Maitreyee Kamila

Drama

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Maitreyee Kamila

Drama

लॉक डाउन

लॉक डाउन

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सुलग्ना का कॉल आया उसकी सहेली रीता को।रीता ठहरी शहर में, पती और बच्चों के साथ।सुलग्ना अपनी परीवार के साथ गांव में, पूरे १२ लोग। इतना बड़ा परीवार सब साथ में रहते है। पर सब मिल जुलकर काम कर लेते है।रसोई में भी एक दूसरे की मदत करते है।

सुलग्ना ने हालचाल पूछा।रीता का कहना था घर पर हम सब है। लेकिन चिड़ियाघर जैसे। घर के चार दीवार के अंदर, कब सूरज निकला, कब शाम हुई, पता नही चलता।मेरेपति ऑनलाइन काम कर रहे, बच्चे online पढ़ाई।में बस चुप चाप घर की काम पर। वक्त गुज़र ही नही रहा हैं।

सुलग्ना बोली हमारे घर पर उत्सव का माहौल है। कोई कुछ बना लेता है, बच्चे घर पर शोर मचाते है, कोई गाना गा लेता, तो कोई चित्र करने लगता, कोई पौधों का देख भाल करते नये पौधें लगाने का सोचता, तो कोई पेड़ पर आम, अमृत, पपीता तोड़ लाता है। घर पर सारे लोग है, पर लगता ही नही की लॉक डाउन बाहर है। वक्त कैसे गुजर जा रहा है पता नही चलत ।

रीता मन ही मन असहज महसूस कर रही थी। सोचने लगी ये लॉक डाउन है कि सहर वालो के लिए सजा है।


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