STORYMIRROR

Pragya Tripathi

Romance Fantasy

3  

Pragya Tripathi

Romance Fantasy

क्लाउड एंड

क्लाउड एंड

16 mins
117

कभी कभी हम पा लेते हैं, खुद को,

ऐसे जैसे चांद पा लेता है चकोर।


खुद को पाना दूसरे को पाने से ज्यादा जरूरी है?? 

है न??


कभी नहीं सोचा था....वो 3 दिन मुझे इस कदर बदल देंगे....कभी कभी लोग आपकी जिंदगी में आते नहीं है....भेजे जाते हैं.... क्या बोलूं इसे?? किस्मत?लक? डेस्टिनी??? सोल कनेक्शन?? या भगवान का कोई अलौकिक चमत्कार?


जो भी था....सच में ये कोई आम एहसास नहीं था....,मिरेकल मिरेकल सुना तो था....पर ऐसे कुछ होगा, नहीं कभी नहीं सोचा था।

आप सब भी सोच रहे होंगे कि मैं किस दुनिया की बातें बता रही हूं....तो इसे समझने के लिए आपको चलना होगा मेरे साथ 6 महीने पीछे।


6 माह पहले


अद्वैता बेटा....कब तक यूं बिस्तर में पड़े रहोगी।

न खाती हो न बाहर जाती हो....इस कमरे की और अपनी हालत देखी है कभी??

ठीक है जो हुआ सो हुआ....किसी एक के छोड़ जाने से सब खत्म तो नहीं हो जाता न?


मैं अद्वैता.... ये मेरी माँ है....जिन्हें मेरा उदास मुँह और रोती आंखें पसन्द नहीं।


मां सब कुछ जानते हुए भी आप ऐसा कैसे बोल सकती हैं?

मेरा और जतिन का रिश्ता पिछले 10 सालों से था....,हम स्कूल से एक दूसरे को प्यार करते थे और ऐसे अचानक उसने किसी और से शादी कर ली।

आप कभी नहीं समझ सकती मेरी सिचुएशन....,अद्वैता यानी मैं फिर बिस्तर में मुँह घुसा कर लेट जाती हूं।


हाँ तो तू ही सोच बेटा, जब उसने तेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा तो तू क्यों उसके लिए अपनी जिंदगी खराब कर रही है।

जाने दे बच्चा....एक नई शुरुआत कर।

जा कही घूम के आ....अपने दोस्तों से मिल।


ये कमरे के पर्दे तो खोल।

नहीं माँ मुझे कही नहीं जाना और प्लीज मां पर्दे मत खोलना।


1 महीने से खुद को ऐसे बन्द कर के सबसे कट के बैठी है....बेटा तू तो मेरी बहादुर बच्ची है न....तू ये सोच जतिन तेरे लिए ठीक था ही नहीं।


मां अगर वो ठीक न होता तो 10 साल क्यों साथ होता, आप न जाओ प्लीज।

गुस्से से अपनी मां को कमरे से भगा कर मैं फिर सर से चादर ओढ़ लेट गयी थी।


साला ये प्यार व्यार घण्टा होता है, इतना प्यार इतनी फीलिंग सब वेस्ट। प्यार किसी को करना ही नही चाहिए, ये सब बेकार की चीज होती है।

जतिन के साथ बिताए पल मेरी आँखों के आगे आ रहे थे और मेरी आँखें गंगा जमना बहा रही थी।


खैर

अगला दिन भी ऐसे ही बिस्तर में पड़े जतिन की यादों में बीत रहा था कि मां एक पम्पलेट लेकर कमरे में घुसी....,

अद्वैता बेटा.... ये देख ।


मैं अपनी यादों से बाहर निकल मां की बात सुनने लगी....बताओ क्या हुआ अब??

