STORYMIRROR

Ashish Agrawal

Drama Fantasy Inspirational

4  

Ashish Agrawal

Drama Fantasy Inspirational

कर्म ही ईश्वर

कर्म ही ईश्वर

2 mins
699

एक बार भगवान और देवराज इन्द्र में बहस छिड़ गई। इन्द्र स्वयं को सर्वश्रेष्ठ घोषित करने की

माँग पर अड़े थे। विवाद बढ़ गया तो इन्द्र ने सोचा कि यदि मैं वर्षा नहीं करूंगा तो भगवान व

पृथ्वीवासियों को उनकी श्रेष्ठता का पता चलेगा। इन्द्र की आज्ञा से बादलों ने बरसना बंद कर दिया।


उधर किसानों ने सोचा कि यदि भगवान और इन्द्र की यह लड़ाई कई वर्षों तक चलती रही तो वे

अपना कर्म ही भूल बैठेंगे। उनके पुत्र भी सब कुछ भूल जायेंगे। अतः उन्हें अपना कर्म करते रहना चाहिए

और वे कृषि कर्म में लगे रहे। एक दिन कुछ किसान खेत जोत रहे थे तभी मिट्टी के नीचे छिपा एक मेढ़क बाहर निकला और चकित होकर बोला, “भाइयों! आप लोग खेत जोत रहे है, अगर वर्षा न हुई तो इसका क्या लाभ?”


किसान बोले, “मेढ़क भाई! यदि भगवान और इन्द्र की लड़ाई वर्षों चली तो हम अपना कर्म ही

भूल जायेंगे। इसलिए हमें कर्म तो करते ही रहना चाहिए।”


मेढ़क बोला, “मैं भी टर्राता हूँ नहीं तो भूल जाऊँगा।” इतने में मोर वहाँ आ गया उसने भी इन्द्र एवं भगवान के मध्य लड़ाई की बात कही। मेढ़क

बोला, “मोर भाई हमें अपना कर्म करते रहना चाहिए, वरना आने वाली पीढ़ी को कैसे मालूम होगा कि उन्हें

क्या कर्म करने है और फल ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए।”


यह सुनकर मोर भी पाँ-पाँ करने लगा। जब इन्द्र ने यह देखा तो वेष बदलकर पृथ्वी पर आये

और किसानों से बोले, “बेकार मेहनत क्यों कर रहे हो, क्या तुम्हें मालूम नहीं कि कई वर्षों तक वर्षा नहीं

होगी।”


किसान बोले, “भाई हमारा तो कर्म ही मेहनत है। इन्द्र अपना कर्म करें अथवा न करें, हमें तो अपना

कर्म करते ही रहना है।” कर्म की महत्ता सुनकर इन्द्र की आँखें खुल गईं। उन्होंने सोचा अगर वे भी अपना कर्म नहीं करेंगे तो उनका आदर और सम्मान छिन जायेगा। लोग उन्हें भूल जायेंगे। इस प्रकार उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया। उन्होंने भगवान से क्षमा माँगी और अपने कर्म में जुट गये। बादलों ने वर्षा प्रारम्भ कर दी, किसान खुशी से झूम उठे, मोर नाचने लगे और मेढ़क टर्राने लगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama