Afzal Hussain

Comedy Romance

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Afzal Hussain

Comedy Romance

कहानी - शादी मुबारक

कहानी - शादी मुबारक

16 mins
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(यहाँ बिके हुए माल की कोई गारंटी नहीं है )

यमुना पुल की तरफ भागते हुए वो बड़बड़ाए जा रहा था “साली ये भी कोई ज़िन्दगी है, टेनिस बॉल की तरह कभी इधर टप्पा खा रहे हैं कभी उधर टप्पा खा रहे हैं, मुझसे अच्छा तो गली का कुत्ता है दिन भर शोर शराबा सहने के बाद कम से कम रात में तो सुकून से सोता है.. यहाँ तो सुकून ऐसे गायब हुआ है जैसे खोपड़ी से बाल.. कितना भी जतन कर लो लौट के आने का नाम ही नहीं ले रहा, मेरी ही गलती है सबका जीवन गुल बनाने के चक्कर में खुद गुलगुल्ला बन के रह गया हूँ .. अब ये साला पुल इतना ऊँचा किसने बनाया बे कूदने में भी डर लग रहा है ..” ये बोलते हुए वो पुल के तीसरे पिलर पर पहुंचा और नदी में कूद गया।

रुकिए रुकिए रुकिए अपने भावुकता एक्सप्रेस को तनिक विराम दीजिये और थोड़ा फ़्लैशबैक में चलिए...

ये हैं विमल तिवारी पुत्र श्री कमल तिवारी, पैंतीस साल का कामयाब और ज़िंदादिल युवक..एक आम युवक जो कुछ भी चाहता है ज़िन्दगी से कम बेसी वो सब इनके पास है..जनाब इस कदर खुश थे के इनकी ख़ुशी को नज़र लगना स्वाभाविक था ..

घर, ऑफिस, अड़ोस पड़ोस.. यार दोस्त.. एक्स नेक्स्ट.. सौ मुंह हज़ार बातें “विमल शादी कब कर रहा है.. क्यों नहीं कर रहा है.. क्या हो नहीं रही है.. कोई कमी तो नहीं है.. तेरा मन नहीं करता क्या.. भाई अब तो सेटल हो जा..वगैरह वगैरह..

हालत ये थी के कोई अफगानी भी जब इनकी गली में मेवे बेचने आता था तो सबसे ज्यादा तेज़ इसके घर के बाहर आकर चिल्लाता था “मैं लाया है अफगानिस्तान का खजूर.. दूध में उबाल के महीना भर खायेगा, खुदा कसम एकदम खच्चर हो जायेगा.. और मैं लाया है लंगूरों का नगीना, अफगानी पत्थरों का पसीना, बुड्ढे की जवानी, खून की रवानी, असली शिलाजीत.. बस जीरा बराबर दूध में घोलकर दस दिनों तक पी फिर घोड़े माफीक जी.. और मैं लाया है असली अंजीर जो ठंडे से ठंडे जिसम में भी आग भर दे, फ़ुस्सी पटाखे को एटम बम कर दे..चेहरे पर आ जायेगी लाईट, सिस्टम हो जायेगा टाइट.. रंगीन होगी नाईट ..”

वो तब तक चिल्लाता जब तक विमल अंदर से लठ लिए गाली बकता हुआ बाहर नहीं आता.. लेकिन अफगानी भी पक्के सेल्समैन होते हैं.. भागते भागते भी बोलता जाता “विमल भाई और मैं लाया है सांडे का असली तेल.. जब ये दिखायेगा अपना खेल.. अच्छा अच्छा हो जायेगा तेरे आगे फेल”

अक्सर जब कभी दोस्त पूछते विमल भाई शादी क्यों नहीं कर रहा है तो उसका एक ही जवाब होता “भाई ग्लास भर दूध के लिए कौन भैंस पाले..उसको चारा डालो, नखरे झेलो.. खर्चे उठाओ..उसके बाद भी कब पीछे सीँघ घुसेड़ देगी पता नहीं.. आखिर यमराज की सवारी है भाई.. हम उससे दूर ही बढ़िया …वैसे भी कुपोषित थोड़ी हूँ ..थैली वाला दूध तो पी ही लेता हूँ ”

