siddhi mistry

Romance Tragedy Fantasy

4  

siddhi mistry

Romance Tragedy Fantasy

कब फिरसे मुलाकात होंगी ?

कब फिरसे मुलाकात होंगी ?

29 mins
270


मैं बाहर निकली थी कुछ काम से,

आधे रास्ते पोहची और बारिश स्टार्ट हों गई,

थोड़ी देर रुकी साइड में,

पर बारिस तो रुकने का नाम ही नै ले रही थी,

जाना तो मुझे था इंटरव्यू के लिए,

पर अगर कपडे भीग गए तो,

इम्प्रेशन कैसे पड़ेंगी,

यह सोच कर में साइड में कड़ी थी।

आधा घंटा हो गया था,

बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी,

ना ऑटो दिखाई दे रही थी।

क्या करू अब में?

बारिस में भीग कर जाऊँ इंटरव्यू के लिए ?

या फिर घर चली जाऊँ ?

ये सोच ने में डूबी हुई थी में,

तब ही एक लड़का आके मेरे थोड़े पास में ही खड़ा रहा।

उसको देख कर लगता था की,

वो भी मेरी तरह बारिस से बचने के लिए यहाँ खड़ा हे।

तब उसके फोन में घंटी बजी,

बारिस रुकते ही आता हु,

ऐसा बोल के उसने फ़ोन फिरसे जेब में रख दिया।

अब उसको आके करि बन दस मिनिट हो गई थी,

इन दस मिनिट में हमारी आँखे एक दो बार मिल गई थी।

फिर उसने पूछा,

"बारिस रुकने का इंतज़ार कर रही हो ?"

मैंने सिर्फ मुंडी हिलाकर हा कहा।

थोड़ी देर में बारिस रुक गई,

पर अभी भी रस्ते पे एक भी ऑटो नई दिखाई दे रही थी।

रास्ता शूम शान था, उसने पूछा,

"में छोड़ दू आपको कही जाना हो तोह ?"

" नई में चली जाऊँगी "

पर में सोच रही थी कैसे चली जाऊँगी ?

यहाँ एक ऑटो नई दिख रही हे ?

और इसके साथ भी कैसे जाऊँ ? पहचानती तक नई में इसको ?

पर मेरा दिल कह रहा था,

"सोना, चली जा वार्ना इंटरव्यू के लिए देर हो जाएँगी "

" यहाँ से जल्दी ऑटो नई मिलेंगी आपको " उसने कहा।

में सोच रही थी जाऊँ की नहीं ?

तब उसने कहा,

"आप किसी जरुरी काम के लिए जा रहे हो ऐसा लग रहा हे,

कही देर ना हो जाये "

मेरे कपडे देख कर उसने ये बोला ऐसा लग रहा था मुझे।

" हा काम तो जरुरी हे "

" तो में आपको छोड़ दू ?" उसने फिर से पूछा।

मैंने उसको जहा जाना था उसकी पास वाली जगह बोली, ताकि वह से में चल कर चली जाऊँ।

रास्ते में दोनों मेसे किसी ने कुछ नई बोला,

मेरी नज़र बार बार घडी पर जा रही थी,

पर अभी थोड़ा टाइम था कोई चिंता की बात नहीं थी।

मैंने जहा बोला था, वही जगह उसने बाइक रोकी,

" आ गई आपकी जगह, मोहतरमा "

" हा " कह कर में बाइक से निचे उतरी।

" आप कुछ जरुरी काम के लिए जा रहे हो,

बेस्ट ऑफ़ लक,

आपका जरुरी काम पूरा हो जाये" उसने मुस्कुराह कर कहा।

" अगर मेरा काम सच में पूरा हो गया तो मुझे आपको थैंक यू कहना पड़ेगा "

" तोह काम जब भी पूरा हो जाये तब थैंक यू बोल देना" उसने बाइक स्टार्ट करते हुए बोला।

" पर में आपको थैंक यू कैसे बोलूंगी ?"

क्योकि उसका नाम, पता कुछ नई जानती थी में।

मेरे हाथ में मोबाइल था, वह लिया और कीबोर्ड में उसने नंबर टाइप कर दिय।

मोबाइल में लॉक खुला था इसलिए डाइरेक्ट कीबोर्ड ओपन हो गया।

" बेस्ट ऑफ़ लक " बोल कर वह चला गया।

उसका नाम अभी भी पता नई था मुझे,

और में इतनी बुद्धू की उसने नंबर दे दिया और मैंने नाम भी नई पूछा।

" अजनबी थैंक यू " कर के उसका नंबर सेव किया और चली गई जहा जाना था मुझे वह।

इंटरव्यू देके में घर तो आ गई,

पर एक सवाल मुझे सताता था की,

में इतनी पागल हु की,

उसका नाम तक नई पूछा मैंने ?

पागल लड़की

थोड़े दिनों बाद,

एक अननोन नंबर से कॉल आया,

पता हे किसका कॉल था?

वही कंपनी का,

जहा थोड़े दिन पहले में इंटरव्यू देने गई थी।

उन लोगो ने जॉब क लिए हा कही थी।

खुश इतनी थी की,

पुरे घर में चिल्ला चिल्ला कर बोल दिया था मैंने की,

मेरी जॉब पक्की हो गई।

रात को सोते टाइम याद आया वो लड़के को थैंक यू बोलना हे।

मैंने उसको फ़ोन किया,

पर ये क्या ?

