क्षणभंगुरता

क्षणभंगुरता

2 mins
395


“विद्यालय परिसर में छात्र की मौत ” समाचार चैनल पर बोलती एंकर को सुन चीख कर बोली-" बंद करो यह टीवी।" और स्नानघर की ओर मुड़ गई।

बाल सूखा ही रही थी कि,,, अरे! यह क्या देव ने फूंक मारकर छोटे बड़े नीले गुलाबी चमकदार पारदर्शी पानी के बुलबुले हवा में तैरा दिए।

और साबुन का घोल ,कुप्पी ले सामने ही जोर जोर से हँसने लगा।

"देखा माँ ,मेरा कमाल।" गोल गोल आँखे मटका कर बोला।

जल्दी देखो माँ ,जल्दी, कितने सुंदर हैं यह, बहुत जल्दी गायब हो जाते हैं यह। जल्दी देखो।

ठिठक गई वहीं।

विद्यालय प्रांगण में खेलते छोटे बड़े बच्चें दिखने लगे थे उन पानी के बुलबुलों में। यह बड़ा बुलबुला ऊंची उड़ान को आतुर, विस्तार पाने को ललायित ,यह क्या क्षण में ही नीचे जमीन पर लुप्त हो गया l नहीं नहीं अतिरेक तुम इस तरह नही जा सकते। दोनों कानों पर हाथ जोर से चिल्लाई वह। उफ्फ अतिरेक तुम तो पानी के ,,,खेल ही तो रहे थे तुम गिरे और हृदय गति बन्द। उफ्फ क्या ऐसी भयानक है मौत,,, बुलबुले सी,,

"क्या हुआ माँ,, क्या हुआ। अरे पानी का बुलबुला ही तो था । हा हा हँसते हुए तुम्हें भी दुःख हुआ ना इतना सुंदर, इतनी जल्दी गायब।"

मासूमियत से बोला देव।

"मुझे भी हुआ था दुःख पहले,रोया भी था मैं बहुत। पर,,,

अपने प्रिय ग्यारहवीं के छात्र की असमायिक मृत्यु और बेटे के खेल में तारतम्य जोड़ विचलित हो उठी थी वो। देव की बातें आगे ना सुन सकी वो।

..मानसिक झंझावतो से जूझती

उसने मुस्कुरा कर भावुक हो प्यार से देव को कस कर पकड़ लिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy