क्षणभंगुर
क्षणभंगुर
दिन का एक प्रहर ,
जीवन की खुशियों का ,
एक एक पल ।
पल पल गुंजते ,
खुशियों के स्वर ।
स्वर के संग संग ,
खिलखिलाते , हँसते ,
मुस्कराते हुये चेहरे ।
फोटो - सेल्फी का दौर ,
देख इधर, देख उधर ।
चारों तरफ शोर ।
ना जाने कहां से,
आने लगा थोड़ा थोड़ा धुवां,
साथ देने लगी उसका हवा ।
धीरे धीरे फिर , भड़की आग ।
आग लगते ही,
चारों तरफ भागम भाग ।
शोर हुवा फिर, आकांत ।
आकांत हुवा ,
क्रंदन में तब्दील ।
सबके बैठने लगे दिल ।
छाती में जाकर,
बसने लगा धूर ।
सब के सब मजबुर ।
व्यवस्था चिढाती मुंह,
उनकी मजबूरी पर ।
सब रह गई धरी की धरी ।
बिछड़े फिर अपने प्यारे ,
अपनो से हमेशा हमेशा के,
एक दूसरे से दूर ,
सब जीवन हैं क्षणभंगुर ।
