठिन कार्य था। पटरियों पर बिछे पत्थरों पर पैर पड़ता तो बहुत चुभन होती थी, लेकिन सभी लोग एक उम्मीद पर चल रहे थे कि आखिर अपने गांव पहुंच जाएंगे। लोग शाम को वहां से निकले थे, अब कुछ दूर चलने पर ही रात हो गई। आखिर सभी लोग एक जगह पर रुके और जो कुछ पास में था, खाकर सो गए। सुबह उठकर सभी लोग फिर से चल पड़े। दोपहर तक में सभी थक गए। एकदम हालत खराब हो चुकी थी। राघव ने कहा कि अब उसकी हिम्मत आगे जाने की नहीं हो रही है। दीपा ने उसको ढांढस बंधाया। अब खाने के लिए सिर्फ दो रोटियाँ बची थी। दीपा ने नमक और तेल लगाकर दोनों रोटियाँ राघव को थमा दी। राघव ने पूछा कि तुम नहीं खाओगी तो दीपा ने कहा कि उसको भूख नहीं लगी है। लेकिन राघव ने जबर्दस्ती एक रोटी दीपा को खिलाई और एक खुद खाया। दोनों ने भरपेट पानी पीने के बाद फिर से यात्रा शुरू कर दी। जरा सी दूर जाने पर ही दीपा का पाँव पटरी में फँस गया और वो गिर पड़ी। दीपा दर्द से रोने लगी। राघव ने उसे उठाया और सड़क से शहर की तरफ लेकर चला। दीपा दर्द से कराह रही थी। राघव उसे पास के अस्पताल लेकर गया। वहां पर पता चला कि उसका पाँव टूट गया है। डॉक्टर ने दीपा के पाँव पर कच्चा प्लास्टर बांध दिया। अब राघव की समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। अब घर कैसे जाएंगे। दीपा ने कहा कि "राघव तुम घर चले जाओ। मुझे यहीं छोड़ दो। एक दो दिन जिंदा रहूँगी फिर वैसे भी मर जाऊंगी। तुम यहां मेरे साथ मत रुको, वरना हम दोनों लोग अगर कोरोना से बच भी गए तो भूख से मर जाएंगे। बेहतर होगा कि मैं अकेले मरूं। तुम तो बच जाए।" राघव ने उसका हाथ पकड़कर कहा "इतनी आसानी से मुझे छोड़कर नहीं जाने पाओगी। अभी तो तुम को मेरे साथ पूरे साठ साल जीना है।" राघव ने दीपा को गोदी में उठाया और फिर से चल पड़ा। दीपा ने कहा कि इस तरह मुझे उठाकर भला कितनी दूर चलोगे? राघव ने कहा " घर तक। घर तक चलूंगा तुमको उठाकर" राघव कुछ दूर चलता फिर रुकता फिर चल पड़ता। रात को दोनों लोग भूखे ही सो गए। सुबह उठकर फिर राघव दीपा को लेकर चल दिया। दीपा को बहुत भूख लगी थी। रास्ते में कुछ लोग लंच पैकेट बांट रहे थे। राघव ने दीपा को ज़मीन पर बैठाया और लंच पैकेट लेने गया। एक नेताजी ने राघव को लंच पैकेट पकड़ाया और फिर तीन बार फोटो खिंचवाई। दीपा ने चिल्लाते हुए कहा कि "हमें आपका भोजन नहीं चाहिए। आप अपने पास रखिए।" राघव ने दीपा को समझाया लेकिन दीपा ने साफ इनकार कर दिया कि राघव लंच पैकेट नहीं लेगा। दीपा ने कहा "लोग दूसरों की मजबूरी का किस तरह फायदा उठाते हैं। थोड़ा सा भोजन देकर कई बार फोटो खिंचाते हैं। कितना जलील करते हैं दूसरों को, उनकी मजबूरी भी नहीं समझते हैं।" राघव ने कहा "दीपा, ये दुनिया है। यहां लोग एक रूपए दान करते हैं तो दस रूपए खर्च करके उसका प्रचार करते हैं।" राघव ने फिर से दीपा को उठाया और चल पड़ा। रास्ते में एक जगह पर पुलिस ने इतने लोगों को एक साथ जाते देखा तो रुकवाकर उनसे पूछा कि आप लोग कहां जा रहे हैं। जब लोगों ने बताया कि वो लोग पैदल ही घर के लिए निकल पड़े हैं तो पुलिस के अधिकारी ने सभी को बैठा कर भोजन कराया तथा एक ट्रक में तेल भरवा कर ट्रक वाले से कहा कि इन सबको घर तक पहुंचा दे। सभी लोगों ने उस पुलिस अधिकारी को धन्यवाद कहा और ट्रक में बैठकर चल पड़े। उसी दिन शाम को सभी लोग अपने शहर पहुंच गए। राघव और दीपा बहुत खुश थे। सभी लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए एक स्कूल में रखा गया। दूसरे दिन से राघव की तबियत खराब होने लगी। उसे बुखार, खांसी और जुकाम भी हो गया। उसे सबसे अलग रखा गया। सभी लोग कहने लगे कि राघव को कोरोना हो गया है। अब वो नहीं बचेगा। शाम को दीपा घिसटते हुए राघव के पास आई और उसने कहा- " जल्दी से ठीक हो जाओ। फिर हम घर चलेंगे।" राघव ने कहा कि- "थोड़ा दूर रहे, नहीं तो तुम भी बीमार हो जाओगी। पता नहीं, मैं अब ठीक भी होऊंगा या नहीं।" दीपा ने राघव का हाथ पकड़कर कहा- "तुम्हें ठीक होना ही पड़ेगा। मैं तुम्हें इतनी आसानी से नहीं जाने दूंगी। अभी तो पूरे साठ साल मेरा बोझ उठाना है।"

राघव ने कहा कि - "दीपा, मुझे मत छुओ, नहीं तो तुम भी बीमार हो जाओगी।" दीपा ने कहा- "हो जाने दो। मुझे जीना भी है तो तुम्हारे साथ और मरना भी है तो तुम्हारे साथ।"

 राघव की आँखें भर आई। इतने में नर्स आ गई और वो दीपा को पकड़कर बाहर दूसरे कमरे में ले गई।


अगले पांच दिनों तक दोनों लोग ना तो एक दूसरे से मिले ना ही एक दूसरे को देखा। फिर सबकी जांच रिपोर्ट आ गई थी। सभी की रिपोर्ट देखकर निगेटिव होने पर घर भेजा जा रहा था। डॉक्टर ने दीपा के पास जाकर कहा कि- "आप के लिए अच्छी खबर है। आपकी रिपोर्ट निगेटिव है। आप घर जा सकती हैं।" दीपा ने कहा- "मुझे घर नहीं जाना है। जब तक राघव ठीक नहीं हो जाते मैं घर नहीं जाऊंगी।" डॉक्टर ने कहा कि- "अगर राघव को भी घर भेज दें तो ?" दीपा एकदम चौंक गई। उसने कहा- "सच?" डॉक्टर ने कहा कि सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। राघव की भी। 


दीपा की आंखों से खुशी के आँसू बहने लगे। वो हँस भी रही थी और रो भी रही थी और बार बार भगवान को धन्यवाद भी दे रही थी।


आखिर उसका प्यार जीत गया था।


Rate this content
Log in

More hindi story from Abhijit Tripathi

Similar hindi story from Drama