उसका नंबर तो स्विच ऑफ़ ही आ रहा हे।

एक दिन,

दो दिन,

तीन दिन,

ऐसे करके दस दिन निकल गए,

पर अभी भी उसका फ़ोन स्विच ऑफ ही आ रहा था।

महीना हो गया था इस बात को,

पर अभी तक उसका फ़ोन लग ही नई रहा था।

एक बार तो ऐसा लगा की उसने गलत नंबर दे दिया होंगे।

पर पता नई क्यों मुझे इंतज़ार तो था,

की वह कही ना कही मुझे मिलेगा।

मैंने जहा इंटरव्यू दिया था,

वो मेरी ऑनलाइन जॉब थी,

कुछ डाटा एंट्री जैसी।

सुबह में कॉलेज, और शाम को आके ये जॉब का काम करती थी में।

नवरात्री आने वाली थी कुछ दिनों में,

और इसलिए कल कॉलेज में रात्रि बिफोर नवरात्री का आयोजन किया हुआ था।

में मेरे दोस्तों के साथ कल की प्लानिंग कर रही थी।

दूसरे दिन शाम को अच्छे से तैयार हो कर गए कॉलेज में,

लगातर गरबा खेल कर,

देढ़ घंटे के बाद हम रुके।

" अब कुछ खाना पड़ेगा,

मुझे भूख लगी हे " मेरे दोस्त ने कह। 

मैंने कहा, " हा पर उसके पहले मुझे पानी पीना हे, बोहोत प्यास लगी हे "

हम पहले पानी पिने गये।

में पानी पी रही थी, और तब ही मेरा ध्यान एक लड़के पे गया,

वो बारिस में मुझे छोड़ ने आया था उसके जैसा ही दिख रहा था।

दिल कह रहा था की जाके उसको थैंक यू कह दू,

पर अभी भी में स्योर नई थी की

लड़का वही हे की कोई और ?

वह अपने दोस्तों के साथ बात कर रहा था,

और में बुद्धू लगातार उसकी और देख रही थी।

में सोच रही थी अगर वही लड़का हो तो में थैंक यू बोल दू।

सोच ने में डूबी हुई थी में, तब मेरे दोस्त ने कहा,

"सोना पानी पी लिया हो तोह जाये हम ?"

" हा"

"चलो पहले खाना खा लेते हे, फिर घर भी तो जाना हे" मेरे दोस्त ने कहा।

उस दिन भी में उसको थैंक यू बोल नई पाई,

पर अभी भी मुझे ऐसा लगता हे की वो कही तो मिलेगा मुझे।

पता नई क्यों ऐसा लग रहा था मुझे ?

थोड़े दिन बाद,

हम कॉलेज के ग्राउंड में बैठे थे।

कुछ ही दिनों में दिवाली की छुट्टीया होने वाली थी,

हम सब दोस्त बातें कर रहे थे,

तब एक दोस्त ने कहा,

"सोना,

तू क्लास में कुछ ना कुछ लिखती रहती हे,

कभी हमें तो सुना "

हा हमको भी सुनना हे, वो सब एक साथ बोले।

मैंने बोहोत कुछ लिखा हे,

पर इन लोगो के सामने क्या बोलू वह सोच रही थी।

तब एक दोस्त ने कहा,

" सोना, डर मत तू, बोल आज "

फ़ोन की नोट्स में जो लिखा था उसमे से एक इन लोगो को सुनाने जैसा मिला,

" तुम समझ क्यों नई आते मुझे ? "

मैंने बोलना शुरू किया,

पहले थोड़ा डर लग रहा था, पर एक बार बोलना शुरू किया उसके बाद डर चल गया।

में बोल रही थी,

और मेरे दोस्तों की थोड़े ज़ोर ज़ोर से बोलने की आदत की वजह से कुछ और भी लोग वह आके सुन रहे थे।

और कुछ लोग वीडियो भी ले रहे थे।

मैंने लास्ट लाइन बोली,

" क्यों तुम समझ नई आते मुझे ?"

और फिर मेरे दोस्तों ने ज़ोर ज़ोर से ताली बजे और कहा,

" अच्छा बोलती हो तुम "

कुछ और लोग थे जिसको में पहचानती नई थी उन मेसे एक दो ने आके बोला,

" मस्त बोला तुमने "

में अपने दोस्तों से बात कर रही थी तब एक लड़के ने आके बोला,

"पहचानती हो मुझे ?"

मैंने उस आवाज की और देखा,

उसको देख कर एक पल ऐसा लगा की में कोई सपना देख रही हु।

क्युकी सामने वो खड़ा था,

जिसको मैंने बोहोत फ़ोन किये थे पर नंबर स्विच ऑफ़ ही आ रहा था,

वही,

अजनबी थैंक यू वाला।

"कहा खो गई ?" उसने बोल।

पर में तो अभी सपना देखने में डूबी हुई थी।

" सोना, वह तुझे बुला रहा हे " मेरे एक दोस्त ने मेरे पास आ कर मुझे हिला कर बोला।

" हाई " में इतना ही बोल सकी।

" पहचानती हो की भूल गई मुझे ?" उसने तो बिना बोले ही मुझे यह पूछ लिया।

" आपको थोड़ी ना भूल शकती हु में ?" मैंने धीरे से बोला।

"अच्छा बोला तूने, किसके लिए लिखा हे ये ?" उसने पूछा।

" वैसे तो किसी क लिए नई, पर कोई तो होगा " मैंने कहा।

अब मैंने थान लिया था की आज तो उसको थैंक यू बोल दूंगी। इसलिए मैंने मेरे दोस्तों को कहा,

" आप जाओ, में नई आने वाली क्लास में "

मेरे दोस्त पता नई कैसे आज समझदार हो गए ?

एक भी सवाल किये बिना ही मेरी बात मन ली और क्लास क लिए गए।

अब ग्राउंड में सिर्फ में और वोह ही थे,

दूसरे कुछ लोग थे पर वो हमसे थोड़े दूर थे।

" थैंक यू,

उस दिन के लिए, मैंने आपको फ़ोन किया था पर आप का फ़ोन स्विच ऑफ़ ही आ रहा था। " मेरे दोस्त जैसे गए मैंने उसको बोला।

" थोड़े दिन पहले ही मेरा नंबर चेंज हो गया था इसलिए स्विच ऑफ़ आ रहा था,

पर पता नई था की हम किसी और बार ऐसे मिलेंगे " उसने मुस्कुराह कर बोला।

में बुद्धू अभी तक उसका नाम नई पूछा था।

" आपका नाम ?" मैंने पूछा।

" आर्यन और आपका नाम सोना हे ना ?" उसने पूछा।

" हा पर आपको कैसे पता ?" क्युकी मैंने तो अभी तक उसको मेरा नाम ही नई कहा था।

" आपके दोस्त लोग अभी चिल्ला रहे थे ना इस वजह से पता चल गया "

" ओह अच्छा "

" कैंटीन जाके बात करे, या फिर कही और ?" उसने पूछा।

क्या करू में ? कुछ समझ में नई आ रहा था ?