“लेकिन भाई थैली वाला दूध सेहत के लिए अच्छा नहीं होता.. जानलेवा कैंसर भी हो सकता है उससे.. याद रखियो ” जब दोस्त इस तरह स्वास्थ्य सालाहाकार बन जाते तो विमल चुप हो जाता,

शाम को ऑफिस से घर लौटता तो मम्मी सर पर चुन्नी बांधे पड़ी रहती.. पूछता क्या हुआ तो कहती “क्या क्या बताऊं.. अब उम्र हो गई है तो कुछ ना कुछ लगा ही रहता है.. बस मरने से पहले पोता पोती का मुंह देख लूँ यही अंतिम इच्छा बची है” ये सुनते ही विमल भड़क जाता..

“यार मम्मी तीस साल से देख रहा हूँ तेरी अंतिम इच्छा ना पूरी हो रही .. भगवान बस मेरी ये अंतिम इच्छा पूरी कर दे अपना घर देदे दिल्ली में और कुछ नहीं चाहिए .. घर मिल गया तो गाड़ी दे दे.. फिर बेटे को नौकरी दे दे.. फिर कश्मीर देख लूँ.. चारों धाम घूम लूँ.. बनारसी पहन लूँ..जापानी सुशी खा लूँ.. ये सुशी खाने की अंतिम इच्छा किसकी होती है .. और अब पोता पोती”

तभी पीछे से पिता जी भड़के “गलत क्या कह रही है तेरी माँ.. पारक में जाते हैं योगा करने दूसरों के बच्चों को खेलता हुआ देखकर कितना मन ललचता है.. अंदाजा है तुझे.. हमारे पोता पोती होते तो वो भी हमारे साथ खेल रहे होते.. बुढ़ापा पोता पोती के सहारे ही तो कटता है .. बेटा मूल से ज्यादा प्यारा सूद होता है”

“क्या मूल सूद.. ज्यादा खजाँची ना बनो पापा .. और पार्क में योगा करने जाते हो के औरों के बच्चों को ताड़ने .. और हाँ ये पांच साल से रोज़ रोज़ एक ही सेल्फी को शुभ प्रभात और शुभरात्रि लिखकर पोस्ट करके मुझे टैग करना छोड़ दो,”

“किसने कहा एक ही सेल्फी है.. रोज़ नई लगाता हूँ”

“अरे लगती तो एक जैसी है और तो और वो कुंवारा बाप के गाने सज रही गली मोरी मैयां चुनर गोटे में मुझे टैग करके ‘काश’ लिखने का क्या मतलब है ..मोहल्ले के सारे अंकल आंटीयों के फ्रेंड रिक्वेस्ट आए पड़े हैं... मेरा इनबॉक्स उनके मेसेज से भरा हुआ है..सुनो क्या क्या लिखते हैं..‘बेटा शादी कब कर रहे हो’.. ‘बेटा अब सेटल हो जाओ’... ‘अपने बूढ़े माँ बाप पे तरस नहीं आता तुझे’…. ‘समलैंगिक रिश्ते गच्चे देते हैं बच्चे नहीं, ये हमारी संस्कृति ध्वस्त कर देंगे, बेटा इस दलदल से निकलो और पारिवारिक बनो’.. ‘बेटा कोई गुप्त समस्या है तो मित्र समझकर बेहिचक साझा कर सकते हो, मैं एक अच्छे वैध को जानता हूँ’.. ‘बस बेटा अब जवानी के कुछ दिन ही बचे हैं जल्दी शादी कर लो क्यूंकि बुढ़ापे में हल नहीं चलता, तुम्हारा खेत फिर कोई और ही जोतेगा’..

लेवल देख रहे हो अपने दोस्तों के मेसेज का ‘खेत कोई और जोतेगा’.. छी....तुमने ही कहा होगा हमारी तो सुनता नहीं है आप लोग समझाओ ” बस इतना कहना होता है के कमल जी अपना पालतू डायलॉग मारते हुए टीवी खोलकर बैठ जाते हैं और रिमोट के बटन पर गुस्सा निकालते हुए बड़बड़ाने लगते हैं..

