Pragya Tripathi

Drama Others

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Pragya Tripathi

Drama Others

अलग

अलग

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घर में तूफान सा मच गया है। ऐसा लगता है मानो बम फट गया हो सबके कानों में....

तू पैदा होते ही मर जाती तो अच्छा होता....मुझे तो लगता है भाभी कोई भूत प्रेत का साया पीछे पड़ गया है।

हमारी ही गलती है बाहर भेजना ही नहीं चाहिए था....सब लोग यही कहते थे कि बेटियों को ऐसे खुले में नहीं रखना चाहिए....सही ही कहते थे।


किस्मत फूट गयी हमारी। पूरा परिवार ऐसे मातम मना रहा था जैसे मैंने न जाने कौन सी गलती कर दी थी।

हम्म गलती ही तो थी....मेरा पैदा होना ही गलती थी। आप सोच रहे होंगे मैं कौन??? मेरा नाम है सुरभि पोद्दार।

मेरे पिता आर्मी में कर्नल और मां एक हाउस वाइफ....उत्तराखंड के इस छोटे इलाके में जन्मी मैं....मेरे माता पिता बड़े ही खुले विचारों वाले हैं कम से कम अब तक तो मुझे ऐसे ही लगता था।

मेरे जन्म लेने के बाद किसी का जन्म नहीं हुआ, कहने का मतलब घर में कोई दूसरा भाई बहन नहीं आया क्योंकि खुले विचारों वाले मां बाप का कहना था कि अकेले में मेरी परवरिश अच्छी होगी। न जाने क्यों आज खुद को ही कोस रहे हैं।


माया पोद्दार मेरी माँ, माया तुम्हें ध्यान देना चाहिए था बेटी किस संगत में जा रही है। तुम्हारी इस लापरवाही का नतीजा है जो आज ये हाथ से निकल गयी।

हाथ से निकल गयी?? मैं क्या कोई कुत्ता बिल्ली हूं जो हाथ से निकल गयी?

खैर अभी मेरी कोई नहीं सुनने वाला, ये जो इतना बड़ा बम मैंने अपनी शादी के 1 हफ्ते पहले सुनाया है, इसे सुन कर सब मुझे गलत समझ रहे हैं।

आप भी गलत समझ रहे हो.... न न मुझे किसी और लड़के से प्यार मोहब्बत नहीं हुई है। बल्कि उससे भी बुरा कुछ हो गया है।

क्या हुआ जानने के लिए मुझे थोड़ा पीछे जाना होगा।


कुछ सालों पहले अपने घर से लड़ झगड़ कर मैं पढ़ाई के लिए मुम्बई गयी थी। पढ़ाई के दौरान ही मेरी बेस्ट फ्रेंड बनी जोया। कब साथ रहते रहते हम दोस्त और दोस्त से अच्छे दोस्त बन गये पता ही नहीं चला। दो साल पहले जब हमारी अलग अलग जगह जॉब लगी, तब हमें इस बात का एहसास हुआ कि हम सिर्फ दोस्त ही नहीं बल्कि दोस्त से बढ़ कर है। जिसे हमारे यहाँ प्यार कहा जाता है। तो मुझे यानी सुरभि को जोया से प्यार हो चुका था।

पर ये कहानी तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो चुकी थी क्योंकि हमारा तो प्यार ही गलत था।


सुरभि के साथ जोया नाम कभी जुड़ ही नहीं सकता न क्योंकि ये समाज की रीतियों के मुताबिक नहीं है,अरे लड़की के साथ हमेशा लड़के का नाम होना चाहिए.... कभी लड़की लड़की को साथ होते, प्यार करते तो किसी ने देखा ही नहीं था।

बस फिर क्या, हम दोनों ने ही घर पर न बताने की ठान ली। पर प्यार तो प्यार है वो लड़का लड़की नहीं देखता, वो देखता है तो बस आपके जज्बात।

मैं और जोया....एक दूसरे के बिना नहीं रह पा रहे थे। मुझे भी पता चल गया था कि हम दोनों का प्यार दुनिया की नजर में नॉर्मल नहीं है।


हद तो तब हुई जब घरवालों ने मेरी शादी फिक्स कर दी। मेरी शादी की एज ऊपर से सेटल लाइफ घर वालों को क्या पता था कि मेरे अंदर क्या चल रहा है। मुझ में भी हिम्मत नहीं थी....जोया के लाख बार समझाने पर भी मैं घर वालों को बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।

पर शादी के एक हफ्ते पहले....मुझे ये कदम उठाना ही पड़ा, क्योंकि आज नहीं तो कभी नहीं।

मैंने घर वालों को बता दिया, की मैं किसी लड़के से नहीं बल्कि लड़की से प्यार करती हूं।

बस फिर क्या था....मेरे घर वालों की तो अब दुनिया ही उजड़ चुकी है। जिस लड़की को वो अपनी लाडली मानते थे उसे डायन और चुड़ैल बनते देर नहीं लगी।


बस इतनी सी बात है जिस पर पूरा घर बवंडर से भरा हुआ है। तू हमारी बेटी हो ही नहीं सकती.... हमारी औलाद ऐसी गिरी हुई निकलेगी हमने कभी नहीं सोचा था। सोचा तो मैंने भी नहीं था कि जो परिवार आपके सुख दुख में शामिल होने आपकी मदद के लिए बना होता है वो ऐसे मुझे जलील करेगा।

4 दिन बीत चुके हैं, शादी तो कैंसिल हो गयी है साथ ही मेरा अपने माँ बाप के साथ रिश्ता भी।

शायद उन्हें अभी समझ नहीं आ रहा कि मैं गलत नहीं अलग हूँ बस।

पर आप लोग तो समझ रहे हैं न....प्यार का कोई मीडियम कोई टाइप नहीं होता। प्यार रूह से रूह का राब्ता है। जैसे मुझे जोया मिली....।


एक दिन शायद मेरे परिवार को भी समझ आ जाएगा कि हम अलग है गलत नहीं। बस इतनी सी कहानी है मेरी।



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