Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Snehlata Tripathi Bisht

Romance

3.6  

Snehlata Tripathi Bisht

Romance

कैसा ये इश्क़ है,अजब सा इश्क़ है

कैसा ये इश्क़ है,अजब सा इश्क़ है

5 mins
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"मैं तुम्हें पसन्द करने लगा हूँ। नहीं पता मुझे कि ऐसा क्यों हो रहा है। क्या तुम भी"?मुक्ति का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो मोहित से नज़रें चुराने लगी । "तुमने जवाब नहीं दिया"?मोहित ने मुक्ति से कहा। "अभी कुछ समझ नहीं आ रहा है । मुझे घर चलना होगा। काफी देर हो गयी है"। मुक्ति का स्वर घबराहट से भरा था। उसकी घबराहट देख कर मोहित भी घबरा गया और बोला"तुम ये बात किसी से शेयर नहीं करना प्लीज। और जितना समय ले सकती हो सोचने के लिए ले लो मैं इंतज़ार करूँगा"। मोहित मुक्ति के घर के पास ही अपने रिश्तेदार के यहाँ रहता था। उनका मुक्ति के घर काफी आना जाना था तो मोहित भी अकसर उनके घर आने लगा था। और किसी को भी कोई आपत्ति नहीं थी उसके आने से।

मुक्ति की आँखों से आज रात नींद ही ग़ायब हो गयी थी । सारी रात बस सामने मोहित खड़ा नज़र आता था। मोहित की बहुत ही शानदार पर्सनॅलिटी थी। और मुक्ति भी कुछ कम नहीं थी। लड़के बात करने को तरसते थे उससे पर मुक्ति कभी किसी को लिफ्ट ही नहीं देती थी। और आज कितनी सहजता से मोहित उससे कह गया कि वो उसे पसन्द करता है। वैसे जब पहली बार वो उसके घर आया था तो उसके पैर में चोट लगी थी और उसे डिटोल चाहिए था । मुक्ति ने उसका घाव साफ कर खुद ही पट्टी बाध दी। फिर कभी कभार वो चाभी लेने उनके घर आता तो फिर यदि खाने को पूछो तो मना भी नहीं करता। खैर जैसे तैसे रात कट ही गयी। आज सुबह जब वो नहा कर बाथरूम से बाहर आ निकल ही रही थी कि सामने मोहित को खड़ा देख सकपका गयी।

इतनी सुबह अब क्या काम होगा। पर तभी मोहित उसकी माँ से बोला-"आंटी आज मेरा जन्मदिन है एक छोटी सी पार्टी दी है घर पर। क्या मैं मुक्ति को भी बुला सकता हूँ। दिन में ही रखी है और भी दोस्त है"।

माँ ने कहा-" ठीक है बेटा और भी लड़कियाँ तो आई होंगी"। "जी आंटी" मोहित ने कहा और चले गया। मुक्ति अंदर कमरे से सब सुन रही थी। मुक्ति का चेहरा फिर से लाल हो गया। तभी माँ बोली-"मुक्ति आज मोहित का बर्थडे है दिन में उसने घर पर बुलाया है चली जाना। कितना अच्छा संस्कारी बच्चा है । देखो मुझसे इज़ाज़त लेता है तुम्हे बुलाने की"। "जी माँ "मुक्ति बोली। और कॉलेज को निकल ली। आज मुक्ति ने पिंक कलर का सूट पहना जिसमें वो और भी सुन्दर लग रही थी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वो उसके लिए क्या गिफ्ट ले कर जाये। उसने एक छोटा सा फोटो फ्रेम पैक करवाया और बर्थडे पार्टी में गयी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था । चेहरा पूरा लाल हो रहा था।

दरवाज़े के पास पहुँच कर उसने अपने को संयमित किया और डोरबेल बजाने को उंगली उठाई थी कि दरवाज़ा खुल गया। सामने मोहित की देख उसके होश उड़ गए। काँपते स्वर में बोली-"जन्मदिन मुबारक़"। मोहित बोला "शुक्रिया,आज तुम बेहद खूबसूरत लग रही हो। पर तुम घबरा क्यों रही हो। आओ अंदर आओ"। अंदर कमरे में कुछ लड़के लड़कियाँ पहले से ही बैठे थे -"ये मुक्ति है"। मोहित ने उसका परिचय करवाया। मुक्ति कुछ देर वहाँ बैठी ही थी कि मोहित ने उसे किचन में बुलाया-"मुक्ति ये कोल्ड ड्रिंक तुम सर्व कर दो।

और सुनो क्या सोचा तुमने"? ये सुनते ही उसका चेहरा फिर से लाल हो गया। वो कोल्ड ड्रिंक ले कर जाने लगी अचानक मोहित से टकरा गयी और गिरने को थी ही कि मोहित ने उसे सम्भाल लिया। मोहित के छूने भर से ही उसके पूरे शरीर में सरसराहट सी हो गयी। और वो कोल्ड ड्रिंक लेकर अंदर चले गयी। केक कटा मोहित को सबने केक खिलाया और उसे भी खिलाया। उसका चेहरा फिर लाल हो गया। अरे मुक्ति तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो मोहित के साथ । अचानक किसी ने मज़ाक से कहा। मुक्ति तो नज़रें ही नहीं मिला पाई बस मुस्कुरा दी। खैर ऐसे ही काफी समय बीत गया। मुक्ति अब मोहित के सामने आने में कतराने लगी। लेकिन उसे दूर से निहारती। और उसके घर आने का इंतज़ार करती। एक दिन घर पर कोई नहीं था । मोहित ने डोरबेल बजाई। मुक्ति ने दरवाज़ा खोला सामने मोहित की देख कर घबरा गई।

मोहित किसी काम से आया था। जब उसे पता लगा कि घर पर कोई नहीं है तो मुक्ति से बोला-"तुमने अभी तक कुछ नहीं बताया,क्या चल रहा है तुम्हारे अंदर प्लीज बताओ न। मेरी तो रातों की नींद भी गायब हो गयी है। तुम्हें जो भी बोलना है बोल सकती हो। पर तुम्हारा चेहरा काफ़ी कुछ बोल गया है। ये इश्क़ और मुश्क़ छिपाये नहीं छिपता। और ऐसा कह कर मुक्ति का हाथ पकड़ लिया। एक दम ठंडा हाथ था मुक्ति का -"हाँ मैं भी तुम्हें पसन्द करने लगी हूँ,और डरती हूँ इस समाज की बदनामी से इसलिए डरती हूँ कि इसका अंत क्या होगा ?

तुम्हारा तो ये आखिरी साल है फिर तुम अपने शहर चले जाओगे फिर क्या होगा?नहीं मैं ऐसा नहीं हूँ। मुझे तो बस तुम्हारी हाँ का इंतज़ार था। मैं तुम्हे कभी बदनाम नहीं कर सकता। मेरे लिए तुम्हारी हाँ ही काफी है,बस तुम मेरा इंतज़ार करना"। और ऐसा कहकर चले गया। और आज पूरे दो साल के बाद दुल्हन बनी मुक्ति मोहित के सामने थी । पर आज दोनों एक दूसरे से दूर न होकर संयम के सारे बन्धन तोड़ के एक हो चुके थे। ऐसा ये इश्क़ है...गज़ब सा इश्क़ है।


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