“इससे तो बहस करना ही बेकार है.. कहाँ की बात कहाँ ले जाता है.. जो करना है कर हमें क्या.. तब याद करेगा हमें जब बुढ़ापे में कोई पानी के लिए भी पूछने वाला नहीं होगा ”

उधर उसकी माँ कमला जी का वही पालतू एक्टिंग कृष्णा कावेरी बहाते हुए नाक सुरकना और कहना “कितना बदतमीज हो गया है बाप से मुंह लड़ाता है.. दो पैसा क्या कमाने लगा माँ बाप की इज़्ज़त करना भूल गया ..मैं तो बस नौकरानी हूँ..मेरी तो इस घर में सुनता ही कौन है” इतना बोलकर वो मोबाइल पर फुल वॉल्यूम में अनिल कपूर की फ़िल्म बेटा लगाकर बैठ जाती और विमल को सुनाते हुए कहती “ देख एक ये बेटा है जिसने सच जानते हुए भी अपनी सौतेली माँ की दी हुई ज़हरीली खीर ख़ुशी ख़ुशी खा ली और एक मेरा बेटा है…” इतना बोलकर रोने लगती और मोबाइल में गाना बजने लगता .. ओ माँ.. तू मेरा लाडला..

आखिरकार नार्थ पोल का ग्लेशियर कब तब खैर मनाता.. भावनात्मक ड्रामों के ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापन) में एक दिन तो उसको पिघलना ही था..

एक शाम विमल ऑफिस से लौटता है तो देखता है उसका दूर का एक मामा सोफे पे बैठा चम्मच से उठाकर नमकीन अपनी हथेली में रखके मुंह में फांक रहा है ऊपर से चाय की चुस्की लेते हुए हाँक रहा है “ जीजी तू ये लगा ले वो लड़की ना है, लक्ष्मी है लक्ष्मी..खूब सुन्दर संस्कारी पढ़ी लिखी और किस्मत की धनी.. जब हुई चाय का खोखा था उसके बाप का अभी होटल है चाय का.. भीड़ ना टूटती उसके दूकान में ..लड़की के गुणों के तो चर्चे हैं दूर दूर तक.. सात गाम में कहीं पूछ लो जाके ओके रिपोर्ट मिलेगी ..जीजी वो खानदानी बिज़ीनेसमैन लोग हैं.. उनके चाचा ताउओं के सबके छोले भठूरे मोमोस फेंच फराई के बिजनेस हैं ..तू लगा ले शादी ऐसी करेंगे.. देखने दिखाने लायक..जीजी तुमने कोई अच्छे करम किए होंगे..” बात बीच में काटते हुए कमला बोली..

“हाँ भाई चार धाम होके आए पिछले साल मैं और तेरे जीजा”

“बस इसलिए मिल रही है ऐसी बहु वर्ना 35 40 साल के अधेड़ की शादी हो जाओ बड़ी बात है..बुरा मत मानिये जीजी .. बचा खुचा ही मिल पाता है इस उम्र में.. अच्छी गुणी लड़कियां तो बीस से पछचहिस की होते होते निपट लेती हैं ”

“जब इत्ती गुणवान् है तो अब तक कुंवारी क्यूँ है भाई”

“किस्मत जीजी किस्मत.. अपने विमल की किस्मत चमकानी थी उसे..शादी तो उसकी खूब पहले हो जाती लेकिन कई साल पहले मैंने भाई साहब को बोल दिया.. देखो भाई साहब शादी होगी गुड़िया की तो मेरे पसंद के लड़के से वर्ना ना होगी …अपने घर जैसी बात है.. जैसे तुमसे बोलचाल है वैसे उनसे है .. उन्होंने कही आपकी बेटी है मुरारी जी..जहाँ कह दोगे आँख मूंद के दे देंगे..मेरे भांजे से बढ़िया लड़का पुरे जमना पार में ना मिलने का उनको.. देखिये जीजी जोड़ी कितेक प्यारी है विमल संग शांति.. विमल शांति .. ऐसा ना लग रहा जैसे कोई जैनियों बौद्धधों के तीरथ का नाम हो ” बोलके वो चापलूसी वाली हंसी हंसने लगा..