ये अपना मसूरी में एक बड़ा अच्छा कैम्प लगा है....वो लोग ध्यान और योग सिखा रहे तू कहती थी न जतिन के साथ एक बार मसूरी जाना है, अब जतिन न सही तो न....तू तो जा सकती है।


अरे नहीं मां मुझे किसी कैम्प वैम्प में नहीं जाना और आज आप मुझे कैसे भेजने तैयार हो गयी, मैंने जब जतिन के साथ गोआ जाने बोला तब तो आप बड़ा गुस्सा गयी थी।


जतिन जतिन जतिन...., अद्वैता बेटा बस बहुत हुआ....मैंने तेरी वहाँ बुकिंग करा दी है, तू बस निकलने की तैयारी कर।


मैं गधी थी, जिंदगी अपने दोनो हाथों से मुझे अपनी ओर खींच रही थी और मैं फालतू की चीजों में उलझ रही थी।


खैर....अगले दिन मां की काफ़ी मशक्कत के बाद आखिरकार मैं मसूरी के लिए निकल गयी।


पहाड़ों की रानी मसूरी में आपका स्वागत है।

मसूरी ओह्ह मेरी जान।

मसूरी पहुँचते ही बोर्ड पढ़ कर लग रहा था मानो मसूरी सच में कोई जगह नहीं बल्कि पहाड़ों की रानी है....सच ही तो है रानी ही है वो....,पर कैसी दिखती होगी वो....,मैं भी क्या सोचने लगी।


मसूरी मसूरी मसूरी, वैसे तो ये अन्य कारणों से मशहूर है पर मसूरी में कदम रखते ही मेरी रूह सच मे खिल उठी थी। आने के पहले जितनी निगेटिव फीलिंग थी सब अब पोसिटिव फीलिंग में बदल गयी थी।


कैम्प की गाड़ी मुझे पिक करने आई थी।

वहां कैम्प में पहुँच कर अलग ही एहसास हो रहा था....मेरी आँखें थकान से बोझिल हो रही थी पर आज पहला सेशन था....ध्यान और योग में मेरा ख़ास इंटरेस्ट तो नहीं था पर मां की इज्जत रखने पहुँच गयी थी।


कैम्प में करीब 250 लोग थे, सभी के लिए वहां का एक लोकल स्कूल था....जहाँ रहने के लिए व्यवस्था की गई थी , क्योंकि स्कूल में छुट्टियां थी....,पर मैंने अपने लिए कैम्प से थोड़ा दूर एक कॉटेज बुक करवा लिया था....क्योंकि अब आ ही गयी थी तो घूमना भी था....अकेले में मजा तो नहीं था पर अब आ गयी थी तो मसूरी देखना बनता था।


खैर आराम कर के मैं कैम्प पहुँची ....250 लोगों के होने के बाद भी कैम्प में इतनी शांति थी एक बार को लगा मैं अकेली हूं यहाँ....,हमारा सेशन 2 घण्टे चला और काफी शानदार रहा, अंदर शांति का असीम एहसास हो रहा था....जो अंदर से ख़ाली खाली का एहसास था वहां अब सिर्फ शांति थी। कुछ था जो अब नहीं था मन के भीतर शायद किसी को खोने का डर....या फिर मन की पीड़ा जो भी थी।


खैर ध्यान के बाद मैं कमरे में आ गयी थी, मेरे कमरे से बाहर पहाड़ों के झुंड मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे, थकान उतार और पहाड़ों में खुद को खोजती मैं कमरे से बाहर निकल गयी थी....अब बाहर आ ही गयी थी,

तो मैंने थोड़ा घूमने का प्लान बनाया और पास ही लाल टिब्बा नामक जगह पर घूमने पहुँच गयी, ये जगह


मसूरी से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित थी। वहां पहुँच कर लोगों ने तरह तरह की जानकारी दी। जैसे-


लाल टिब्बा यहां की सबसे प्रसिद्ध घूमने की जगह है और साथ में ये सबसे ऊंची चोटी है जिसके ऊपर चढ़कर पूरी मसूरी का शानदार दृश्य दिखाई देता है।

लाल टिब्बा से केदारनाथ और बद्रीनाथ के बर्फ की चादरों से ढके हुए पहाड़ों को दूरदर्शी के द्वारा देख सकते है।


सचमुच ये इतना ही शानदार था ।ऊंची पहाड़ी पर बादलों को रुई की तरह देखना सचमुच में एक अलग एहसास था।

ये पहाड़ न सच में बड़े विशाल होते हैं.... क्योंकि ये शहर से लाई हमारी सारी परेशानी पल में खुद में समेट लेते हैं।


