Gulafshan Neyaz

Drama

5.0  

Gulafshan Neyaz

Drama

कजरी

कजरी

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रमन आज फिर कई सालो बाद गाँव आया था। रूठ बैठ था इस गाँव से अब दिल नहीं लगता इस गाँव मे। कई सारी यादे जुड़ी थी

जो उसे बहुत तकलीफ देती और अंदर ही अंदर कचोट देती कई सारे जखम हरे हो जाते इसलिए उसने गाँव ही आना छोड़ दिया माँ और पिताजी को पैसे भेज देता और वीडियो कालिंग कर लेता ना उसने कभी आने की कोशिश की ना माँ और पिताजी ने बुलाने की कोशिश की पर बहुत जायदा बीमार पर गए और रोने लगी आखरी बार अपने जिगर के टुकड़े को देखने की इच्छा वकयत की जिसे ना चाहते होए भी रमन को आना पारा माँ तो उसकी पूरी दुनिया थी फिर उनकी इच्छा कैसे टूखरता

बेटा तुम आ गए माँ उसके गले लग कर जोर जोर से रोने लगी तो रमन की आँखे भी भर आई बेटा माँ की इच्छा पूरी कर दि हमको तो लगा बेटा तुम नहीं आओगे। कैसे नहीं आता अम्मा तुमने दिल से जो बुलाया था अब सब ठीक हो जाइयेगा।

रमन बाबु पहले नाहा धो ले मे खाना लगाती हूँ अम्मा ने आपकी पसंद के सारे खाने बनाये है। भाभी ने हॅसते होए कहा तो रमन चौंक गया अम्मा तुमने क्यों बनाया तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं थी। फिर इतनी मेहनत क्यों की कैसे नहीं बनाती इतने सालो के बाद तो मौका मिला है अपने बच्चे के लिए कुछ बनाने का।

वो चुप चाप उठ गया ज़ब नाहा कर आया तो भाभी खाना लगा चुकी थी। उसने खाने को गौर से देखा माँ ने सारे खाने उसी के पसंद के बनाये थे।

कटहल की सब्जी छोले चावल पूरी खीर भाभी या सब अम्मा ने बनाया हां देवर जी अम्मा बहुत ख़ुशी थी आप इतने सालो बाद आये भाभी ने रमन के चेहरे को गौर से देखा तो रमन जल्दी से सर झोक्ये डॉयनिंग टेबल की तरफ बढ़ गया सैयद वो भाभी के नज़रो से बचना चाहता हो।

शाम हो चुकी थी। मौसम बहुत खुशनुमा था। रमन दरवाज़े पर कुर्सी लगाए बैठा मोबइल पर कुछ देख रहा था। साहेब चाय उसने बिना नज़र ऊपर किये कहा मै चाय नहीं पिता भैया अदरक वाली चाय है बहुत अच्छी है पीके सारी थकवाट दूर हो जायेगी।

तभी भाभी आ गई कमली चाय ले जाओ भैया चाय नहीं पीते। कमली चाय की ट्रे लेकर चुप चाप चली गई।

देवर जी क्या आप हमलोगो को माफ़ नहीं करेंगे हम लोगो ने जो भी किया आपकी भलाई के लिए किया बाबु जी बस आपकी खुशी चाहते है।

भाभी मुझे नहीं लगता की हमें इन सब बातो पर दुबारा बात करना चाहिए इतना कह रमन कुर्सी पर से उठ गया अब उसका दिल भरी होने लगा आज फिर से उसी बसंत ने दस्तक दी थी छत पर से वो खेतो को निहार रहा था। कितना सुन्दर दृश्य है खेतो मै सरसों के फूल लहलहा रहे है बागों मै चिरडिया की चह्चहाट कितना सुन्दर है या दृश्य सब कुछ बिलकुल पहले जैसा

अचानक उसके चेहरे पर उदासी आ गई और वो पुरानी यादो मे खो गया

रमन और राम जगदीश के दो बेटे थे रमन छोटा था। राम को पढ़ाई मे दिल नहीं लगता था जगदीश और उसकी पत्नी ने राम को पढ़ाने की बहुत कोशिश की पर वो अपने अाबरे दोस्तों के चक्कर मे पर गया और जुआ और शराब की लत लग गई। तो लोगो ने कहा की लड़के की शादी कर दो घर की जिम्मेदारी परे गी तो सुधार जाएगा।

