क्या किसान होना गुनाह है मां?
क्या किसान होना गुनाह है मां?
एक गरीब किसान का बेटा अपनी मां से कह रहा है, मां हम ये जो खेती करते हैं, अनाज उगाते हैं,
लोगों की रक्षा करते हैं, लोगों के भले के लिए हम इतने अनाज उगाते हैं, मगर उसके बदले में हमको क्या मिलता है, इतना तक की मां हर किसान का बेटा जवान बनता है,
आर्मी की नौकरी करता है, सरहद पर लड़ता है,
और देश को बचाता है, इधर हम किसानी करके लोगों को जिंदा रखते हैं,
और वहां पर वह गद्दारों से हमें सुरक्षित रखता है, फिर भी हमें इतनी बेशर्मी से क्यों देखा जाता है,
जब भी कोई बोलता है कि मैं किसान हूं,तो लोग उसकी तरफ कैसी नजर से देखते हैं, क्या किसान होना गुनाह है मां ?
एक नेता जो शानो शौकत से महल में रहता है, और अनपढ़ गवार होकर लाखो गुनाह करके एक दिन वो संसद में पहुंचता पहुंच जाता है.
और प्रधानमंत्री बन जाता है और वह वही अधिकार जमाता है और अपने जवानों की हित की बात नहीं करता है,
जवान जो अपनी हर ख्वाहिशों को कुर्बान कर देता है, अपनी जवान बीवी को सुख नहीं दे पाता है,
अपने परिवार के सुख को त्याग कर बस अपने देश की रक्षा के लिए अपने लोगों की रक्षा के लिए अपनी जान दांव पर लगा देता है. और हमारी सरकार क्या करती हैं उसके पेंशन छीन लेती है और जो चंद बेईमान सरकार चलाते हैं उनको पेंशन देती है इतना बड़ा अत्याचार क्यों है मां,
मैंने कभी किसी रईस घर के बेटे को आर्मी का जवान बनते नहीं देखा है,
उनमें वह हौसला भी नहीं रहता है लेकिन भी नहीं रहता है वह जूस भी नहीं रहता है जो देश के हित के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे सकें, मां इतनी कुर्बानियों के बाद भी देश की यह जो चंद गद्दार जो इस कुर्सी पर बैठे हुए हैं वह हमें क्या देते हैं बस हमारी प्रशंसा करते हैं और और हमारा परिवार दो वक्त की रोटी के लिए तरसने लगता है!
सरकार को यह नहीं मालूम कि जिस दिन किसान अपनी खेती करना बंद कर देगा और अपने बच्चों को सरहद पर भेजना बंद कर देगा उस दिन यह देश एक गुलामी की जंजीरों से जकड़ जाएगा ?
यह सरकारें आएंगी जाएंगी और मनमानियां करते रहेंगे तब तक जब तक हम जागेंगे नहीं जानेंगे नहीं और जागने,जानने सबसे बड़ा साधन शिक्षा है जब शिक्षित हम होंगे तो हमें किसी से डर नहीं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हम अपने रास्ते स्वयं चुन सकते हैं धन्यवाद !