“ठीक है भाई फेर चला बात..”

“बात तो चला लूंगा.. कोई डिमांड डुमूंड तो ना है तुम्हारी”

“ना ना.. बस बहु चाहिए हमें तो.. बाकी भगवान् ने सब दे रखा है”

“बस तो फिर जीजी.. महीने भर में कर दो शादी.. ज्यादा देखने दिखाने में कुछ ना रखा .. और हाँ…ये सोफे सुफे दान कर दे..ये पुराने टीवी टूवी हटवा ले..इतना समान आएगा रख ना पाएगी तू.. जगह बना ले घर में .. जा.. के याद करेगी भाई मुरारी ने कोई बहु दी है”

सबके आशीर्वाद से शादी संपन्न हुई, पहला दिन था विमल मुस्कुराता हुआ कमला के पास गया और उससे लिपटते हुए बोला “अब तो खुश है तू मम्मी .. आ गई बहु”

“खुश क्या वो हीरे के रथ पर चढ़ कर आई है.. अरे हमारी छोड़ो चार जेवर ना दिए गए उसके बाप से अपनी बेटी को.. कहने को बिजनेसमैन हैं.. सोफा सोफा किए जा रहा था मुरारी एक कुर्सी भी ना दी गई इसके बाप से.. पूरे मोहल्ले में मजाक बन रहा है हमारा .. इतना बूढ़ाके बेटे की शादी करी तो भी कुछ ना मिला..कहाँ कंजरो के घर में ब्याह दिया मुरारी ने.. आने दे इस बार उसे उसकी ऐसी पीपणी बजाउंगी याद करेगा.. फोन भी ना उठा रहा कमीना ”

“पर मम्मी तुझे तो बस बहु चाहिए थी ना.. फिर लोड क्यों ले रही है.. क्या चाहिए बोल मैं ला दूंगा”

“ओहो.. बेटा अभी तो तूने शादी के कपड़े ना बदले अभी से बहु का पक्ष लेने लगा..भग जा जोरू के गुलाम .. मुझे तो पहले शक था जादूगरनी है उसकी माँ .. खीर में ताबीज घोलके पिला दिया बुढ़िया ने मेरे बेटे को…बस में कर लिया जी.. अभी से सासरे का पक्ष ले रहा है.. जा भाग जा.. मर गी तेरी माँ ” इतना बोलकर कमला रोने लगी और मोबाइल में वही बेटा फ़िल्म का गाना बजा दिया.. ओह्ह माँ.. तू मेरा लाडला..

इधर विमल कमरे में घुसा तो शांति अशांत नज़र आ रही थी.. हिम्मत करके पूछा क्या हुआ...घर की याद आ रही है.. इतना सुनना था के शांति ने अपनी लाल लाल आँखों को उठाया और बड़बड़ाना शुरू कर दी “ इतने भोले तो हो नहीं तुम के तुमको पता नहीं क्या हुआ.. सुनें नहीं तुम्हारी माँ मेरे माँ बाप को कंजर बोल रही है.. उन्होंने क्या नहीं दिया.. अपनी बेटी दे दी कम है क्या.. तुमने क्या चढ़ाया शादी में.. सोने के दो जेवर.. हमने तो…” बात को काटते हुए विमल बोला..

“तू पागल हो गई है क्या.. क्या फ़ालतू बात कर रही है.. मैंने समझाया ना मम्मी को “

“हाँ ज़रूरत भी है उसको समझने की.. और ये तू क्या होता है.. मुझसे इज़्ज़त से बात किया करो”

“बड़ी कलेक्टर आई तू.. इज्जत वाली..अरे मैं ऐसे ही बात करता हूँ ”

“करते होगे पर मुझसे नहीं चलेगा.. जाओ भागो यहाँ से शकल नहीं देखनी मुझे तुम्हारी.. तू.. तू…बदतमीज”

“साला नाम विमल है इसका क्या मतलब सब गुटखा समझकर चबा के थूकते रहोगे” भिन्नाते हुए विमल उठा और हॉल के सोफे पे आके लेट गया.. तभी भीतर से शांति निकल के आई..