मुझे मेरे कॉलेज की कैंटीन पसंद नई थी। पर में उसको बहार जाये ऐसा कैसा बोलू वह सोच रही थी।

" कैंटीन मुझे पसंद नई हे कही बहार जाये ?" उसने पूछा।

उसने तो मेरे मन की बात कह दी।

पर डर था, क्योकि में उसको पहचानती नई थी।

पर पता नई क्यों में उसके साथ जाना चाहती थी ?

" हा " कहा मैंने।

पर मुझे डर बोहोत लग रहा था,

क्योकि वो मेरे लिये अजनबी था,

फिर भी कुछ अलग ही फील हो रहा था।,

पता नई क्या था वो ?

में उसकी बाइक के पीछे बैठी थी,

हमारी पहली मुलाकात की तरह,

एक दम चुप।

उसने एक कैफ़े के पास बाइक खड़ी की।

" मीट मी " कैफ़े का नाम मैंने पढ़ा।

में सोच रही थी,

क्या बात करुँगी उसके साथ ?

कुछ गलत बोल दिया तोह ?

बोहोत सारे बिचार मेरे दिमाग में आ रहे थे।

में विचारो में इतनी उलझी हुई थी की,

वो कब बाइक पार्क के आया वह भी मुझे पता नई चला।

" चले " उसने बोला।

मैंने सिर्फ स्माइल की, कुछ नई बोल पाई में।

कैफ़े में बोहोत लोग तो नई थे, पर थोड़े बोहोत थे, एक तीन चार लोगो का ग्रुप था।

बाकि पूरा कैफ़े खाली था।

हम एक कॉर्नर वाली टेबल पर बैठे।

क्या बोलू में वही सोच ने में डूबी थी। तब उसने पूछा,

" हो गया आपका जरुरी काम ?"

" हा" बस इतना ही बोल पाई में।

" कुछ ऑर्डर करे ?" उसने मेनू बुक मेरी और करते हुए कहा।

मैंने पूरी मेनू बुक पढ़ ली। उसमे से कुछ एक्साम में आने वाला हो इसतरह से।

पांच मिनिट बाद,

मैंने मेनू बुक पढ़ के उसकी और करते हुए कहा,

" मुझे कुछ समझ नई आ रहा हे, आप ही कुछ ऑर्डर कर दो"

" ठीक हे " उसने मुस्कुराह कर कहा।

एक दो मिनिट में उसने पूरी मेनू बुक देख ली, और ऑर्डर भी कर दिया।

" कैसी चल रही हे पढाई ?"

" ठीक थाक "

" क्यों ?"

" सर क्या पढ़ते हे, कुछ समझ नई आ रहा हे "

वो हसने लगा, उसको इसतरह से हस्ते हुए देख मुझे लगा कुछ गलत बोल दिया मैंने।

मेरा डरा हुआ चेहरा देख कर उसने कहा,

" सोना, उसमे क्या डरना?

यू ट्यूब मेसे वीडियो देख लेना,

और ना समझ आये तो मुझे पूछ लेना "

" तुम्हे क्यों ?"

थोड़ी बात चित करके पता चला, वो हमारी कॉलेज का सीनियर हे,

पर वो सिर्फ कॉलेज एक्साम देने और कुछ सबमिट करना हो तब ही आता हे।

" क्यों हररोज़ कॉलेज नई आते?" ये पूछना मुझे ठीक नई लगा।

थोड़ी देर तक बातें की, तब तक उसका दिया गया हुआ ऑर्डर आ गया।

फ्रेंच फ्राइज, सेंड विच और कोक

खाते खाते थोड़ी बात चित हुई,

और बातो बातो में दो घंटे कैसे बिट गए हमें पता ही नई चला।

मैंने घडी की और देखा,

और उसको कहा,

" अब हमें चलना चाहिए "

" हा, फिर हम मिलेंगे हम ?" उसने पूछा।

" पता नई, पर तुम कहोंगे तो जरूर मिलेंगे " मैंने कहा।

" दो दिन बाद मिलते हैं "

अजनबी था वो मेरे लिए ,

पर पता नई क्यों में उसको मिलना चाहती थी ?

नंबर एक्सचेंज हुए,

और फिर उसने कहा, " कल मेसेज करूँगा, कहा मिलेंगे वह"

" हम "

में उसका नंबर सेव कर रही थी, और वह पार्किंग में गया था बाइक लेने। 

मैंने अजनबी थैंक यू कर के उसका पुराने वाला नंबर डिलीट करके नया नंबर सेव किया।

वो बाइक लेके आया, और उसका नाम मेरे फ़ोन पे गया।

" मेरा नाम आर्यन नई हैं पर तुम अजनबी कहो तो कोई दिक्कत नई हैं "

मैंने कुछ नई बोला उसको।

दूसरे दिन रात को में उसको मिलने का इंतज़ार कर रही थी।

ठीक से नई पहचानती उसको पर फिर भी उसको मिलने का इंतज़ार कर रही थी में।

उसके बारे में ही सोच रही थी में, तब ही उसका मैसेज आया,

" एक कैफे का नाम और पता था "

" ओके " मैंने कहा उसको।

बात तो करना चाहती थी में उसके साथ,

पर बात कैसे करू वो समझ नई आ रहा था। 

थोड़ी देर के बाद उसका मेसेज आया,

" अगर तुम फ्री हो तोह हम मॉल जाये कैफ़े की जगह,

थोड़ी शॉपिंग भी हो जाएँगी और आपके साथ बातें भी "

" ओके " कहा मैंने।

" दोपहर को जायेंगे चलेगा ना ?

या फिर शाम को ?

या तुम जब फ्री हो तब ?" उसने पूछा।

शाम को तो मुझे मम्मी के साथ बहार जाना था, इसलिए मैंने कहा दोपहर को चलेंगे।

थोड़ी बात हुई और फिर उसने गुड नाईट बोल दिया।

दूसरे दिन सुबह ही मैंने मम्मी को बोल दिया था की आज दोपहर को मुझे एक फ्रेंड के साथ बहार मोल में जाना हे, और मम्मी ने भी है कह दी थी जाने के लिए।

बारा बजते ही में काम निपटा कर फ्री हो गई,

एक बजे जाना था, अब मेरे पास एक घंटा था।

थोड़ी बोहोत कन्फूस होने के बाद वाइट टॉप निकला, जो मुझे बोहोत पसंद था पर बोहोत काम उसको पहनती थी।

थोड़ी बोहोत तैयार हो के वो जहा मुझे लेने आने वाला था वह पोहच गई में। अभी तक वो आया नै था, पांच मिनिट के बाद आ गया। 

बिना कुछ बोले ही उसकी बाइक में बेथ गई।

रस्ते में यही सोच रही थी की,

ये कैसा इत्तफाक हे की आज उसने वाइट शर्ट पहनी हे। 

अभी तक हम दोनों एक दूसरे को ठीक से जानते तक नई थे,

पढाई की थोड़े बोहोत बाटे हुई थी,

उसकी फॅमिली में कौन हे ?