पर मुझे कुछ कमी लग रही थी....जतिन की।

वो पल याद आ रहे थे जो हमने मसूरी जाने के लिए प्लान बनाए थे, ।


खैर शाम गहरा रही थी तो मैं केम्पटी वाटर फॉल देखने पहुँच गयी थी....वाकई ये वाटर फॉल एक प्राकृतिक वाटर फाल था, बिल्कुल भी बनावटी नहीं.... मेरी नजर उस पर से हट ही नहीं रही कि अचानक एक पत्थर से मेरा पाँव टकरा जाता है और ....,किसी अनजाने का हाथ मुझे थाम लेता है....मैं मरते मरते बचती हूं। हे भगवान मेरी रूह अंदर से कांप गयी है।


पल भर में क्या से क्या हो जाता....मैं नजर उठा कर देखती हूं....ये मेरी ही हम उम्र का एक लड़का है....गोरा रंग....नीली आंखें....बाल तो काले है पर ये, यहाँ का नहीं लगता। उसका व्यक्तित्व इतना ख़ास था कि खुद को भूल मैं उसे ही घूरने में मग्न थी।


एकदम से मुझे याद आता है, थैंक यू सो मच फ़ॉर हेल्पिंग मी, नहीं तो आज मेरा राम नाम सत्य हो जाता। 


अरे नहीं इट्स टोटली फाइन....,लड़का बोलता है।

उसने अभी भी मेरा हाथ नहीं छोड़ा है।


वो मुझे सेफ्टी से केम्पटी फॉल के पास बने चाय के टपरी के पास ले आता है, आप ठीक तो है न??


हां अभी मैं ठीक हूं आप न होते तो शायद ठीक क्या मैं होती ही नहीं....दोनों के चेहरे पर हँसी दमक उठती है।


हम दोनों वही टपरी के पास बैठ जाते हैं....

चाय??वो पूछता है।

हम्म जरूर।

भैया दो चाय।


मैं उसको देख रही हूं।

वो इधर उधर देख रहा है।


आपको मैंने ध्यान केंद्र में देखा था। लड़का अपने मन की बात कहता है।


अच्छा ?? मैं थोड़ा चौंक जाती हूं।

सही है फिर तो....आप भी वही आये है क्या??

मैं पूछती हूं।


हां मैं भी आज ही जॉइन करने आया हूं....,सुकून कितना सुकूं मिलता है न मसूरी की इन वादियों में।

हम्म, मैं तो पहली बार आई हूं।

ओह्ह फिर तो बहुत कुछ है यहाँ देखने को....,क्या क्या देखा अब तक??

अभी तो ज्यादा नहीं....बस ये फॉल और लाल टिब्बा,।

वाओ मतलब पहाड़ों से मसूरी की खूबसूरती आपने निहार ली।


ह्म्म्म।

भैया चाय रख जाते हैं।

मैं अद्वैता। मैं अपना परिचय देती हूं।

मैं वृषांक। उसने भी हल्का मुस्कुरा कर अपना परिचय दिया है....मुस्कुराने से उसके गालों में पड़ते डिम्पल....,उफ्फ।


वाओ बड़ा ही यूनीक नाम है ।

इसका मतलब क्या होता है?? मैंने उत्सुकता से पूछ लिया, ।


ये शिव जी का नाम है....इसका मतलब होता है बैल के चिह्न वाली ध्वजा वाले।


मेरी माँ शिव भक्त थी, इसलिए उन्होंने ये नाम रखा था।


वैसे नाम तो आपका भी यूनीक है। अद्वैता।


चाय पीते पीते बातों का तार जो नाम से शुरू हुआ तो लगा ही नहीं की हम एक दूसरे से पहली बार मिले हैं....

पूरे 1 घण्टे बतियाने के बाद याद आया कि रूम पर भी जाना चाहिए....,


आप स्कूल में रुकी है??

आप मत बोलो यार अब तो अपनी पहचान हो ही गयी है....,अच्छा तो क्या बोलूं??

