लाडला
लाडला
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
आज फूलमती की खुशी का ठिकाना नहीं था। कभी मौसी को कहते सुना था " बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख " सच ही तो कहती थी वो। ये कहावतें भी यूं ही नहीं बनी हर एक में जिन्दगी की सच्चाई छुपी है।
जब राजा ने जन्म लिया तभी सेठानी ने कहा था "बेटा मेरा है पर रंग रूप और आँखें हुबहू बिल्कुल तुम्हारी लेकर पैदा हुआ है फूलमती"।
" आपकी नजर दिन भर मुझ पर रहती थी ना दीदी जी, इसलिए....। माँ बताती है जब औरत पेट से हो तो उसे सुन्दर - सुन्दर फोटो देखने चाहिए ताकि होने वाला बच्चा सुन्दर हो पर आप तो...." कहते- कहते रूक गई फूलमती।
अरे ....कोई बात नहीं ...।वैसे भी मुझे ये तुम्हारी ब्राउन आँखें बहुत पसंद है। देख कितनी सुन्दर लगती है राजा के चेहरे पर ...कहते हुए सेठानी ने राजा को चूम लिया।दौङकर फूलमती ने राजा को काला टिका लगाकर अंक में भर लिया।
पर उसे कहाँ पता कि वो कितनी भी नजर उतारे बुरी नजर से नहीं बचा पाएगी।
राजा अभी साल भर का भी नहीं हुआ था कि रोड एक्सीडेंट में सेठानी राजा को फूलमती के हाथों सौंपकर भगवान के पास चली गई।
फूलमती को बहुत दुख हुआ पर क्या करती। वो राजा की परवरिश जी जान से करने लगी। सुबह से शाम तक देखभाल , खाना - पीना सारी जिम्मेदारी मनोयोग से निभाती पर शाम जब घर लौटती तो राजा को रोते हुए छोङना बङ़ा कष्टकारी हो जाता था।
छह महिने बाद सेठ ने दूसरी शादी कर ली तो फूलमती सेठजी की सहमति से लेकिन घरवालों के विरोध के बावजूद राजा को अपने घर ले आई और बन गई बिन ब्याही माँ....।थोड़े ही समय बाद उसे लगने लगा लगा कि उसकी खाली गोद गुलाबों से भर गई है।
आज बस्ती मे हेल्दी चाइल्ड कम्पीटीशन था।फूलमती और राजा प्रथम आये थे।ये मुस्कुराता फोटो आज के पेपर में आया था।हेडिंग थी "लाडला "।
आज मदर्स डे था। उससे मतलब भी नहीं था फूलमती को। वो तो बस इतना जानती थी माँ बस माँ होती है, कुँआरी हो या शादीशुदा ..., अमीर हो या गरीब....।
राजा है उसकी जिन्दगी में तो हर सुख है उसके पास ....बस इसकी परवरिश अच्छे से कर लूँ तो गंगा नहा लूँ .... सोचकर मुस्कुराते हुए एक नजर अखबार के फोटो पर डाली और दूसरी राजा पर डालते हुए वो नजर उतारने लगी।