“क्या है ये.. ड्रामा क्यों कर रहे हो.. चलो अंदर”

“अरे अभी तूने ही तो कहा शकल नहीं देखनी”

“फिर तू.. हाँ कहा तो बाहर आके लेट जाओगे.. चलो अंदर ड्रामा मत करो..” बेचारा उठा और अंदर चला गया

बस ये तो श्री गणेश था.. उसके बाद रोज़ एक नए मुद्दे पर सेम लड़ाई..

शादी के बाद विमल को पता चला जो बातें मर्दों के लिए मायने नहीं रखती वो औरत के लिए लड़ाई का विषय हो सकती है, जैसे “कपड़ा उतार के उल्टा टांगना, नहाने के बाद वाशरूम को वाईप ना करना, घर पर आने के बाद दोस्तों से फोन पर गप्प करना, कोई बात बताना भूल जाना, या उसके किसी रिश्तेदार से उसे बताये बिना बात करना आदी आदी..लिस्ट लम्बी और पाठक अनुभवी हैं ”

विमल ऑफिस से 9 बजे आता था खाना पीना खाते उसे दस बज जाते थे, शांति दस बजे अनुपमा देखने बैठ जाती थी, 11 बजे तक अनुपमा ख़तम होता तब तक विमल के सोने का वक़्त हो जाता जिस बात पर रोज़ लड़ाई होती के दिन भर मैं इंतेज़ार करती हूँ और तुम आते ही सो जाते हो..एक दिन बात इतनी बढ़ गई के शांति दीवार पर सर पटकने लगी.. विमल ये देखकर घबरा गया और अपने ससुर जी को तत्काल फोन करके सूचित किया..

“पापा जी शांति को समझाइये दीवार में सर मार रही है गुस्से में.. चोट वोट लग गई तो.... मैंने हाँथ लगाया हुआ है दीवार और सर के बीच में.. उसे भी सुजा दिया इसने”

उधर से पापा जी ने कहा “बेटा बचपन से उसकी आदत है जब गुस्सा आता है तो ऐसे ही दीवार पे सर मारती है.. वो आपको हूल दे रही है.. मतलब ब्लैकमेल कर रही है..आप हाँथ हटा लो.. एक दो बार चोट लगेगी .. वो खुद शांत हो जायेगी..”

"पापा जी गुस्से वाली इतनी बड़ी बात आपने पहले क्यों नहीं बताया…"

“बताना क्या..बेटा सबको पता थी ये बातें तभी तो इसकी शादी नहीं हो रही थी.. आपके मामा को पचास हज़ार दिए तो उन्होंने शादी करवाई.. हाँ बेटा एक बात और कभी कभी ये चाकू उठाकर हाँथ काटने की धमकी भी देगी.. सीरियस मत लेना.. काटेगी नहीं .. अच्छा अपना ख्याल रखो…खुश रहो..” विमल की और कोई बात सुने बिना उन्होंने फोन काट दिया।

एक दिन सुबह सुबह विमल ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था के शांति ने टोक दिया “दुनिया में सब अपनी बीवी के लिए क्या कुछ नहीं करते तुमने आज तक मेरे लिए क्या किया ”

विमल ने जवाब ना देना उचित समझा क्यूंकि ऑफिस जाने का वक़्त हो रहा था..

“जवाब क्यों नहीं दे रहे.. मुंह में पान दबा रखा है क्या..”

विमल ने झुंझलाते हुए मगर शांति से जवाब दिया..

“हाँ मैंने कुछ नहीं किया.. और कुछ करना भी नहीं है.. साला तेरे को अपनी किडनी भी दे दूंगा ना तब भी तेरे को यही लगेगा कोई बड़ा काम नहीं किया…दो पड़ी थी एक दे दी इसमें बड़ी बात क्या है ..चल अभी मूड खराब मत कर ऑफिस जाना है”

“हाँ मैं मूड खराब करती हूँ.. तुम तो बड़ा मुजरा कर के मेरा मन बहलाते रहते हो”

“मुजरा तो तू करवा ही रही है मुझसे.. जबसे आई है ”

“फिर तू…अपनी जवान संभाल के बात किया करो नहीं तो खींच लुंगी पकड़ के किसी दिन” ऐसा बोलते हुए वो विमल के सामने पहलवान् की तरह छाती चौड़ा के खड़ी हो गई..