कुछ फनी से नाम रखते है ये अद्वैता और वृषांक हम दुनिया के लिये है फिलहाल कुछ अच्छा ...., मैं हँसते हुए....ओके तो मैं तुम्हें बिल्लो रानी बोलने वाली हूं....,


ओह्ह तेरी....वो खिलखिला कर हँस पड़ता है।


तो मैं तुम्हें बोलूंगा डोरेमॉन।

मेरा फेवरेट कार्टून केरेक्टर।


ओके शिजुका।


हम दोनों ही अपनी पागल पन्ति पर खिलखिला रहे थे।


हम साथ ही वापस आये हमारा कॉटेज भी सेम यहाँ तक कि रूम भी अगल बगल थे।


ये को इंसिडेंट तो नहीं था....ये पक्का कोई मिरेकल था, पर तबतक मुझे इनसब पर यकीन नहीं था....पूरे 1 महीने बाद मैं खुल कर आज इतना हँसी थी।


एक भारी बोझ जो रखा था सीने पर उतर गया था।


हम दोनों ने साथ ही रात का डिनर करने का प्लान बना लिया था।


मसूरी में घूमते खाते रात बीत गयी थी....,

जब फिर कमरे में पहुँची तो आज हर रोज की तरह दिन काटना नहीं पड़ा था....बस आज दिन उसके साथ पता ही नहीं लगा था। मैं सोच में गुम थी, ऐसा तो कभी जतिन के साथ भी महसूस नहीं हुआ।


तो कुछ ऐसा था मसूरी में मेरा पहला दिन।


अगली सुबह जग कर खिड़की खोल सूरज को देखने की नाकाम कोशिश की, पर वो बदलो में छुपा आराम फरमा रहा था।


मैंने और बिल्लो रानी ने डिसाइड किया था कि आज हम 

धनोल्टी और सुरकुंडा देवी मंदिर जाएंगे....,मुझे कोई अंदाजा नहीं था पर बिल्लो रानी यहाँ कई बार आ चुके थे इसलिए उनके लिए ये सब जाना पहचाना था, आज के मेरे गाइड बिल्लो रानी थे।


कुदरत के इस खुशनुमा मौसम में ताजगी का अहसास करने के लिए हम धनोल्टी जो मसूरी से 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुन्दर हिल स्टेशन है जो मसूरी पर्यटन स्थल में काफी मशहूर है वहां पहुँच गए थे।


जानती हो डोरेमोन....

यहाँ ठण्ड के दिनों में बर्फ बारी देखी जाती है धनोल्टी के पूरे रास्ते में हिमालय पर्वत को बर्फ से लदे हुए देखोगी।


मैं वादा करता हूँ मसूरी में इससे अच्छी जगह आपको कही देखने को नहीं मिलेगी

उनकी बात 100 टका सच थी।


धनोल्टी में घूमने के लिए बहुत सारे स्थान है जहाँ तुम चाहो तो अडवेंचर एक्टिविटी और नाईट कैंपिंग कर सकती हो।,वो मुझे ज्ञानी बाबा जैसे मसूरी के बारे में ज्ञान दे रहे थे।


न न मुझे न करना कोई एडवेंचर, कल बच गयी वही काफी है।

खैर फिर हम 

धनोल्टी में स्थित सुरकुण्डा मंदिर भी गए, जो पर्वत माला के सबसे ऊपर चोटी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करते हुए जाना होता है इसके अलावा घुड़सवारी करके जा सकते है । हम दोनों में ट्रेकिंग का दम नहीं था इसलिए

हम दोनों घोड़ों पर बैठ पहुँच गए थे।


ऊपर पहुंचकर बहुत सुकून मिला.... देवी दर्शन के साथ साथ मसूरी का शानदार दृश्य देख कर मन इतना खुश हुआ कि क्या बताऊँ।


जानती हो डोरेमोन....यह मंदिर 51 शक्तिपीठो में से एक है यहाँ देवी सती का माथा गिरा था ।


ओह्ह, बिल्लो रानी का ज्ञान सुन कर अच्छा लगा था।


इसके बाद हम मसूरी से क्योटी फॉल के रास्ते पर लगभग 7 किलोमीटर आगे गए जहाँ सन्तूरा देवी मंदिर जो दुर्गा मां को समर्पित है मंदिर के आसपास के प्राकृतिक वातावरण पर्यटकों को काफी प्रभावित करते हैं।