वो कहा रहता हे ? ऐसा कुछ भी मुझे पता नई था। 

और शायद वो भी मेरे बारे में कुछ जनता नई था पर थोड़ा बोहोत जान गया था।

मोल में घूमते टाइम उसने बोलै,

" आज तो हमारा मैचिंग हो गया "

मैंने सिर्फ उसकी और देख कर स्माइल की। वो कुछ बोलने वाला ही था पर उसको कपडे की शॉप दिख गई।

कपडे की शॉप देख कर वो बोलै,

" यहाँ जाये शायद एक दो पसंद आ जाये "

मैंने हा कहा।

वो शर्ट पसंद कर रहा था, वो देख कर मुझे उसकी पसंद का थोड़ा बोहोत ख्याल आ गया। उसकी पसंद बुरी नई पर मेरे से तो बोहोत अच्छी थी।

ब्लैक उसका फेवरिट कलर होंगे ये उसने शर्ट पसंद किये उससे मैंने मान लिया।

शॉपिंग करने के बाद हम बर्गर किंग में गए, में तो घर से खाना खा क गई थी इसलिए मुझे भूख नई थी। पर उसने कहा तुम फ्रेंच फ्राइज तो खा शक्ती हो।

खाते टाइम थोड़ी बाटे हुई हमारी, और बातो में पता चला,

" वो अपने पापा की कंपनी में जॉब कर रहा हे, थोड़ा बोहोत उसने अपने फॅमिली क बारे में भी बता दिया, और यह भी कहा की वो सिंगल चाइल्ड हे "

थोड़ी देर वह घूम के हम निकल रहे थे, तब मुझे एक बच्चा दिखा, में उस बच्चे की फोटो ले रही थी तब मुझे लगा किसी ने मेरे बैग की चैन खोली हे।

मैंने थोड़ी बड़ी आँख करके उसके सामने देखा, वो समझ गया में क्या पूछने वाली थी, इसलिए उसने बोलै,

" तुम्हारे बेग की चैन खुली थी वह बंध की मैंने "

मुझे लगा ऐसा ही होंगे इसलिए मैंने उसको थैंक यू बोला।

घर आके जब मैंने बेग में देखा तो एक चॉकलेट थी। और फिर पता चल गया उसने चैन खोल कर चॉकलेट रखी थी मेरे बैग में। 

पता नई क्यों ?

पर ये दो मुलाकात में वो अपना सा लगने लगा था।

कुछ ऐसी बात नई हुई थी फिर भी।

अब वो मेरा चैट पार्टनर बन गया था।

दिन में तो बोहोत बाते नई होती थी क्योकि मेरी कॉलेज और उसकी जॉब।

वैसे तो वो मुझसे एक साल ही बड़ा था, फिर भी मुझसे तो कही ज्यादा समझदार था वो।

रात को हमारी बात होती थी मेसेज पे।

थोड़े महीनो बाद बाते कॉल पे होनी शुरू हो गई थी,

हप्ते में एक दिन तो हमारा मिलना पक्का था।

और उसके अलावा छुट्टी हो और टाइम हो द्दोनो के पास तो फिर मुलाकात हो जाती थी।

पांच छ महीने से ज्यादा हो गया था, हमारी मुलाकात को,

पर फिर भी मुझे ऐसा लगता था की में उसको दो तीन साल से जानती हु।

कॉलेज से आके पहले वो ऑनलाइन जॉब का काम निपटा लेती हु,

ताकि रात को असाइनमेंट लिखते लिखते उसके साथ बात कर शकु।

हमारी हररोज़ तो फ़ोन पे बात नई होती थी, पर जिस दिन मुझे असाइनमेंट लिखना हो उसी दिन कॉल पे बात होती थी।

दोनों को एक दूसरे की सब बाते पता चल गई थी,

चले वो बात अच्छी हो या बुरी।

मिलने का इंतज़ार दोनों को होता था,

अभी तक एक भी हप्ता ऐसा नई गया था की हम दोनों की मुलाकात ना हुई हो। 

हमारी दोस्ती सबसे अलग थी।

ये दोस्ती की बाते हम दोनों के सिवा किसी को पता नई थी,

और हम ये बात किसी को बताना भी नई चाहते थे। 

धीरे धीरे हमारी दोस्ती गहरी हो गई,

हम दोनों मेसे किसी को भी पता नई था की,

ये क्या था ?

दोस्ती या फिर कुछ और ?

पर आर्यन की कुछ बातो से ऐसा लगने लगा था की,

उसको में पसंद हु।

मेरी पसंद ना पसंद का वो बोहोत ख्याल रखने लगा था।

मेरी कुछ गलत आदतों को भी उसने सुधर दी थी। 

और कुछ आदतों को सुधारने का प्रयत्न कर रहा था वो।

आर्यन को मेरी हर छोटी छोटी बात अब पसंद आने लगी थी,

वो किसी भी हाल में मेरी मुस्कराहट देखना चाहता था।

कभी कभी में कुछ टेंसन की वजह से चुप होती थी,

तब भी वो मुझे हँसाने की ट्राय करता था,

ये बात तब मुझे पता थी।

मेरे मना करने के बावजूद वो मुझे छोटी छोटी गिफ्ट देते रहता था, और में लेने से इंकार कर दू तब वो मेरी बैग में रख देता था मुझे बात करते करते। 

