ख्वाहिश
ख्वाहिश


कितने अरमानों के साथ आई थी अफजा अपने नए घर में शादी के बाद ।लेकिन यहां तो सब एक से बढ़ कर एक थी ।कोई किसीको कुछ नहीं समझता सब अपनी फ़िक्र मै मेरे जा रहे है । मैं और मेरा बस यही देखा मैंने यह आकर आफजा ने रेहान को बताया ।अफज़ा के घर मै सिर्फ प्यार ही था ।
उसके अम्मी अब्बू सब प्यार से बात करते थे कोई चिल्लाता नहीं था ।मगर रेहान के घर में तो बात भी जैसे जोर से करते थे कोई भी यही समझे की लड़ रहे है ।
क्या यह लहजा दुरुस्त होता है घर मै या फिर किसी औरत से बात करने का ।हमे हमेशा तहजीब से बात करनी चाहिए ।यही हमारी हिन्दुस्तानी बोली की पहचान है ।