“रास्ता दे”

“नहीं दे रही”

“तुझ जैसी औरत से मुंह नहीं लगना मुझे.. ना रहना है तेरे साथ.. तू अपने रास्ते मैं अपने रास्ते.. “

“अपने रास्ते क्या.. तलाक दोगे तुम मुझे..”

“चल साइड हट”.. “नहीं हट रही.. जवाब दो.. तलाक दोगे .” इसी हट नहीं हट रही के धक्का मुक्की में शांति चारों खाने चित हो गई.. विमल ने भी उसे गंभीरता से नहीं लिया.. झटके से दरवाजा खोला और ऑफिस के लिए निकल गया.. आधे रास्ते पंहुचा होगा के उसके पास शांति की कॉल आई..

"आज तुमने फिजिकल होके अच्छा नहीं किया.. मेरे से अलग होना है ना तुमको.. मुझे भी नहीं रहना तुम्हारे साथ .. बहुत बुरा परिणाम भुगतोगे.. अब देखो मैं क्या करती हूँ.. आज रात 9.30 बजे"…इतना बोलके उसने फोन काट दिया.. उसके बाद शाम में मेसेज आया “टेबल पर चिट्ठी रखी है पढ़ लेना”..

रोज की तरह विमल ऑफिस से आया देखा घर में शांति नहीं है, टेबल पर चिट्ठी रखी है.. उसने उठाया पढ़ा और पुल की तरफ गाड़ी ले के निकल पड़ा..

बड़बड़ाता हुआ पुल पर चढ़ा तो देखा शांति पिलर नंबर तीन के आगे खड़ी इसका इंतज़ार कर रही है.. ये उसकी तरफ दौड़ा तब तक वो नदी में कूद गई .. विमल ने भी आव देखा ना ताव पीछे पीछे कूद पड़ा..

कुछ देर में नदी से घसीटते हुए वो उसे किनारे पर निकाला.. अपने और अपनी बीवी के पॉकेट से भीगा हुआ मोबाइल और पर्स निकाल के साइड में रखा.. उसकी बीवी पहले तो कुछ देर खांसती रही और फिर खांसी रुकते ही चालू हो गई “हटो.. छोड़ो .. मुझे मर जाने दो.. क्यों बचाया.. नहीं रहना ना तुमको मेरे साथ..मुझे भी नहीं रहना तुम्हारे साथ..”

“अरे मरना है तो चुपचाप जाके मर..पूरी दुनिया में डंका पीटके क्यों आई है ”

“मैंने कोई डंका नहीं पीटा”

“अच्छा..तो फिर ये पर्चा जो तू टेबल पे छोड़कर आई है.. ये क्या है .. मुझसे ये मिस ना हो जाए उसके लिए तूने दो एसएमएस, तीन व्हाट्सएप मेसेज और पांच वॉइस मेसेज छोड़ा हुआ है.. उसके अलावा स्टेटस और स्टोरी पे लगाया है ‘अच्छा चलती हूँ दुआओं में याद रखना .. अलविदा बेरहम दुनिया” ..और तो और अपनी माँ को बोलके आई के मुझे फोन करके याद दिला दे टेबल पर रखा पर्चा मैं पढ़ लूँ.. मेरे दोस्त जस्सा तक को बोलकर आई के वो मुझे याद दिलाता रहे के आज रात 9.30 बजे मुझे यमुनाब्रीज के पिलर नंबर तीन पर जाना है.. वो साला अलग मजे लिए जा रहा था रोमांटिक नाईटआउट समझके ”

“हाँ तो.. मैंने तो उसकी एक कॉपी डाक बॉक्स में भी डाल दी है, थाने का एड्रेस लिखकर के अगर तुम यहाँ नहीं पहुंचो तो मेरी चिट्ठी थाने पहुँच जाए .. ऐसे थोड़ी छोड़ दूंगी तुम्हें..”

