किन्नर
किन्नर
"शर्म नही आती भीख मांगते हो" भोली ने मुँह बनाकर पूछा।
"शर्म आती है न दीदी,इतनी की कई बार भूखे ही सो जाते हैं।पर क्या करे हमे यही करना है।
ढोलू ने जवाब दिया।
क्यो ?इतने बड़े तो हो कुछ काम नही कर सकते ढोलू"
भोली ने 5 रुपये देते हुए कहा।भोली स्कूल से लौट रही थी।हर बार ट्रैफिक पर यह ढोलू उसे मिलता। माँ उसे कभी 5 कभी 10 रुपये देने को कहती। उसके हाथ मे एक ढोलक था इसीलिए उसे ढोलू कहती। ढोलू ने उसकी मां श्वेता को भी प्रणाम किया। श्वेता की आंख से आंसू छलक आए।
यह श्वेता के बचपन का दोस्त पुनीत ही था।कोई नही जनता था वह किन्नर है।चौथी तक साथ पढ़ा था।पुनीत की चाची बहुत झगड़ालू थी। उसकी माँ ने बहुत दिनों तक यह बात छिपाए रखी।
एक दिन श्वेता स्कूल से लौटी तो बहुत सारे लोगों की टोली उसे लेकर जा रही थी।
रोती छटपटाती पुनीत की माँ बेहोश हुई जा रही थी।और चाची चिल्ला रही थी।कब तक इस पाप को घर मे छुपा कर रखोगी। एक दिन तो जाना ही था।इसके साथ हमारे बच्चों की भी बदनामी हो रही है।
श्वेता बहुत नही समझ पाई। उसकी माँ को पागल होते भी देखा । बेटे के गम में पुनीत की माँ रो रोकर अधमरी हो गयी। श्वेता बड़ी होकर दूसरे शहर में आ गयी।शादी के बाद यही ट्रैफिक पर मिला पुनीत। वह श्वेता को पहचान गया।श्वेता ने 500 का नोट बढ़ाया।उसने इनकार कर दिया।
कहा अपनी औकात भर ही लेना है। घर आकर बेचैन रही श्वेता।अगले दिन फिर वह मिला।श्वेता ने उसे गाड़ी में बैठने को कहा। वह बैठ गया।काश वह बचपन के साथी से गले मिलकर रो पाती। पुनीत ने अपनी दर्दनाक कहानी बताई।
कैसे भीख नही मांगने पर उसे मारा जाता।भूखा रखा जाता।माँ की याद में रात रात भर रोता।
वह लोग उसे दूसरे शहर में भेज दिए।अब तो वह अभ्यस्त हो गया है।राह चलते कोई चिकोटी भी काटता है कोई जिस्म सहला कर निकल जाता है। आते जाते गन्दी गालियों का शिकार होना उनकी आदत है।
"माँ से मिले कभी।" श्वेता ने पूछा।
"नही,इन लोगो ने कहा घर जाओगे तो सब मर जाएंगे।"
"उफ्फ।!"
"श्वेता एक बात कहूँ,"पुनीत ने पूछा।
"हां कहो "
"माँ कहती थी एक दिन श्वेता जैसी ही बहु लाऊंगी।और मैं शरम से भाग जाता।पर तुम मुझे बहुत अच्छी लगती थी।माँ के बाद आज तक जिसे नही भूल पाया वो तुम हो।"
"रो रहे हो पुनीत?"
"नही यहाँ से उतार दो ,अब इधर की ड्यूटी है हमारी!"और उतर कर चला गया वो।
