बंटवारा
बंटवारा
घर पर सब चीज़ों के बंटवारा हो चुका था।चारो भाई और उनके परिवार अपने अपने हिस्से सिमट रहे थे।कोई खुश था।कोई गाली दे रहा था।किसी की मुँह पर हँसी रुक गई थी। घर का एक छोटा सा बच्चा जुबी छोटा थाली उठाया और अपने चाची से बोलने लगी "क्या तुम मुझे इसी थाली पर खाना परसोगी।"
"इसी थाली पर क्यों"?चाची पूछने लगी।
क्यों "कि ये थाली मेरी सीलु दीदी की है।"सीलु उस चाची की बेटी।पर वो तो अभी ससुराल में है।इसिलए तो,में दिखने में उसके जैसे हूं ना।ये देखो थाली पर साफ दिखाई दे रहा है।मुझे पता है अभी सारे चीजो के बटवारा हो चुका है।।और सीलु दीदी को याद करने के लिये में इसी थाली पर खाना चाहती हूं ,वो भी तुम्हारे हाथो से। चाची अपने आप को संभालते हुए जुबी को आपने हाथो से खिलाया।