बात आगे बढ़ चुकी थी।

मुझे भी आर्यन के साथ रह कर कुछ अच्छा महसूस होने लगा था,

पर ये क्या था वो मुझे समझ नई आ रहा था। 

अब में मेरी लिखी हुई कुछ बाते,

जो आज तक किसी को नई बताती थी,

वो बेझिझक उसको भेजा करती थी। 

मुझे आज भी यद् हे,

एक बार उसने बोला था मुझे,

" सोना, तेरी लिखी हुई कुछ बाते मैंने स्टार करके सेव की हे,

जब भी तेरी याद आती हे वो बाते पढ़ लेता हु "

ये बात जब बोली थी उसने,

तब बोहोत अच्छा लगा था। 

वो कभी कभी मुझे बोलता था,

" सोना, एक दिन तुझे में मेरे पास ले आऊंगा "

ये बात तब मज़ाक में बोलता था की सीरियस में तब मुझे समझ नई आती थी।

उसने बातो बातो में, मस्ती मज़ाक में मुझे बोहोत कुछ कह दिया था,

उसको मैंने समझ ने में थोड़ी देर कर दी थी। 

एक साल से भी ज्यादा हो गया था हमारी दोस्ती को,

फिर भी मैंने उसका नंबर अभी तक अजनबी थैंक यू करके ही सेव रखा था।

पर उसके फ़ोन में मेरा नाम पहले सोना था पर अब सोना और उसके पीछे एक ब्लैक हार्ट हो गया था। 

वो मुझे मिलने का इंतज़ार मुझसे भी ज्यादा करता था,

ये बात हम जब भी मिले तब उसकी मुस्कराहट से पता चल जाती थी।  

वो अब मेरे लिए खास हो गया था और थोड़ा करीब भी,

और शायद में भी उसके करीब आ चुकी थी। 

नई पता था ये क्या हो रहा हे ?

पर फिर भी,

में कुछ ज्यादा बोल कर,

और कुछ ज्यादा सोच कर हमारे बिच ये जो भी चल रहा था,

उसको बिगड़ना नई चाहती थी। 

वो हर बार हम जब भी मिले,

तब मैंने जो भी कुछ लिखा हुआ भेजा हुआ होता था,

वो मुझे सुनाने के लिए बोलता था,

एक दो बार दर लगा था,

पर अब तो दर भी चला गया था उसके सामने बोलने का। 

एक बार बोलते बोलते मेरी आँखों में पानी आ गया था,

लिखा ही कुछ ऐसा था मैंने। 

मैंने उसकी आँखों में देखा,

उसकी आँखों में भी पानी था,

पर मुस्कराहट अच्छी वाली थी। 

अब तो में कुछ भी लिखू उसका चेहरा सामने आ जाता हे,

और अब तो हमारी मुलाकात हुई और ये दोस्ती हुई,

उसके पहले जो भी कुछ लिखा था वो उससे जुड़ा हुआ था ऐसा लगने लगा था मुझे।

जब भी रात को उसके साथ बात करती हु,

तब चेहरे पे कुछ अलग ही चमक होती हे,

और स्माइल का तो पूछो ही मत।।।

जो स्माइल किसी के सामने नई होती,

वो उसके सामने होती हे,

उसके साथ होने से कुछ अच्छा महसूस होता हे।

मेसेज हो,

या फिर कॉल,

उसके साथ बात करते टाइम मेरी स्माइल देख कर,

कोई भी बोल सकता हे,

में प्यार में हु।।।।

कभी कभी उसके साथ एक दिन भी बात ना हो,

तोह ऐसा लगता था की वो मेरे से दूर हो गया हे। 

थोड़े दिनों बाद,

कल मेरा बर्थडे था, रात को बारा बजे तक जागने का सोचा था,

पर आज बोहोत नींद आ रही थी तोह में तो दस बजे ही सो गई। 

पिछले कुछ दिनों से आर्यन से बात भी ठीक से नई हुई थी,

वो कोई काम में व्यस्त था इसलिए। 

आज मेरा बर्थडे था,

पर आज संडे था इसलिए कॉलेज तो जाना था नई। 

काम निपटा कर में सुबह में सब के मेसेज देख कर थैंक यू बोल रही थी,

कुछ दोस्त क कॉल रहे थे, पर मुझे तो आर्यन के कॉल का इंतज़ार था। 

आर्यन का एक मैसेज था,

" हैप्पी बर्थडे " दूसरा कुछ नई।

सच बताऊ तो मुझे मिलना था उससे,

बोहोत मन था आज मेरा आर्यन को मिलने का।

पिछले बर्थडे पर भी वो मेरा दोस्त था,

तब तो उसके कॉल का इंतज़ार नई था,

तो फिर आज क्यों में उसके कॉल का इंतज़ार कर रही थी?

वो पता नई था मुझे ?

में आर्यन के बारे में सोचने में पूरी की पूरी डूबी हुई थी, तब पापा ने आवाज दी,

"सोना तेरा दोस्त आया हे "

में सोचती थी कौन आया होंगे,

तब मम्मी की आवाज आई,

" सोना जल्दी आ निचे "

में जल्दी से निचे गई।

अरे ये क्या ?

वो शख्स को देख कर में शोक थी, क्या बोलू कुछ समझ नई आ रहा था मुझे।

क्योकि सामने आर्यन खड़ा था। 

" हैप्पी बर्थडे ब्यूटीफुल " उसने बोला। 

वो छोटी सी केक लेके आया था जो मेरी पसंद की थी। 

मन तो कर रहा था की उसको गले लग जाऊँ पर मम्मी पापा थे।

मम्मी ने केक देख कर बोला,

" अरे ये तो सोना की पसंद का केक हे "

आर्यन ने मेरी और देखा और अच्छी वाली स्माइल दी,

बस यही स्माइल से में पिगल जाती हु।

केक कट करते टाइम मेरे से ज्यादा मेरे मम्मी पापा खुस थे,

क्योकि ऐसा कुछ पहली बार हो रहा था। 

केक कट करते टाइम आर्यन उसके फ़ोन में मेरी फोटो खींच रहा था,

मैंने पहले मम्मी, पापा को केक खिलाई और फिर आर्यन को।

थोड़ी सेल्फी ली और फिर हम बैठे थे।

पापा और मम्मी आर्यन से बात कर रहे थे तब मम्मी ने आर्यन को कहा,

"खाना खा के जाना "

" नई आंटी, आज नहीं मुझे थोड़ा काम हे बहार जाना हे "

