पोळा
पोळा
आधुनिकता के दौर में हर एक त्यौहार का स्वरूप बदल रहा है। और हर एक त्यौहार अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कहीं, पर्यावरण समस्या, कहीं पानी, तो कहीं धार्मिक प्रतिबंध। इसी तरह एक त्यौहार है जो प्रमुखता से महाराष्ट, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। प्रमुखता से त्यौहार की महत्ता किसान अपनी बैल के प्रति जो उसका किसानी में प्रमुख सहायक हैं। इस दिन उसे सजाकर और पुरण पोली का प्रसाद खिलाकर कृतज्ञता व्यक्त करता हैं।
आधुनिकता इस त्यौहार को भी अछूती नहीं। जहाँ पहले गाँव में ५०से उपर बैल जोड़ी रहती थी वहाँ आज मुश्किल से दस या उससे कम दिखाई देती है।
बाकी जगह Tractor एवं अन्य मशीनों ने ली। गाँव में हर घर में बैल जोड़ी की पुजा होती थी, घर की बहू या मालकिन नए कपड़े परिधान कर पुजा के साथ साथ आशीर्वाद लेती थी, यहाँ भी आधुनिकता हावी हुई है। एक औपचारिकता के तौर पर पहने हुए कपड़ों में पुजा हो रही है चाहे फिर वह गाऊन ही क्यों ना हो।