“हे भोले..और लिखा क्या है.. रुको अभी बताता हूं पढ़ के ” हड़बड़ाते हुए उसने अपने शर्ट के जेब को टटोला और एक भीगा हुआ पर्चा निकाला.. “शिट्ट..चिपक गया है..रुको..” उसने जैसे तैसे पर्चा खोला और कहा “ हैंडराइटिंग कितनी गन्दी है तुम्हारी..हाँ सुनो ..मैं पूरे होशो हवस में अपना बनियान देती हूं के…”

“क्या पढ़ रहे हो.. मैंने लिखा है..होशो हवास में अपना बनियान.. ओहो.. अपना ब्यान देती हूँ के मैं आज ठीक रात 9.30 बजे यमुना पुल के पिलर नंबर तीन से कूदकर अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर रही हूँ..मेरी मौत का कारण केवल और केवल मेरा पति विमल तिवारी पुत्र कमल तिवारी है, अगर उसे फांसी से कम की सजा मिलती है तो मेरी आत्मा को कभी मुक्ति नहीं मिलेगी..आपकी शांति सिंह”

“होशो हवास.. ब्यान.. जीवन यात्रा.. ये इतनी खतरनाक चीज़ें कौन डाल रहा है तुम्हारे दिमाग़ में.. ये सब कहाँ से सीख रही हो तुम ”.. इतना कहना था विमल का के तभी शांति के फोन पर नोटिफिकेशन आया “जल्दी से देख डालिये अपने पसंदीदा धारावाहिक अनुपमा का लेटेस्ट एपिसोड हॉटस्टार पर”

“इस अनुपमा ने सभी औरतों का दिमाग़ खराब कर रखा है..और ये आपकी शांति सिंह क्या होता है.. वो साला थानेदार तेरा अपना कबसे हो गया”

“फिर तू तड़ाक पे आ गए.. बदतमीज कहीं के .. तुम्हारे साथ जीने से अच्छा है मैं मर ही जाती हूँ”

“हाँ जा मर जा”

“फिर भागते हुए मत आना मुझे बचाने ”

“अरे नहीं आ रहा.. मरना है मर.. जो करना है कर.. भाड़ में जा .. तेरे साथ जीने से ज्यादा आसान तो फांसी है..” बोलते हुए विमल सीधा पुल की तरफ जाने लगा जहाँ उसने गाड़ी खड़ी की थी.. पीछे से आवाज़ आई “छपाक” मगर विमल बिना पलटे आगे चलता रहा और जैसे ही उसने गाड़ी में बैठने के लिए दरवाज़ा खोला पीछे से आवाज़ आई “रुको मैं भी आ रही हूँ”

“अरे भाड़ में जा”

“नहीं लेके जायेंगे मुझे”

“नहीं”

“फिर देख लीजियेगा.. पछताएंगे ”

“अरे आ जा मेरी माँ”

कुछ देर में हाँथ में मोबाइल पकड़े शांति भीगी लड़खड़ाती हुई आई और गाड़ी में बैठने लगी”

“एक मिनट”

“क्या हुआ”

“तुम तो वापस कूद गई थी ना..”

“हाँ तो..”

“फिर वापस कैसे आई”

“अरे तैरना आता है मुझे.. पता था इस बार तुम नहीं आओगे बचाने..इसलिए खुद तैरके बाहर आ गई.. तुम्हारे भरोसे कूदती तो मर ही जाती..” विमल उसकी तरफ देखकर अपना माथा पीटा और मुस्कुराते हुए गाड़ी चलाने लगा..

इसके बाद भी विमल शांति का रिश्ता प्यार तकरार के नाव पर हिचकोले खाता जीवन के दरिया में आगे बढ़ रहा है..शादी शुदा जीवन से जुड़ी कहानियों की कभी हैप्पी एंडिंग नहीं होती बस लड़ाइयों का सुखद अंत हो जाए काफी है..

धन्यवाद



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