वहां का दर्शन किया। मंदिर में असीम शांति थीं.... हाथ जोड़ कर बिल्लोरानी को नमन करता देख अच्छा लगा....बाहर बैठे बच्चो की तस्वीरें लेता और उन सब को छोले भटूरे की पार्टी देने के बाद हम वापस आ गए थे।


मेरे पैर थक गए थे....पर बिल्लो रानी को न जाने कौन सी माता आ गयी थी। उसे थकान छू तक न गयी थी।


आज दूसरा ही दिन था पर लग रहा था हम दोनों बरसो बरस के साथी है। बिल्लोरानी जिद कर के आज मुझे अपने फेवरेट रेस्टोरेंट में खाना खिलाने ले गया था।


रेस्टोरेंट में जाकर हमने मसूरी का स्थानीय भोजन किया....जैसे, काफुली, गढ़वाल का फन्ना, भांग की चटनी इत्यादि।


(काफुली, जिसे कपा के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम में तैयार किया जाने वाला एक विशेष व्यंजन है. ये पालक की सब्जी है. ये व्यंजन आमतौर पर सर्दियों के महीनों में परोसा जाता है


गढ़वाल का फन्ना भूरे रंग की ग्रेवी में पकाया जाता है जिसे काले चने की दाल का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. ये चावल के साथ स्वादिष्ट लगता है और आमतौर पर इसे लंच या डिनर में खाया जाता है. अगर आपको राजमा चावल पसंद है, तो आप ये भी पसंद करेंगे.

उत्तराखंड में लगभग हर घर में भांग की चटनी एक आम चटनी है. हालांकि ये भांग की चटनी जरूर है लेकिन इसमें नशा नहीं होता है. इस स्वादिष्ट चटनी को एक साइड डिश के रूप में परोसा जाता है जो भोजन में एक ताजा सुगंध और स्वादिष्ट स्वाद जोड़ता है.)


बिल्लोरानी के कहने पर ये सब ट्राय किया, और सच पूछो मजा ही आ गया।

खाने के अंत में जो गुड़ में पकी चाय मिली, ओहो उसने तो पूरा दिल ही ले लिया।

मसूरी इतना चमत्कारी होगा मेरे लिए कभी नहीं सोचा था।

ऊपर से बिल्लो रानी की मजाकिया बातें....


हद्द है ये बंदा.... कहीं से नहीं लगता कि ये कोई आईटी प्रोफेशन में है....इसकी हर बात में जादू है, खो सी गयी हूं इसकी नीली आंखों में।


औए डोरेमॉन कहां खो गयी???

वो चुटकी बजा कर मुझे होश में ले आया है।


हम वहाँ से कैम्प पहुँच गए हैं।

2 घण्टे ध्यान और योग से मेरा मन पूरी तरह से एकाग्र और शान्त हो गया है।


मां ने सही कहा था....किसी के जाने से जिंदगी नहीं रुकती।


ये क्या बिल्लो रानी पीछे बैठा मेरी नकल कर रहा है।


चलो चलना नहीं है क्या....हम दोनों ही कॉटेज भाग खड़े हुए है....चेंज कर के हमें, मसूरी का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत गन हिल टॉप देखने जाना है....।


गन हिल में हमेशा फोटोग्राफर रहते है जो बादलों और पहाड़ों, जंगलों की फोटोग्राफी करते है जैसा की आप फिल्मों में देखें होंगे....मुझे भी फोटोज लेनी है....बिल्लोरानी अपने कैमरे से मेरी तस्वीरें ले रहा है....

मसूरी लेक, भट्टा फॉल, मॉल रोड हमने घूम लिए है।


थके हुए हम कॉटेज पहुँच गए हैं....बिना खाना खाएं हम पड़ गए अगले दिन कब सुबह हुई कब सूरज मामा निकले कुछ खबर नहीं।


बिल्लो रानी आज मुझे कम्पनी गार्डन, जॉर्ज एवेरेस्ट, क्लाउड एंड....