जगदीश और मालती ने भी सब कोशिश कर के हार मान ली इसलिए उसने उसकी शादी करने का ही इरादा कर लिया कंही शादी के बाद ही सुधार जाए।

राम का बिलकुल उल्टा रमन था उसे किताबों से दोस्ती थी और माँ बाप का चाहीता था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए शहर गया था। इधर जगदीश ने राम की शादी एक समझदार और पढ़ी लिखी लड़की देख कर तय कर दी थी। राम के शादी की तारीख तय हो गई थी रमन भी छूटी मे घर आया होवा था। फरबरी का महीना था। मौसम बहुत सुहाना था।

जगदीश- रमन चलो खेत मे थोड़ी मेरी मदद कर दो गेहू मे पानी पटाना है।

रमन- जी बाबु जी आप चले मै पीछे से आता हूँ।

जगदीश- ठीक है

रमन ने जल्दी जल्दी नास्ता किया और सर पर गमछा बंधा तो माँ हसने लगी या क्या है। माँ अब लग रहा हूँ ना किसान इतना कहते ही रमन साइकिल पर बैठ गया और अपने ही धुन मे साइकिल चलाने लगा अचानक गाँव के मेड़ पर उसकी साइकिल लरखरा पर और वो गिर परा तभी पीछे से किसी के हॅसने की आवाज़ आई तो पोछे मूर कर देखा तो एक लड़की लगातार पागलो की तरह हंसी जा रही थी। जिसे देखकर रमन को गुस्सा आ गया उसने पहले खुद को खरा किया फिर साइकिल को खरी की और लड़की को घूर कर गुस्से मे देखने लगा तो लड़की जल्दी से अपनी हँसी को कंट्रोल कर वहां से जल्दी से नौ दो ग़ैरह हो गई उसके बाद तो रमन को भी हँसी आ गई। और वो अपने कपड़ो को झारता होवा आगे बढ़ गया।

आज मौसम मे थोड़ी ठण्ड थी रमन सुबह सुबह मॉर्निंग वाक के लिए निकला अरे रमन बाबु कब आए अरे रमेश काका आप कँहा जा रहे है इतनी सुबह सुबह अरे बबुआ खेत मे थोड़ा मेड़ बनआने गई थे चलो बबुआ मेरे घर चलो। रमन भी उनके साथ हो लिया अरे कजरी बिटया दो कप चाय बनाओ अरे नहीं चाचा मे चाय नहीं पिता अरे बाबु या लोग बड़े आदमी ठहरे सहरी बाबु या लोग चाय क्यों पीने लगे या सब तो कॉफ़ी पीते होंगे नहीं ऐसी बात नहीं है रमन ने धीरे से हॅसते होए कहा उसने कजरी को गौर से देखा उसकी आँखे नीली थी नैन नक्श तीखे थे।

ऐसा लग रहा था जैसे कुदरत ने उसे फुर्सत मे बनाया हो वो उसमें खोने लगा तो कजरी भी रमन की नज़रो के ताप को भाप गई और मुश्कुराते होए अंदर चली गई थोड़ी देर बाद कजरी दो कप चाय लाई। रमन ने चाय के घूट लिए वाह क्या चाय बनी है अदरक और चीनी का परफेक्ट बैलेंस पीके तो मज़ा आ गया। आपको अगर हमारी चाय अच्छी लगी हो तो हमरी कुटिया पर पीने आ सकते है कजरी ने मुश्कुराते होए कहा।

उसके बाद रमन और कजरी अक्सर मिलने लगे कभी बगीचे मे कभी हरे भरे खेतो साथ मे गन्ना खाते होए रमन ज़ब कजरी के हाथों की चाय पिता तो उसमें खो जाता देखते ही देखते राम की शादी हो गई और रमन की छुट्टी भी ख़तम हो गई। ऐसा पहली बार होवा था जो उसको जाने का दिल नहीं कर रहा था कंही उसे कजरी से प्यार तो नहीं हो गया नहीं नहीं बस वो उसकी अच्छी दोस्त है उसने जल्दी से इन सब खयालो को अपने दिमाग़ से निकाल दिया पर दिल बात मानने को त्यार नहीं था। आज उसकी ट्रैन थी सोचा जाने से पहले कजरी से मिल लूँ वो जैसे ही उसके घर गया आरे इंजीनियर बाबु जा रहे है आप जा के हमें भूल तो नहीं जइयाए गा वैसे भी मै गाँव की गामार जो टहरी उसने हॅसते होए कहा अचानक रमन ने उसका हाथ पकड़ लिया कजरी मेरा इंतजार करना मै वापस आऊँगा तुम्हारे बापू से तुम्हारा हाथ मांग लूँगा कजरी के आँखों मे आंसू आ गए ओ रमन के सीने से लग कर रोने लगी वक़्त पँख लगाकर उरटा गया। रमन ने इंजीनियर कम्पलीट कर ली उसे अच्छी कंपनी मै जॉब भी मिल गई बहुत खुश था।

