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Aditi Deshpande

Abstract

4.1  

Aditi Deshpande

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कुछ सपने है सुहानेसे....

कुछ सपने है सुहानेसे....

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कुछ सपने हैं सुहाने से....

कुछ सपने हैं सुहाने से

जो होने से रहे

लगते है बने रहेंगे पुराने से 

जो अधूरा ना रहने को कहे

हम बंध गये है कुछ उम्मीदों से

जो मजबूरी की बेड़िया लगाये

बंध गये है बदलाव लाने की किरणों से

जो हरबार माँ का चेहरा याद दिलाए 

रास्ते दो और मन झील मिलेगी 

एक के साथ चलने से 

या कपट भारी दलदलों में 

आ फिर से फंस जाये

इसिलीये डर रही हूँ उन रास्तों से

ना एक गलती रास्ते की काटों से

मन झीलों तक चुभती रह जाये।



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