झाड़ी पानी....घुमाने ले जाने वाला है।


आज हम कुछ चर्च भी घूमने जाने वाले हैं।

उफ्फ क्या सुबह है....निकलने के पहले ही हल्की बूंदा बांदी होने लगी है।


मैंने अपनी डायरी निकाली है और कुछ लिखने की कोशिश की है....पर नाकाम रही हूँ उसका चेहरा सामने आ जाता है....,उसका मतलब बिल्लोरानी का।


मैं भाग कर बिल्लोरानी के कमरे में पहुँच गयी हूं, इन दो दिनों में मैं मानो उसकी परछाई बन गयी हूं, जिसे दो दिन पहले मैं जानती तक नहीं थी।


वो बिस्तर पर पेट के बल लेटा कोई किताब पढ़ रहा है और मैं दुलार में जाकर उसके पीठ पर लेट गयी हूं...., ये मुझे क्या हो गया है।


अचानक बिल्लोरानी मुड़ जाता है....और मैं बिस्तर पर और वो मेरे ऊपर....,मेरी सांसे तेज तेज चल रही हैं...., मुझे ऐसा कभी महसूस नही हुआ...., उसके घुंघराले बाल....नीली आंखें....गोरे माथे पर उभरी हल्की चमकती पसीने की बूंदें....मैं अपने ऊपर वश नहीं रख पा रही....मेरे होंठ सूख रहे हैं।


एकदम वो उठ जाता है....चलो चलो डोरेमॉन सो सॉरी मैं भूल ही गया था कि आज हमें क्लाउड एंड देखना है आज तो तुम सच मे मजा ही पा जाओगी, जानती हो क्लाउड एंड

जैसा इसका नाम है क्लाउड एन्ड वैसी ही है ये जगह....जानती हो ये फेमस है अपने बदलो से ढके हुए पहाड़ों के लिए, जरा सोचो कितना खूबसूरत नजारा होगा जब आप ऊपर होंगे और बादल आपके नीचे .... अद्भुत नजारा होता है वहाँ का।


मैं वापिस कमरे में आ गयी हूं.... हम घूमने निकल गए हैं पर आज वो मेरे लिए बिल्लोरानी नहीं है....ऐसा कैसा एहसास है ये आज तक कभी मुझे ये जतिन के साथ भी महसूस नहीं हुआ....,दो दिन हुए हमें मिले, और ये एहसास।


हम क्लाउड एंड पर खड़े है....रुई जैसे बादलों के बीच,

मैंने बिल्लोरानी का हाथ थाम रखा है....वो मेरी तस्वीर खींच रहा है.... कभी बादलों की....वो खिलखिला रहा है हँस रहा है....उसके मोतियों से दांत.... मुझे मजबूर कर रहे है.... उसके गुलाबी होंठ मुझे अपनी तरफ खींच रहे हैं.... नहीं नहीं ये सब क्या सोच रही हूं मैं....मैं तो जतिन से प्यार करती थी न।


ऐसे कैसे 2 दिनों में....,

मैं खुद को ही समझ नहीं पा रही।

अचानक बिल्लोरानी मेरे करीब आया है....उसने मेरे कमर पर हाथ रख दिया है....मुझे खुद से करीब सटा लिया है....मेरी आँखें खुद ब खुद बन्द हो गयी है।


बिल्लोरानी ने मेरे माथे को चूम लिया है।

पल भर के लिये सब शांत हो गया है....दिल में भरा सारा अवसाद, सारा लावा बह गया है।


मैंने आंखें खोल ली है....मेरे लिए ये एहसास बयाँ करना मुमकिन नहीं है....चारों तरफ बादलों का पहरा और बीच में हम दोनों.... मसूरी ने मेरा दिल जीत लिया है।

क्लाउड एंड से मेरी जिंदगी की नई शुरुआत हुई है....ये मेरा एंड नहीं मेरा स्टार्टिंग पॉइंट है।

अपने माथे को मैं बार बार छू रही हूँ। जहाँ उसने चूमा था।


बिल्लोरानी एकदम सामान्य है....उसे कुछ नहीं हुआ है पर मेरे दिल की धड़कन क्यों तेज हो रही है। मैं खुद में पूरी हो गयी हूं....न जाने कैसे मैं कुछ और ही बन गयी हूं।


बस कल का दिन फिर न जाने कहां होंगे हम....,

हम दोनों ने साथ मे मसूरी से कुछ शॉपिंग की है....उसने मुझे एक शिव जी का ब्रेसलेट गिफ्ट किया है....शिव।।मेरे शिव।


मुझ में भी शिव बस गए हैं.... शिव मय हो गयी हूं मैं।


मोमोज खाते खाते मैं एकदम बिल्लोरानी से पूछती हूं....