अब वो गाँव जायेग और कजरी का हाथ मांग लेगा उसके बाबु से रास्ते कजरी के यादो मे कैसे कटे पता ही नहीं चला। अरे बेटा बिना बातये सब ठीक है ना हाँ अम्मा मुझे नौकरी मिल गई क्या बात है देवर जी तब तो आपके लिए छोकरी भी ढूंढने चाहिए भाभी ने हॅसते होए कहा। रमन और कजरी दोनों एक दूसरे के बाहो मै बाह डाले बैठे थे हमें तो लगा की तुम मुझे भूल गए कोई सहरी मेम की चक्कर मे पर गये मिली तो बहुत पर तुम्हारी जैसी मासूमियत और चंचल नहीं थी अब तो कजरी तुम्हारे बिना एक पल नहीं रहा जाता तो मांग लो ना मेरे बापू से मेरा हाथ मै आज ही पिता जी से कहता हूँ मांग ले तुम्हारा हाथ मेरे लिए रमन क्या तुम्हारे घर वाले त्यार होंगे इस रिश्ते के लिए हमरी अमीरी गरीबी कंही हमारे रिश्ते की दिवार ना बन जाए कैसी बात करती हो कजरी मेरे माँ और पिताजी मुझ से बहुत प्यार करते है वो मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकते है देखना तुम मै जल्दी ही तुम्हारे लिए लाल जोड़ा लेकर आऊँगा इतना कह कर रमन चला गया।

रमन और कजरी के रिश्ते की बात सुनते ही घर मे तूफान आ गया।

जगदीश ने तो पुरा सर ही घर पर उठा लिया उस दो कोरी की लड़की की या अवकात जो मेरी घर की बहू बने इसी लिए तुझे पढ़ाया ताकि तो उस गवार से शादी कर के गाँव मे मेरी बदनामी कर सके माँ का तो रो रो कर बुरा हाल था आखिर जददू कर ही दिया मेरे बच्चा पर उस चुड़ैल ने फुट जाए उस की कांची आँखे माँ आपलोग बस कीजए देखते ही देखते बात पूरी गाँव मे फ़ैल गई कजरी और उसके बाबु की बहुत बदनामी होए लोग तरह तरह की बातें करने लगे

देखने मे तो भोली लगती है पर मुर्गा मोटा फसाया रमेश को बहुत सदमा लगा उसने कजरी की शादी दूसरे जगह तय कर दी रमन ने बहुत कोशिश की पर घर के लोग ताश से माश नहीं होए थक हार के रमन और कजरी ने घर छोड़ने का फैसला लिया या बात रमेश को पता चल गई बिटया जाने से पहले अपने बाबु को थोड़ा जहर देते होए जाना क्योकि तुमको मे रोकूंगा नहीं पर उसके बाद मे किसी को मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रहूँगा कजरी अपने बाबु के गले लग कर जोर जोर से रोने लगी रमन उसका गाँव के बाहर इंतज़ार कर रहा था रमन भैया कजरी दी ने आपको एक चिट्ठी दी है। रमन हमरा और तुम्हारा साथ यही तक था। हमरी किस्मत मे मिलन नहीं लिखा था। मे अपने बापू को धोखा नहीं दे सकती हो सके तो मुझे भूल जाओ रमन सन रह गया

कजरी ने अपने शादी के दिन ही फांसी लगाकर जान दे दी उसने रमन के लाल जोड़े पहनने का वादा जो किया था। कजरी की मौत के बाद रमन भी जिन्दा लाश हो गया उसके अंदर भी अब धड़कन नहीं थी।


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