पता था मुझे की आर्यन ना ही बोलेगा,

पर आज मेरा बर्थडे था तो सोचा कही हा बोल दे शायद।

मम्मी ने बोहोत कहा फिर आर्यन ने कहा,

" आज नई आंटी,

फिर कभी पक्का आऊंगा,

तब में सामने से कहूंगा आज में खाना खा के जाऊँंगा "

आर्यन ने कहा और मम्मी पिगल गई। 

थोड़ी देर के बाद वो जाते जाते मुझे एक गिफ्ट देके गया।

आर्यन के जाने के बाद मैंने गिफ्ट खोली,

" एक वॉच थी " जो मुझे थोड़े दिन पहले ही पसंद आई थी पर कुछ पर्सनल रीज़न की वजह से में खरीद नई पाई थी।

मेरी आँख में वॉच देख कर पानी आ गया था क्योकि फिर से उसने बिना कुछ कहे मुझे जो पसंद था वो दिया था।

मम्मी पापा वही थे इसलिए मैंने आँशु रोक लिये। मम्मी पापा को गिफ्ट देखने को दी।

पापा ने वॉच देख कर बोला,

" बोहोत खास दोस्त लगता हे वो तेरा "

"हम " में कुछ नई बोल पाई हम क सिवा।

" संभाल कर रखना कुछ रिश्तो को सोना " मेरी मम्मी ने कहा मुझे।

फॅमिली क साथ लंच करके में मेरे कमरे में सोने क लिए चली गई। 

थोड़ी देर में मेरी आंख लग गई और थोड़ी देर के बाद घंटी बजी फ़ोन की।

फ़ोन आर्यन का नाम था ये देख के ही नींद उड़ गई और चेहरे पे हलकी सी स्माइल आ गई। 

" हैप्पी बर्थडे ब्यूटीफुल " उसने कहा। 

" थैंक यू सो मच फॉर सरप्राइज़ और वॉच " मैंने कहा।

" तूने गिफ्ट ठीक से नई देखी हे ऐसा लग रहा हे "

" नई नई ठीक से ही देखा हे मैंने वॉच तो हे "

" हा वो तो हे पर दूसरा भी कुछ हे " उसके बोलते ही मैंने फिरसे वो गिफ्ट वाला बॉक्स दिखा पर मुझे तो कुछ नई दिखा। 

" आप मज़ाक मत करो ना " मैंने कहा।

" मज़ाक नई कर रहा हु। वॉच के निचे कुछ हे, ध्यान से देखो"

में इतनी बुद्धू की मैंने वॉच को उलटा करके देखा। बाद में पता चला की वॉच के पीछे मतलब की बॉक्स में वॉच के निचे कुछ हे।

बॉक्स में ध्यान से देखा तो वॉच क निचे एक लेटर जैसा कुछ था छोटा सा। 

मैंने उसको बॉक्स मेसे बहार निकला तब उसमे से कुछ गिरा। 

मैंने देखा तोह ब्लू डिमांड वाला लॉकेट था। 

और उस लॉकेट की चैन पारदर्शक थी।

या नई जब भी में लॉकेट पहनू तब सिर्फ ब्लू डिमांड ही दिखाई दे, चैन नई देखती।

" वाऊ " चैन देख कर ही मेरे मुँह से निकल गया। 

" अच्छा लगा तुझे ?" उसने पूछा।

" अच्छा नई बोहोत अच्छा लगा " में खुश हो कर बोली और लेटर देखा,

" हैप्पी बर्थडे ब्यूटीफुल,

आप बोहोत बोहोत खास हो मेरे लिए,

कभी दूर मत होना मुझे,

लव यु डियर "

बस इतना ही लिखा था लेटर में, और लास्ट में आर्यन उसका नाम लिखा था। 

ये पढ़ने के बाद में इतनी खुश थी में मन कर रहा था जेक गले मिल लू उससे।

" थैंक यू आर्यन " में इतना ही बोल पाई। 

" सोरी यार, में आज तुम्हे ठीक से मिल नई पाया, काम की वजह से पापा के साथ बहार आना था इसलिए "

" कोई बात नई "

" एक दो दिन में जरूर मिलेंगे "

" ठीक हे "

आज का बर्थडे सबसे खास था मेरे लिए। 

हर बार खास ही होता हे, पर आज कुछ ज्यादा ही खास था,

आर्यन का अचानक घर पे आना,

ये गिफ्ट्स और लेटर।

पर सबसे ज्यादा खास तो लेटर था। वो सबसे बेस्ट था। 

सच्ची बताऊ तोह वो लड़के ने मुझे इतनी सारी हिंट दी थी के में उसकी लाइफ में बोहोत स्पेसिअल हु पर में पागल कुछ भी समझ नई पाई थी तब।

वो जब भी कुछ ऐसा बोले तब में उसको बोलती थी,

" तुम पज़ल की तरह मत बोलो यार "

" सोना, टाइम आने पर में सब कुछ बता दूंगा।

जस्ट वाइट एंड वॉच " यही बोलता था वो मुझे। 

बर्थडे के थोड़े दिन के बाद हमारी मुलाकात हुई।

वही पुराणी वाली जगह पे,

मीट मी कैफे पे। 

यह कैफे अब हमारे लिए अड्डा बन गया था, ज्यादा यही कैफे पे हम मिलते थे। 

हर बार सेम ही आर्डर,

जो फर्स्ट टाइम दिया था वही,

अब तो यहां का वेटर भी हम देख कर वो सेम ही आर्डर समझ लेता था। 

कभी कभी सेंडविच की जगह पित्ज़ा या फिर बर्गर हो जाये पर फ्रेंच फ्राइज और कोक तो कॉमन ही थे, उसकी जगह अभी तक किसी ने नई ली थी।

आज भी वो हमेश की तरह ब्लैक शर्ट में ही था, वही उसका पसंदगी का ब्लैक शर्ट। 

मैंने उसको ज्यादा तर ब्लैक शर्ट में ही देखा हे, कभी कभी ब्लैक की जगह ब्लू और वाइट आ जाते थे, पर इसके अलावा कोई कलर उसको ज्यादा पसंद नई था, और वैसे भी वो ब्लैक शर्ट में जितना अच्छा दीखता हे उतना किसी और शर्ट में कहा दिखता हे।

उसकी दी हुई वॉच और लॉकेट मैंने आज पहली बार पहनी थी। 

ये मुलाकात सबसे याद गार थी सब मुलाकात मेसे,

पता हे क्यों ?