कल तो हम दोनो यहां से जाने वाले हैं.... तुम मुझे मिस करोगे???


उसने मुस्कुराते हुए कहा है....

पागल डोरेमॉन, मिस उसे करते हैं जिसे भूलते है, और तुम्हें मैं भूल ही कहा पाऊंगा जो मिस करूँ।


मेरी आँखें अनायास ही भर आईं हैं। हम दोनों ने ही उसके बाद कोई बात नहीं की है।


कॉटेज पहुँच कर आज मैं अपने कमरे में नहीं गयी हूं....

बिल्लोरानी के बिस्तर पर पड़ी मैं उसकी लिखी किताब....ब्यूटी बियॉन्ड लव पढ़ रही हूँ, ये बन्दा कितना औसम है यार।


तुम कैसे कर लेते हो इतना बिल्लोरानी, आईटी में जॉब....खुद की किताब....योग और ध्यान का कोर्स....मसूरी में गाइड....कैसे???


वो मुस्कुराता है....एक नजर मेरी तरफ देख मेरे पास आकर मेरे बालों में अपनी उंगलियों को घुमाते हुए....,एक ही जिंदगी मिली है मेरी डोरेमॉन इसे रोते हुए बर्बाद कर दो, या फिर हर पल को जी कर आबाद कर दो।


मैं उसे गौर से देखती हूं....मन में शिव की मूर्ति की कल्पना करती हूं।


और उठ कर उसके सीने से लिपट जाती हूं।


बस आज की रात....कल हम दोनों को नहीं पता हम कहाँ होंगे।

बिल्लोरानी अपने हाथों की तकिया बना उस पर मुझे लिटा लेता है....आंख बंद कर के मैं सिर्फ उसे महसूस करती हूं।


अगली सुबह 5 बजे अलार्म बजता है....हम दोनों की आंखें लाल है....रात भर हम नहीं सोए है....,।


अब बारी है अलग होने की....,

7 बजे बिल्लोरानी की फ्लाइट है और 8 बजे मेरी ट्रेन।


हमने साथ नाश्ता किया है....उसने जाने से पहले एक आखरी बार मेरे माथे को चूमा है।


और फिर अलविदा।


हमेशा के लिए।


मैं अपने कमरे में हूं.... सूरज आज भी आंख मिचौली खेल रहा है....पर अब वो मेरे दिल में है।


एक अलग ऊर्जा एक अलग खुशी का एहसास हो रहा है।


6 माह बाद


मैं मसूरी से घर वापस आ गयी हूं.... मैंने अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दिया है।

मैं निकल चुकी हूँ उस दर्द से जिसमें मैं कभी थी।


मेरी जिंदगी अब मेरी है....किसी ने मिलवाया है मेरे अधूरे हिस्से को मुझसे....,अब रातें रोते हुए नहीं खुद को प्यार करते गुजरती हैं।


कभी कभी हम खुद से ही अनजान होते हैं और दूसरों को प्यार करने के चक्कर में खुद को भुला बैठते हैं.... पर जो आपका राब्ता आपकी रूह से कराए सही मायनों में वही आपका है।


जाने क्या रिश्ता था हमारा पर वो कुछ दिन मसूरी में....मेरी जिंदगी बदल गयी।

अब ये चमत्कार था या मेरा भरम....मुझे तो खुद से प्यार हो गया है....आपको हुआ कि नहीं।


की अक्सर रातों को जब सब सो जाते हैं,

मैं उठ कर झांकती हूँ, झरोखों से बाहर,

देखती हूं खुद को ही एक आजाद रूह की तरह,

अलमस्त होकर नाचती हूं, उन परिंदों सा, जो आज भी अपनी उड़ान को भूले नहीं।

फिर क्यों मैं भूल जाती हूं,

दिन के उजालो में खुद को, और सिमट जाती हूं मैं अपनी ही खोह में, एक गिलहरी की तरह, डरती हूं अपनी ही नजरों से, घबरातीं हूँ अपने ही साये से।


समाप्त


Rate this content
Log in

More hindi story from Pragya Tripathi

Similar hindi story from Romance