काश ?
काश ?
आज रविवार था हर रविवार शर्मा जी सुबह के दस बजे सब्जीमंडी चले जाते थे लेकिन आज उठने में जरा देर हो गई तो इसलिए बड़ी झुंझलाहट हो रही थी लगे शर्माइन पर गुस्सा करने कि न खुद उठी न हमें उठाया और शर्माइन का कहना था थोड़ी सी देर हुई तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ा मरी सब्जी ही तो लानी है और ऊपर से इतना बबाल ? आधा घंटा लेट चले गए तो खजाने लुट जाएंगे ?
अब तुम हमारा माथा न खराब करो जाकर चाय नाश्ता बनाओ हम नहाकर आते हैं ! बेचारी शर्माइन सब जल्दी - जल्दी करने में जुट गई पर गैस बीच ही में धोखा दे गई तो शर्माजी को आवाज दी - अजी शर्माजी तनि सुनिए तो गैस खत्म हो गई लगा दीजिए ना !
शर्माजी बाथरूम से ही चिल्लाए - तुमको गैस लगानी भी नहीं आती ?
आप ही लगाते हैं हर बार तो काहे चिल्ला रहे हैं ? आकर लगा दीजिए ना प्लीज़ !
अच्छा-अच्छा आ रहे हैं सिर न खाओ ! दिमाग खराब कर रखा है इस तरह बड़बड़ाते हुए आकर सलेंडर लगा देते हैं ये लो अब कम से कम जल्दी से चाय तो बना दो कहते हुए वहां से चले जाते हैं ! पंद्रह मिनट में तैयार होकर आ जाते हैं हो गई चाय ? आज नाश्ता तो मिलेगा नहीं !
काहे नहीं मिलेगा लीजिए चाय नाश्ता दोनों तैयार है कहते-कहते सामने प्लेट लाकर रखी और बोली - रोज़ की तरह मरी लौकी न लेकर आ जाना तुम्हें कोई और सब्जी मिलती ही नहीं !
ठीक है - ठीक है चलते हैं ! आज ग्यारह बजे बाजार पहुंचे तो सब्जी वाले महेश ने कहा - नमस्कार शर्माजी आइए क्या लेंगे लौकी ? सुनते ही शर्माजी भन्नाए हुए तो थे ही एकदम झल्लाकर बोले - तमीज से बात करो !
नहीं शर्माजी मैं तो हमेशा की तरह आपसे हंसी-मजाक कर रहा था जैसे कि आप करते हैं पर आज तो आप नाराज़ हो गए सब ठीक तो है ?
अब इस तरह अपने न बनो चलो बताओ टमाटर कैसे दिए ?ऐसे करते-करते सारी सब्जियों का भाव-ताव करने लगे इस भाव-ताव में उन्होंने आधा घंटा लगा लिया और फ़िर सिर्फ आधा किलो टमाटर पाव भर मिर्ची एक किलो गोभी खरीदी ऊपर से थोड़ा सा धनिया इसके लिए भी भाव के मुताबिक आधा दाम देने लगे तो महेश ने कहा - बोणी के टाइम एक घंटा बर्बाद कर दिया और ऊपर से आप पैसे भी पूरे नहीं दे रहे हैं नहीं साब पहले ही मैंने आपको खरीदे हुए दाम में दिया है फिर भी आप ? इतने में गुस्सा करते हुए शर्माजी ने सब्जी वापस पटक दी ! बेचारा महेश साब ये क्या कर रहे हैं ? हद हो गई ये बड़े लोग भी ना जाइए साब जाइए और उनका थैला फैंक दिया बस फिर क्या था आव देखा न ताव शर्माजी ने महेश को कसके चांटा मार दिया फिर सब्जियां इधर-उधर फैंकने लगे बेचारा महेश रोकने की कोशिश करता है मगर नाकाम हो जाता है।
आस-पास के लोग भी इकट्ठे हुए शर्माजी को बड़ी मुश्किल से रोका बेचारे महेश का बहुत सारा नुकसान हो गया ! लोगों ने उन पर पैसे भरने का दबाव डाला और यह भी कहा आपने बहुत ग़लत किया है पैसे तो आपको भरने पड़ेंगे । खैर जो भी हो पर शर्माजी एकदम चुप हो गये कुछ देर यूं ही चुपचाप रहे फिर शायद उनको अपनी ग़लती का अहसास हुआ लेकिन अब क्या फायदा ?
आज क्या हो गया मुझे जो सुबह से लड़ता फिर रहा हूं और अभी तो मैंने हद ही कर दी मार्केट में इतने दिनों की बनी बनाई इज्जत भी मिट्टी में मिल गई सोचकर शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे बिना मतलब झगड़ा मोल लिया मेरी मति मारी गई बेकार ही में सबको उकसाया है यह तो वही किया मैंने - " आ बैल मुझे मार " लेकिन अब पछताने से क्या होगा सोचते रह गए आगे कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं हुई ! जेब से सारे पैसे निकाल कर महेश को दे दिये और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए माफी मांगी !
कोई बात नहीं साब मेरी बुद्धि घास चरने गई थी जो मैं आपसे मजाक कर बैठा। मुझे क्या पता था कि आज ये सब काश ?