उस दिन उसने मुझे पहली बार हग किया था। 

उस दिन हुआ यह की,

हम कैफे के पार्किंग में जा रहे थे। 

तब उसको किसी का कॉल आया और उसने मुझे कहा,

तुम बाइक के पास जाओ में आता हु। 

में बाइक के पास जाके कड़ी थी और फ़ोन में कुछ देख रही थी। 

तब उसने पीछे से आ कर हग कर लिया और कहा,

" मुझे पता हे तुम बर्थडे के दिन मुझे मिलना चाहती थी ?

सच्ची बताना मिलना चाहती थी ना ?"

मैंने निचे देख कर ना बोला,

वो मेरे सामने आ कर बोला,

" सच बोलो सोना "

" हा मिलना चाहती थी " मैंने उसकी आँखों में देख कर बोला। 

पहली बार उसकी आँखे इतनी नजदीक से मैंने देखी थी, उस दिन बोहोत करीब था वो। 

" पता था मुझे, इसलिए तेरे घर पे आया था में "

मैंने कुछ नई बोला सिर्फ स्माइल की। 

मुझे उसके साथ लेटर के बारे में कुछ और बाते करनी थी, पर करू कैसे ?

में सोचने में डूबी हुई थी तब उसने कहा,

" सोना, कुछ कहना चाहती हो ?"

" हा, वो लेटर में लिखा हे ना ? बोहोत खास हु में आपके लिए,,,, " मैंने थोड़ा डर के बोला। 

" हा वो सही हे,

बोहोत मत सोचो तुम,

जैसा चलता हे वैसे ही चलने दो "

" पर " में आगे बोलने ही वाली थी तब उसने कहा,

" टाइम आने पर सब कुछ बता दूंगा "

मैंने आगे कुछ नई पूछा। 

अब हमारी बाते हमें और करीब ला रही थी,

उसकी आवाज सुन कर भी ऐसा लगता था की वो मेरे पास ही हो। 

कुछ सपने,

उसने मेरे,

जाने अनजाने में,

पुरे किये थे। 

वो उसको पता नई था। 

में उसको बताना चाहती थी,

पर क्या करू यार ?

उसको सामने देख कर सब कुछ भूल जाती हु मे। 

जो कुछ लिखकर में भेजती हु उसे,

वो उस मेसेज को सीन करे उसका इंतज़ार में करती थी। 

और मेसेज सीन कर लिया हो तो वो जवाब क्या देंगे उसकी रह देखने लगी थी में।

उसको यह भी नई पता था की,

मेरा ही फेवरिट सॉन्ग की कॉलर ट्यून उसने रखी हे। 

फ़्लर्ट करना तो अब,

 कुछ ज्यादा ही हो गया था हमारा,

पर कभी कभी फ़्लर्ट करते टाइम दिल की बात हम एक दूसरे को बोल देते थे।

ये पल सब पल से कुछ अलग ही होता था। 

हमारी दोस्ती और गहरी होती जा रही थी अब।

कभी इंतज़ार के बाद की मुलाकात पे उसकी स्माइल इतनी प्यारी थी,

की मुझे डर था वो स्माइल कही गायब ना हो जाये। 

आर्यन मेरे दिल के इतने करीब आ गया था की,

मुझे डर था अब उसको खोने का।

कभी कभी फ़ोन पे दो घंटे कैसे बीत जाते थे,

वो पता ही नई चलता था।

उसके साथ होने पर,

सब कुछ अच्छा महसूस होने लगा था मुझे।

हम पिछले कही दिनों से मिले नई थे,

और बात भी हमारी बोहोत कम हुई थी,

दोनों अपनी दुनिया में,

अपने कम में व्यस्त थे। 

एक बार हम फ़ोन पे बात कर रहे थे तब,

अचानक उसने कहा,

" सोना, तू यहाँ मेरे पास आ जा मेरे घर पे "

मैंने पूछा, " क्यों ऐसा बोल रहे हो ?"

" काम के चक्कर में तुजसे मिलने नई आ शकता में,

और देर रात तक काम होने से काम खतम होने के बाद फ़ोन भी नई कर शकता क्योकि तू सो गई होती हे,

तू यहाँ हो तोह रात को में फ्री हु तब थोड़ी बात तो कर शकता हु तेरे साथ,

हररोज़ मिल तो शकता हु तुझे "

ये दिन का कॉल मुझे आज भी याद हे। 

आर्यन की आवाज में कुछ अलग ही नशा था,

उन दिन आर्यन नई आर्यन का दिल बोल रहा था ऐसा लग रहा था। 

थोड़े दिनों के बाद उसको उसके पापा के साथ ऑफिस के काम से कही बहार जाना हुआ। 

वो महीने के बाद आने वाला था, और बात भी शायद काम हो जाने वाली थी। 

वो जाने से पहले एक बार मुझसे मिलना चाहता था,

पर मेरी लास्ट यर की एग्जाम चल रही थी इसलिए मम्मी ने बहार जाने के लिए साफ मना कर दिया था। 

पिछले कुछ दिनों से आर्यन मुझे हररोज़ कहता था,

" सोना, थोड़ी देर के लिए तो मिलने आ जा प्लेज़ "

जब तक मैंने मिलने के लिया हा नई कहा तब तक वो कॉल और मेसेज पे यही कहता था। 

मैंने मम्मी से बात कर के हा कह दिया उसको,

वही हमारी पुराणी जगह,

मीट मी कैफ़े में मिले हम।

आज दोनों की एक जैसी हालत थी,

खुश भी इतने थे,

और उदास भी उतने ही थे। 

क्युकी हमारी पहली बार मुलाकात हुई उसके बाद पहली बार अब हमको मिलने के लिए पूरा महीना और शायद उससे ज्यादा मिलने के लिए इंतज़ार करना था।

उसने कहा मुझे,

" लिखा हुआ हो उसमे से कुछ अच्छा सा सुना दो आज "

मुझे मना करना था की में नई बोल पाऊँगी आज पर उसको में मना नई कर पाई। 

आज उसके सामने बोलते टाइम पहली बार मेरी आवाज नई निकल रही थी,

और मेरे दिल की धड़कने कुछ और तेज हो रही थी। 

हर बार की तरह वह आज भी मेरे सामने ही बैठा था, पर में उसके साथ आँख भी मिला नई रही थी,

पता नई क्यों ?

में बोल तो रही थी,

ओर पहली बार आज घभराहट हो रही थी मुझे,

क्योकि में जो बोल रही थी वो उसके लिए लिखा था। 

वो उठ कर मेरे पास आ कर बेथ गया,

अपने हाथ में मेरा हाथ ले कर बोला,

" शांति से बोलो अब "

मैंने बोलना शुरू किया। अभी तक मेरा हाथ उसके हाथ में ही था। 

हमारी पहली मुलाकात से आज के पहले जो मुलाकात हुई थी उसके बारे में सब लिखा था।

आज हमारी कुछ ज्यादा बाते तो नई हुई,

पर हमारे दिल ने आज बात कर ली थी ऐसा लग रहा था। 

जब उसने मेरा हाथ पकड़ा था,

तब सबसे अच्छा शुकुन महसूस हो रहा रहा था,

की में आपको लब्ज़ो में बया नई कर सकती। 

थोड़ी बात कर के हम निकल गए। 

हर बार की तरह पार्किंग में जाते टाइम मेरी साथ बात करते करते उसने मेरी बैग में कुछ रखा,

और फिर मुझे एक चॉकलेट दी। 

पता नई मेरे दिमाग में क्या आया और मैंने बोला,

" चॉकलेट शेयर करके खाते हे "

" अगर पूरी ज़िंगदी ये चॉकलेट शेयर करना चाहती हो तो ही करना " उसने कहा। 

अब क्या जवाब दू ?

मुझे डर लगने लगा था की मैंने कुछ गलत बोल दिया तोह ?

कुछ समझ में नई आ रहा था की क्या बोलू में ?

और आर्यन को कुछ भी पूछती तोह वह हमेश की तरह यही बोलता,

" जैसा चलता हे वैसा चलने दो,

टाइम आने पर सब कुछ कह दूंगा तुझे "

में सोचने में डूबी थी तब उसने कहा,

"सोना, सोचो मत,

टाइम आने पर सब कुछ बता दूंगा "

पता नई क्या हुआ मुझे तो मैंने आज पूछ ही लिया,

" कब आयेंगा टाइम ?"


उसने स्माइल करके मेरे दोनों हाथ पकडे और कहा,

" में कोई प्रॉमिस नई करता तुमसे,

पर ये जरूर कहूंगा,

बोहोत जल्द टाइम आयेंगा,

बोहोत जल्द ही तुम्हे तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिल जायेंगे "

" ठीक हे " मैंने धीरे से कहा। 

" और हा,

संभाल ना खुद को,

में ना आउ तब तक,

फिर तो में हु ही सँभालने के लिए " ये बोलते ही उसने टाइट हग कर लिया मुझे। 

हग किया उसने,

तब मेरी आँखे तो बंध थी पर मेरे दिल की धड़कने कुछ और जोर से धड़क रही थी। 

और सिर्फ मेरी नई उसकी धड़कने भी थोड़ी जोर से धड़क रही थी, वो मुझे सुनाई दे रही थी,

क्योकि मेरे कान उसके दिल तक पोहचे उतनी ही हाइट थी मेरी। 

मेरे दिमाग में तो बस यही चल रहा था जो थोड़ी देर के पहले उसने मुझे बोला था,

" में आउ तब तक तुम खुद को संभाल लेना और बोहोत जल्द तुझे तेरे सारे सवालों के जवाब मिल जायेंगे "

ये सोचते सोचते मेरी आँख में पानी आ गया,

में उसको थोड़ी और देर तक रुकना चाहती थी,

पर ऐसा नई कर शक्ती थी में,

क्योकि उसको मुझे घर छोड़ के,

अपने घर जाना था,

और देर तो पहले से ही हो गई थी। 

मेरा दिल तो मुझे कह रहा था,

" बोल दे सोना,

आर्यन मुझे अपने साथ ले जाओ " पर ये बोलना भी तो ठीक नई था। 

थोड़ी देर हम ऐसे ही खड़े रहे,

मेरे दिमाग में तो यही चल रहा था जो उसने थोड़ी देर पहले कहा था। 

थोड़ी देर बाद उसने मुझे थोड़ा दूर हो कर कहा,

" चलो जाये अब, देर हो गई हे "

पर मेरी आँख में पानी देख कर उसने फिरसे हग कर लिया,

और कहा,

 "ओये, पागल,

रो क्यों रही हो ?

में हमेशा के लिए थोड़ी जा रहा हु ?

कुछ ही दिनों के लिए तो जा रहा हु। 

जल्द ही वापस आऊंगा "

और फिर मुस्कुराह कर बोला,

" दिन में एक बार तो कॉल जरूर करूँगा, तुझे परेशान करने के लिए "

उसकी ये बात से मेरे चेहरे पे थोड़ी स्माइल आ गई,

उसने मेरे आंसू को अपने रुमाल से पोछा,

और फिर थोड़ी देर तक वही खड़े रहे।

पर अब भी मेरे चेहरे पे हर बार जो मुस्कराहट होती थी वह नई थी,

उसने मेरे पास आ कर,

मेरे शर को चुम लिया। 

और फिर कहा,

" ख्याल रखना अपना,

मेरे पास तू एक ही हे "

में उसको आगे कुछ नई बोल पाई, रास्ते में भी दोनों मेसे किसी ने कुछ नई कहा वो मुझे घर छोड़ के गया।

आज इतने करीब थे,

दोनों एक दूसरे से की,

बस इज़हार करना ही बाकि था उस बात का। 

दो दिन के बाद वो अपने काम से बहार गया।

वो दिन में टाइम मिले तब मेसेज कर लेता हे मुझे,

और रात को थोड़ी देर हमारी बात भी होती रहती हे कभी कभी। 

बीस दिन से ज्यादा दिन हो गए थे अब उसको गए हुए,

बात तो हमारी होती रहती हे,

पर फिर भी उसको मिलने का इंतज़ार बहुत ज्यादा कर रही हु में।

बहुत ही ज्यादा इंतज़ार हे अब उसको मिलने का,

और हमारी मुलाकात का भी, कब फिर से मुलाकात होंगी।


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